लिखने-पढ़ने के ढंग में जितना परिवर्तन इधर २० वर्षों में हुआ है उतनी तेज़ी से तो अब तक इसके उद्भव...
जहाँ हम पले- बढ़े, उस नगर में हमारी यादों की स्थाई नागरिकता रहती है, चाहे हम दर- बदर हों या...
विमल कुमार से अरुण देव की बातचीत. कवि - रचनाकार विमल कुमार के जीवन के 50 वर्ष, हिंदी की सृजनात्मकता के...
शमशेर बहादुर सिंह (१९११-१९९३) की जन्म शताब्दी वर्ष पर समालोचन की विशेष प्रस्तुति\"एक कवच मैं और ओढ़ना चाहता हूँएक अदृश्य...
(पेंटिग : रज़ा)राकेश श्रीमाल : (१९६३, मध्य-प्रदेश) कवि, कथाकार, संपादक.मध्यप्रदेश कला परिषद की मासिक पत्रिका ‘कलावार्ता’ का संपादन. कला सम्पदा एवं वैचारिकी ‘क’ के संस्थापक मानद संपादक.‘जनसत्ता’ मुंबई में 10...
सतीश जायसवालजन्मः 17 जून 1942मूलतः कथाकार. 1982 में राजकमल से प्रकाशित कहानी-संग्रह ‘जाने किस बंदरगाह पर’ से चर्चित. ताज़ा संग्रह...
मनोज छाबड़ (१०-२-१९७३,हिसार,हरियाणा)एक कविता संग्रह, ‘\'अभी शेष हैं इन्द्रधनुष’ वाणी से प्रकाशित है. हरियाणा साहित्य अकादमी से सर्वश्रेष्ठ काव्य-पुस्तक का सम्मान पा चुके हैं. चित्रकार,...
विमल कुमार की इन कविताओं में सपने की वह औरत और मूर्त हुई है. प्रेम अपने पुराने जख्म और नई...
कहानी और राष्ट्र की परछाइयाँ अरुण देव 2010 में पीपुल्स पब्लिशिंग हॉउस (प्रा.) लि. ने श्रेष्ठ साहित्य प्रकाशन योजना के...
आरम्भ: यह समालोचन का पहला अंक है जो 'Nov 12, 2010' को प्रकाशित हुआ था.
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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