मंगलेश डबराल की कविताएँ
मंगलेश डबराल की १५ नई कविताएँ समालोचन प्रकाशित करते हुए कवि असद ज़ैदी के शब्दों में इन कविताओं के लिए यही कह सकता है कि “और इससे ज़्यादा आश्वस्ति क्या हो...
मंगलेश डबराल की १५ नई कविताएँ समालोचन प्रकाशित करते हुए कवि असद ज़ैदी के शब्दों में इन कविताओं के लिए यही कह सकता है कि “और इससे ज़्यादा आश्वस्ति क्या हो...
कवियों पर कविताएँ कवि लिखते रहें हैं. ‘पुरस्कारों की घोषणा’ में रंजना मिश्रा ने कवियों पर जो मीठी चुटकी ली वह कमाल की ही. एक कविता अभिनेता संजीव कुमार पर...
अंकिता आनंद ‘आतिश’नाट्य समिति और \"पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स’की सदस्य हैं. इससे पहले उनका जुड़ाव सूचना के अधिकार के राष्ट्रीय अभियान, पेंगुइन बुक्स और समन्वय: भारतीय भाषा महोत्सव’से था....
कोई तो रंग है’ और ‘अगन जल’ संग्रहों के कवि विनोद पदरज (13 फरवरी 1960-सवाई माधोपुर) का तीसरा संग्रह ‘देस’ बोधि प्रकाशन से इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है. स्थानीयता को...
अदनान कफ़ील दरवेश की कविता ‘क़िबला’ को २०१८ के ‘भारत भूषण अग्रवाल’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, आलोचक ‘पुरुषोत्तम अग्रवाल’ के निर्णय का स्वागत करते हुए ‘विष्णु खरे’ ने...
हिंदी कविता की दुनिया में विविधता उसी तरह है जिस तरह इस समाज में है. एक ही समय में तमाम चीजें एक साथ चलती रहती हैं. आप अपने लिए कोई...
(पेंटिग : Shobha Broota)कवि और अनुवादक सौरभ राय को आप पढ़ते आ रहें हैं. वह बेंगलुरु में रहते हैं. अपने नये कविता संग्रह ‘काल वैसाखी’ की तैयारी में हैं. कुछ कविताएँ इसी...
समालोचन पर आप अंचित को पढ़ चुके हैं, कोलकाता पर केन्द्रित इन सात कविताओं के साथ वह फिर आपके समक्ष हैं. इन कविताओं में शहर तो है ही अपने अतीत...
“Memory revises me.” Li- Young Lee समकालीन महत्वपूर्ण कवियों पर आधारित स्तम्भ ‘मैं और मेरी कविताएँ’ के अंतर्गत ‘आशुतोष दुबे’, ‘अनिरुद्ध उमट’, ‘रुस्तम’, ‘कृष्ण कल्पित’ और ‘अम्बर पाण्डेय’ को आपने पढ़ा....
समकालीन महत्वपूर्ण कवियों पर आधारित स्तम्भ ‘मैं और मेरी कविताएँ’ के अंतर्गत ‘आशुतोष दुबे’, ‘अनिरुद्ध उमट’, ‘रुस्तम’ और कृष्ण कल्पित को आपने पढ़ लिया है. आज समकालीन युवा कवियों में...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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