इवॉन्न वेरा (Yvonne Vera) अफ्रीका के कुछ महत्वपूर्ण कथाकारों मे से एक मानी जाती हैं. उनका पहला संग्रह ‘Why Don\’t You Carve Other Animals’, 1992 में प्रकाशित हुआ था. इस शीर्षक कहानी का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद कर रहें हैं कथाकार नरेश गोस्वामी. कहानी आकार मे छोटी है और सांकेतिक भी.
इवॉन्न वेरा
वह अस्पताल के गेट के बाहर बैठा लकड़ी के खिलौने बनाता है. इस अस्पताल में केवल अफ़्रीकी लोग ही आते हैं. तैयार हो चुके खिलौने उसके आसपास ज़मीन पर बिछे पुराने अख़बारों पर रखे रहते हैं. उसकी दाईं तरफ़ एक पेंटर बैठा होता है. वह अपनी तैयार कलाकृतियों को अस्पताल की बाड़ से सटा कर रखता जाता है. ठसाठस शहर में कहीं कारों व आती-जाती भीड़ की ऊंची आवाज़ें उमड़ती रहती हैं तो कहीं सड़क पर चलते ट्रैफिक को चेतावनी देती नारंगी रोशनी वाली एम्बुलेंस इमरजेंसी युनिट की ओर दौड़ती रहती हैं.
लकड़ी तराश कर खिलौने बनाने वाले यह शिल्पी जब हाथी और ज़रा सी टेढ़ी गर्दन वाले जिराफ़ की आकृति गढ़ता है तो जंगल को शहर में ले आता है. उसके जानवर अख़बार के रंगीन पन्नों पर चलते हैं, लेकिन उसे इसका दुख है कि वे निर्जीव होते हैं. कभी-कभी जब वह गुस्से में होता है तो अपने इन जानवरों को बड़ी बेदर्दी से गत्ते के बक्से में डाल देता है. तब उसे अस्पताल के गेट से गुज़रते अस्त-व्यस्त ट्रैफिक के बरअक्स जानवरों की इन निर्जीव आकृतियों को देखना ज़रा भी नहीं सुहाता.
मां आदमी से कहती है. उसने मगरमच्छ खरीद कर बच्चे के हाथ में दे दिया है. आदमी अपने एक जानवर को बच्चे की नन्हीं उंगलियों के बीच जाते देखता है. उसके जानवर निष्प्राण हैं, उसके मन में आता है कि वह उन्हें दुबारा बक्से में रख दे. वह सोचता है क्या इस बंजर शहर में, जहां डामर की सड़कें ही नदियों की तरह बहती हैं, यह बच्चा कभी सचमुच के मगरमच्छ को चलते देख पाएगा.
सफ़ेद कोट पहने एक आदमी हाथियों को देख रहा है. वह लकड़ी से खिलौने बनाते हुए इस आदमी को भी देख रहा है. वह एक लाल रंग के हाथी को उठाता है. कलाकार ने हाथी के दांत उसके शरीर के साथ ही गढ़ दिए हैं. इसलिए वह अपने दांत ऊपर नहीं उठा सकता. लाल हाथी ? अजनबी पशोपेश में पड़ गया है. वह विस्मित है. हालांकि यह हाथी सही ढंग से नहीं तराशा गया है, वह अपने दांत भी ऊपर नहीं उठा सकता, लेकिन अजनबी इसी हाथी को ख़रीदने का फ़ैसला करता है. वह इस हाथी को अपने दफ़्तर की खिड़की के बाजू में रखेगा जहां से वह लाइन में खड़े मरीज़ों को देखता रहेगा. हाथी के चेहरे पर आंख क्यों नहीं हैं ? शायद उसकी आंखें रोगन से ढक गयी हैं.
‘हाथी सदियों से जंगल का राजा रहा है, उसका वूजूद जंगल से भी पुराना है, लेकिन जिराफ़ अपनी गर्दन पेड़ों के ऊपर इस तरह उचका कर चलता है जैसे जंगल उसकी बपौती हो. वह सबसे ऊंचाई वाली पत्तियां खाता है, जबकि हाथी पूरा दिन कीचड़ में लोट लगाता है. क्या तुम्हें यह बात दिलचस्प नहीं लगती ? मतलब हाथी और जिराफ़ का यह द्वंद, उसका जंगल की सबसे ऊंचाई वाली पत्तियों को खाना ?’
केवल अफ़्रीकी लोगों के लिए आरक्षित अस्पताल की इमरजेंसी युनिट में एम्बुलेंस सर्राटे से दौड़ जाती हैं.
विक्टोरिया फाल्स की तस्वीर पर आखि़री बार कूची चलाते हुए पेंटर एक क्षण के लिए सोचता है. उसने यह तस्वीर अख़बारों और पत्रिकाओं से उठाई स्मृति के आधार पर बनाई है. उसने विक्टोरिया फाल्स को अपनी आंखों से कभी नहीं देखा. वह सोचता है कि तस्वीर में भाव पैदा करने के लिए पानी का रंग नीला होना चाहिए. उसे बताया गया है कि जब नक़्शे पर पानी दिखाना हो तो उसका रंग नीला होना चाहिए और जब पानी की मात्रा बहुत ज्यादा हो- जैसा कि समुद्र में होता है तो पानी आसमान की तरह दिखने लगता है. इसलिए नीले रंग का वह कुछ इस इफ़रात से इस्तेमाल कर रहा है कि चट्टान के नुकीले शीर्ष पर नीली लहरों का फैलाव अस्वाभाविक लगने लगा है.
खिलौने वाला थोड़ा रोगन उठाकर छोटी गर्दन वाले जिराफ़ की पीठ पर पीली और काली बिंदियां बनाने लगा है. वह यह बात बहुत पहले स्वीकार कर चुका है कि उससे जानवर ठीक तरह से नहीं बन पाते, लेकिन वह उन्हें फेंकेगा नहीं. मुमकिन है कि अफ़्रीकी लोगों के लिए आरक्षित इस अस्पताल से बाहर आने वाले किसी आदमी को उसकी यह कला-कृति भा जाए. लेकिन जैसे ही वह पीले-काले चकत्ते लगाकर हटा है तो क्या देखता है कि उसका लगाया रंग जानवर के दोनों ओर फैल गया है और वह ज़ेबरा की तरह दिखने लगा है.
‘तुम कभी कुत्ता या बिल्ली क्यों नहीं बनाते ?’मतलब एक ऐसी चीज़ जिससे शहर के लोग परिचित हों. तुम अगर चूहा ही बना दो तो वह भी चलेगा क्योंकि शहर चूहों से भरा पड़ा है’.
वहां जैसे हंसी का फव्वारा फूट पड़ा है. पेंटर को एहसास होता है कि झरने से छिटकती बूंदें प्रेमी-जोड़े पर पड़ रही होंगी. इसलिए वह उनके सर पर एक लाल रंग की छतरी बिठा देता है. तभी उसे अचानक याद आता है कि तस्वीर में कोई चीज़ ग़ायब है. और वह प्रेमी-जोड़े के खुले हाथों को थोड़ा और लंबा कर देता है और उनके हाथों में पीले रंग की आइसक्रीम रख देता है. अब वह तस्वीर जीवंत हो उठी है.

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