रंग–पर्व पर आशुतोष दुबे की इन कविताओं में ऋतु के करवट लेने की आहट है, हर रंग का अपना निहितार्थ...
'मिलकर वे दोनों प्राणी/दे रहें खेत में पानी'. (त्रिलोचन) प्रेम, दाम्पत्य और वासंती बयार की अनगिन अभिव्यक्तियाँ कविता में बिखरी...
समकालीन हिंदी कविता दुहराव और घिस चली भंगिमाओं के एक मकड़जाल में है. न जाने कवि किस दुनिया की चाह...
मुक्तिबोध ने कुँवर नारायण को ‘कविता में अंतरात्मा की पीड़ित विवेक चेतना और जीवन की आलोचना’ का कवि कहा है....
युवा अच्युतानंद मिश्र की इन व्यस्क कविताओं में जीवन और आजीविका की यातना के स्वरों का आरोह- अवरोह है. समकालीन...
फ्रेंच पेंटर :Jean-Léon Gérômesnak : carpet-merchants-1887-minneapolisअनुवाद दो संस्कृतियों के बीच सेतु है. एक ऐसा सेतु जिससे साहित्य का अवागमन होता है....
क्यूं लिखना कविता का _____________________________________लिखने का आलम क्यूंआधी दुनिया या पूरी दुनिया केदु:ख के समन्दर में डूबने की प्रवृत्तिअन्दर निराशा...
युवा चर्चित कहानीकार प्रभात रंजन की नई कहानी ‘पत्र लेखक, साहित्य और खिड़की’. इस कहानी को पढ़ते हुए आप अपने ...
गिरिराज किराडू की कुछ नई कविताएँ पहली बात तो यह है कि गिरिराज की कविताओं का हिंदी में कोई पूर्वज...
एलिस मुनरो को २०१३ के साहित्य के नोबल पुरस्कार मिलने के बाद उनके व्यक्तित्व के प्रति उत्सुकता और कृतित्व को...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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