संयोगवश: विनय कुमार
‘संयोगवश’ आशुतोष दुबे का छठा कविता संग्रह है जिसे राजकमल ने प्रकाशित किया है. उनकी कुछ कविताओं के भारतीय और...
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‘संयोगवश’ आशुतोष दुबे का छठा कविता संग्रह है जिसे राजकमल ने प्रकाशित किया है. उनकी कुछ कविताओं के भारतीय और...
जिसे हम हिंदी साहित्य का आदिकाल कहते हैं और जिसमें बौद्ध, नाथ, जैन और लौकिक साहित्य की नदियाँ बहती हैं....
आमिर हमज़ा की प्रस्तुत कविताएँ उनके कवि व्यक्तित्व को और पुख़्ता करती हैं. कविता की सूक्ष्मता का निर्वाह है. आंतरिक...
कृष्ण प्रताप सिंह (फ़ैज़ाबाद) वरिष्ठ पत्रकार और कवि हैं. अवध के इतिहास पर लिखते रहें हैं. ‘ज़ीरो माइल अयोध्या’ में...
स्त्री को अपने गर्भपात का अधिकार देने वाला फ़्रांस पहला देश बन गया है. 4 मार्च, 2024 को फ़्रांस में...
दस खंडों में विभक्त सौमित्र मोहन की लम्बी कविता ‘लुकमान अली’ ‘कृतिपरिचय’ पत्रिका में 1968 में प्रकाशित हुई थी. इस...
कुछ कहानियाँ सीधे दिल में उतरती हैं और कसक छोड़ जाती हैं. दूर तक पात्र पीछा करते रहते हैं. प्रसिद्ध...
महेश कुमार इधर हिंदी की आदिवासी कविताओं पर कार्य कर रहें हैं. उनके आलेखों ने ध्यान खींचा है. उनकी दृष्टि...
पाँच तुर्की कवि हिंदी अनुवाद: निशांत कौशिक शुकरु एरबाश आख़िर कैसे आख़िर कैसे, मेरे ख़ुदा? ये सड़कें कैसे सह सकती...
अमित तिवारी कविताएँ लिखते हैं. अनुवाद करते हैं. उनकी कविताओं ने ध्यान खींचा है. उनकी कुछ नई कविताएँ प्रस्तुत हैं.
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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