मंटो : नीम का कड़वा पत्ता : सत्यदेव त्रिपाठी
नंदिता दास की फ़िल्म मंटों पर आपने यादवेन्द्र का विचारोत्तेजक आलेख पढ़ा, आज प्रस्तुत है सत्यदेव त्रिपाठी की यह विवेचना जो इस फिल्म की मुकम्मल पड़ताल करती है. सत्यदेव त्रिपाठी हिंदी...
नंदिता दास की फ़िल्म मंटों पर आपने यादवेन्द्र का विचारोत्तेजक आलेख पढ़ा, आज प्रस्तुत है सत्यदेव त्रिपाठी की यह विवेचना जो इस फिल्म की मुकम्मल पड़ताल करती है. सत्यदेव त्रिपाठी हिंदी...
बहुत दिनों बाद ऐसी फ़िल्म प्रदर्शित हुई है जिसके प्रशंसकों में बुद्धिजीवी भी शामिल हैं. युद्ध, और त्याग-बलिदान पर आधारित फिल्मे ख़ासकर हिंदी फिल्में अपने इकहरे नरैटिव के कारण कभी...
मलिक मोहम्मद जायसी (१३९८-१४९४ ई.) की कृति पदमावत पर आलोचक रवि रंजन का आलेख– ‘साहित्य और पदमावत’ आपने समालोचन पर पढ़ा. अब फ़िल्म पदमावत पर प्रस्तुत है लेखक रंग-समीक्षक सत्यदेव त्रिपाठी का आलेख...
हिंदी सिनेमा के सदी के नायक अमिताभ बच्चन (जन्म-११ अक्टूबर, १९४२)आज ७५ साल के हो गए हैं. उनके चाहने वालों की संख्यां में कोई कमी नहीं आई है. उनका तिलिस्म...
जिन्होंने बाहुबली देख रखी थी उनमें से बहुत बाहुबली-२ देख कर निराश हुए पर जिस निर्मित और नियंत्रित उन्माद में इसे प्रस्तुत किया गया उसने आर्थिक रूप से इसे सफल...
पेशे से चिकित्सक विवेक मिश्र हिंदी के चर्चित कथाकार हैं. उनकी कहानी ‘थर्टी मिनिट्स’ को आधार बनाकर येसुदास बीसी ने ‘30 MINUTES’ फ़िल्म का निर्माण किया है जो अब सिनेमाघरों...
महाश्वेता देवी के कथा साहित्य ने भारतीय सिनेमा को कुछ बेहतरीन फिल्मे दी हैं जिनमें ‘संघर्ष’, 'हजार चौरासी की मां’, ‘रुदाली’ आदि शामिल हैं, उनकी कहानियों पर आधारित फिल्में अपना...
ईरानी सिनेमा में अब्बास किआरुस्तमी की वही जगह है जो भारतीय सिनेमा में सत्यजित राय की, वह विश्व के महानतम फिल्मकारों में शामिल हैं. उनकी फिल्में विश्व धरोहर हैं. गोवा फ़िल्म...
(*रामन राघव बने नवाजुद्दीन सिद्दीकी) प्रत्येक दूसरे रविवार के अपने इस चर्चित स्तम्भ में विष्णु खरे फिर हाज़िर हैं. यह आलेख ‘रमन राघव 2.0’ नामक हिंदी फ़िल्म से अधिक रामन राघव...
सैराट फ़िल्म का एक दृश्यमराठी फ़िल्म सैराट की विष्णु खरे की विवेचना से आरम्भ इस वाद-विवाद- संवाद में अब तक आपने आर. बी. तायडे (इंग्लिश), कैलाश वानखेड़े, जयंत पवार (मराठी),भारत...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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