नामवर के होने न होने के बीच
भारतीय भाषाओँ में हिंदी आलोचना प्रभावशाली और विद्वतापूर्ण नामवर सिंह की वजह से है. आलोचना को अपने समय के साहित्य-सिद्धांत, विचारधारा और अद्यतन सामजिक विमर्श से जोड़कर उन्होंने उसे विस्मयकारी...
भारतीय भाषाओँ में हिंदी आलोचना प्रभावशाली और विद्वतापूर्ण नामवर सिंह की वजह से है. आलोचना को अपने समय के साहित्य-सिद्धांत, विचारधारा और अद्यतन सामजिक विमर्श से जोड़कर उन्होंने उसे विस्मयकारी...
कवि, आलोचक, अनुवादक, पत्रकार, संपादक और फ़िल्म कला मर्मज्ञ विष्णु खरे एक महान पाठक भी थे. उन्हें किसी नवोदित की कोई कविता पढ़कर उससे बात करने में कोई संकोच कभी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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