जनवरी : संदीप नाईक की कविताएँ
संदीप नाईक की ये कविताएँ वैसे तो जनवरी में ही प्रकाशित हो जानी थी. ये कविताएँ वर्ष की शुरुआत की आशा से भरी हैं, खिले आकाश में ख़ुशी की पतंगे उड़ रहीं हैं....
संदीप नाईक की ये कविताएँ वैसे तो जनवरी में ही प्रकाशित हो जानी थी. ये कविताएँ वर्ष की शुरुआत की आशा से भरी हैं, खिले आकाश में ख़ुशी की पतंगे उड़ रहीं हैं....
मध्यकाल के कवि केवल कवि नहीं थे, जैसे कबीर निरे कवि नहीं हैं, रैदास भी उसी तरह से भारतीय समाज की विसंगतियों के बीच पथ-प्रदर्शक, और नेतृत्वकर्ता की भूमिका का...
विजया सिंह चंडीगढ़ में अंग्रेज़ी पढ़ाती हैं और फ़िल्मों में रुचि रखती हैं. उनकी किताब Level Crossing: Railway Journeys in Hindi Cinema, Orient Blackswan (2017) से प्रकाशित हुई है. उन्होंने...
हिंदी के महत्वपूर्ण कवि कुमार अम्बुज की कुछ नयी कविताएँ प्रस्तुत हैं. ये कविताएँ हमारे समय को संबोधित हैं, ये हर उस काल से आँखें मिलाती हैं जब कवियों से...
‘A poem is never finished, only abandoned.’Paul Valeryनये वर्ष में इससे बेहतर और क्या हो सकता है कि हम कविता से शुरू करें. महत्वपूर्ण कवयित्री तेजी ग्रोवर की तिब्बती बौध...
मंजुला बिष्ट उदयपुर (राजस्थान) में रहती हैं, उनकी कविताएँ यत्र-तत्र प्रकाशित हो रहीं हैं. उनके पास पहाड़ की स्मृतियाँ हैं और समय के प्रश्न. उनकी कुछ कविताएँ आपके लिए. मंजुला बिष्ट की कविताएँ ...
मलय की ये नई कविताएँ हैं. आज़ादी से पहले पैदा हुई पीढ़ी आज हमारे समय को किस तरह से देख और रच रही है. यह देखना अर्थगर्भित तो है ही...
‘निकले तख़्त की खातिर दर-ब-दरसर झुका रहमत माँगने के इरादे से,उतरे खुदाई का फर्क बताने पर,खुदा बन गए, मुकरना ही था वादे से.’अंकिता आनंद की कविताओं में रंगमंच की हरकत...
अर्चना लार्क कविताएं लिख रहीं हैं, और बेहतर लिखेंगी यह इन कविताओं को पढ़ते हुए लगता है. अर्चना लार्क की कविताएँ ...
कविताएँ अपनी जमीन से अंकुरित हों तो उनमें जीवन रहता है, अपने परिवेश से जुड़ कर उनमें स्थानीयता का यथार्थ-बोध, भाषा-बोली भी आ जाती है. प्रीति चौधरी की कविताओं में स्त्री...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum