मैं और मेरी कविताएँ (९) : अनुराधा सिंह
अनुराधा सिंह ने अपने वक्तव्य में लिखा है कि कवियों को ग़ैर ज़रूरी होना आना चाहिए. कविता भी जिसे हमें जरूरी नहीं समझते, भूल चुके हैं जो लगभग अदृश्य सा...
अनुराधा सिंह ने अपने वक्तव्य में लिखा है कि कवियों को ग़ैर ज़रूरी होना आना चाहिए. कविता भी जिसे हमें जरूरी नहीं समझते, भूल चुके हैं जो लगभग अदृश्य सा...
गौतम का जन्म ६२३ ईसा पूर्व, लुम्बिनी में माना जाता है(धर्मानंद कोसम्बी). आज से लगभग २६४३ वर्ष पूर्व. जबकि मिस्र के फराहों का समय ईसा से लगभग तीन हजार साल...
‘कवि भीपरती खेत का गहरा दुख ठीक से न कह पाने परहो रहा है निराश-हताश’कवि प्रेमशंकर शुक्ल विषय केन्द्रित कविताएँ लिखते रहें हैं. उनके कुछ संग्रह किसी थीम के इर्दगिर्द रहते...
‘कवियों के कवि शमशेर’ की लेखिका रंजना अरगडे में ख़ुद एक कवयित्री छुपी है इसे कोई कैसे जान सकता था? अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में रंजना अरगडे ने अपनी कविताओं...
शोभा सिंह का दूसरा कविता संग्रह \'यह मिट्टी दस्तावेज़ हमारा\' प्रकाशित होने वाला है. उनकी राजनीतिक भंगिमाओं वाली कविताओं का व्यक्तित्व और सुदृढ़ हुआ है, स्त्रियाँ और उनकी विडम्बनाएँ मुखर...
प्रयाग शुक्ल हिंदी के दुर्लभ कवि-लेखक हैं जिन्होंने बच्चों के लिए बहुत लिखा है. उनकी कविताओं में ताज़गी और अकुंठ मनुष्योचित औदात्त आप पाते हैं. वह प्रकृति और परिवेश को...
२०१६ के मार्च महीने में बलराम शुक्ल की कुछ संस्कृत कविताएँ और उनके हिंदी अनुवाद समालोचन पर प्रकाशित हुए थे. संस्कृत में समकालीन काव्य रीति में आधुनिक बोध की इन...
कोरोना, क्वारनटीन और लॉक डाउन ने समूचे विश्व को प्रभावित किया है, रहने, देखने और सोचने में फ़र्क आया है. यह फ़र्क घर से शुरू हुआ है. घरेलू ब्योरे कविता...
( Mohamed Ahmed Ibrahim, Sitting Man)‘कुछ वैसी कविताएं पढूंजिसे लोक का तराशा हुआ कविअपनी किस्सागोई केविघटन काल में लिखता है.’राजीव कुमार का यह काव्य-अंश उनकी मनोभूमि को स्पष्ट कर देता है. उनकी...
नील कमल अपनी कविताओं को लेकर गम्भीर हैं, अपने कवि को लेकर बे परवाह, यह कवि स्थापित होने की किसी दौड़ में कहीं नज़र नहीं आता. नील की कविताएँ शिल्प...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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