साहित्य

परिप्रेक्ष्य : विष्णु खरे (२)

\'देखियो ग़ालिब से उलझे न कोई, है वली पोशीदा और काफ़िर खुला.\'मिथिलेश श्रीवास्तव के कविता संग्रह ‘पुतले पर गुस्सा’ के उमेश...

किताब : तरुण भटनागर

कथाकार तरुण भटनागर द्वारा यूजेन आयोनेस्क के नाटक ‘लैसन’ के हिंदी अनुवाद ‘पाठ’ पर यह  वक्तव्य पढ़ने योग्य है.किताब : तरुण भटनागर      ...

भूमंडलोत्तर कहानी (३) : नाकोहस (पुरुषोत्तम अग्रवाल) : राकेश बिहारी

कहानी कहने की दुविधा और मजबूरी के बीच...(संदर्भ : पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी ‘नाकोहस’) राकेश बिहारी वरिष्ठ आलोचक और नवोदित कथाकार...

नाकोहस जिस परिदृश्य का दिल दहलाने वाला रूप प्रस्तुत करती है, वह अब मात्र भयावह सम्भावना या भावी आतंक नहीं...

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