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समालोचन

Home » अंग्रेज़ी साहित्य के गलियारे से : मनीषा कुलश्रेष्ठ

अंग्रेज़ी साहित्य के गलियारे से : मनीषा कुलश्रेष्ठ

शेक्सपीयर, वर्ड्सवर्थ, वाल्टर स्कॉट, कीट्स, चार्ल्स डिकेन्स, लुईस कैरोल, आर्थर कानन डायल, ऑस्कर वाइल्ड, सिगमंड फ्रायड (जर्मन मनोचिकित्सक), तथा जेम्स जॉयस आदि बहुत ही महत्वपूर्ण लेखक हैं. कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ ने इन्हें समझने की यात्रा में इनके जीवन से जुड़ी स्त्रियों को भी निकट से देखा है. इस महानता के नेपथ्य में चुप्पियों, सिसकियों और आहों को भी सुना है. गाथाओं के समानांतर उपगाथाएँ भी चलती हैं. यह आलेख इसी दूसरी दुनिया की पूरक यात्रा है. प्रस्तुत है.

by arun dev
April 7, 2025
in आत्म
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अंग्रेज़ी साहित्य के गलियारे से : मनीषा कुलश्रेष्ठ
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महानता का नेपथ्य
अंग्रेज़ी साहित्य के गलियारे से

मनीषा कुलश्रेष्ठ

मैं इस साहित्यिक यात्रा वृत्तान्त में अगर यह लेख नहीं लिखती तो आत्मग्लानि मुझे हमेशा घेरे रहती. मेरी आत्मा मुझसे कहती– “सच कहो ! क्या बस यही सब देखा तुमने? वह ‘आहों का अदृश्य पुल’ तुम्हें नहीं दिखा? तुम्हें इन महान इमारतों के कंगूरों पर इठलाती ‘म्यूज़’ दिखीं और दर्द से अबाबील बन गई फिलोमेला नहीं दिखी? कैसे कहूँ कि उन लेखकों के घर जिन्हें संग्रहालय बना दिया गया है उनमें ही सजी, उंगलियों से उतार कर लौटा दी गई कैथरीन डिकेन्स की फ़िरोज़ा जड़ी और फ्रेनी ब्राउन की एमेथिस्ट जड़ी अंगूठी दिखीं, हाँ, साफ-साफ दिखीं. जहाँ कुछ नहीं दिखा तो भी वह निर्वात दिखा. बेटी लूसिया जॉयस की चीखें, बहन डोरोथी वर्ड्सवर्थ की भाई की कविता में अनवरत उपस्थिति. दस साल की एलिस के जीवन में अनधिकार चेष्टाएँ दिखीं, यौन कुंठाएँ दिखीं. तो कॉन्सटेन्स के जीवन को व्यर्थ करती ऑस्कर वाइल्ड की समलैंगिकता दिखी. मार्था की उदासीनता में मिन्ना का बौद्धिक साथ दिखा, एनी हैथवे का अकेले छूटना दिखा. हाँ! हर महानता के नेपथ्य में एक धुंधलका दिखा.

 

 

1.
शेक्सपीयर (William Shakespeare) – 1564-1616

एनी हैथवे
पुरुष अप्रैल होते हैं जब प्रेम करते हैं, दिसंबर हो जाते हैं, शादी करके.

Anne Hathaway. courtesy wikipedia

शेक्सपियर ‘एज़ यू लाइक इट’ में कह गए थे यह एक कटु सत्य. जहाँ रोज़ालिंड, ऑरलैंडो को यह दिखाने के लिए यह डायलॉग कहता है-

“पुरुष जब अप्रैल के वसंत जैसे प्रेम में पड़ते हैं, तो दिसंबर की ठंडी यथार्थता में विवाह करते हैं. लड़कियाँ जब तक लड़कियाँ रहती हैं, समर्पित रहती हैं; परंतु जब वे पत्नियाँ बन जाती हैं, तो जैसे आसमान ही बदल जाता है. न कोई पूर्ण प्रेम होता है, न कोई पूर्ण स्त्री— सिर्फ भ्रम और कल्पनाएँ होती हैं.”

ऐनी हैथवे, विलियम शेक्सपियर की पत्नी थीं और उनकी शादी 1582 में हुई थी जब वह छब्बीस साल की थीं और वे अठारह साल के थे. कहते है अपनी शादी के समय, ऐनी पहले से ही गर्भवती थी, जिससे उनका विवाह कुछ हद तक जल्दबाजी में हुआ. तब चर्च इस बात पर भीषण आपत्ति करती थी. इतना लंबा समय धुंधले इतिहास में डूब गया है कि उनके विवाह के रिकॉर्ड भी कहीं स्पष्ट नहीं मिलते. यह ज्ञात है कि शेक्सपियर ने अपने अभिनय करियर के लिए अपना अधिकांश जीवन लंदन में बिताया, जिससे उनके बीच की दूरी के कारण उनकी शादी लगभग असफल ही मानी गई. एनी हमेशा बच्चों के साथ पिता के घर पर ही रहीं.

कई सालों से लोग शेक्सपियर द्वारा अपनी वसीयत में अपनी पत्नी के बारे में दिए गए संदर्भ का अर्थ समझने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी को अपना “दूसरा सबसे अच्छा बिस्तर” कहा है. जिसके कई अर्थ हो सकते हैं, माँ के बिस्तर के बाद दूसरा सुरक्षित बिस्तर. या कोई अन्य रूमानी अर्थ. शेक्सपियर टिपिकल ट्यूडर समाज के पुरुष थे. जहाँ विवाह के प्रति बहुत रोमानी होना बेमानी होता था. भले आप मंच पर आती रूमानी रोमियो की भूमिका ही क्यों ना निभा रहे हों.

 

2.
वर्ड्सवर्थ (William Wordsworth) – 1770-1850

डोरोथी वर्ड्सवर्थ

Dove Cottage. courtesy Wikipedia

वर्ड्सवर्थ की बहन डोरोथी के बारे में फिल्म देखते-देखते जो उत्सुकता जागी थी वह अब यहाँ रखे जर्नल देख कर खुमार में बदल गई. वे जिस चाव से कॉलरिज का जिक्र अपने जर्नलों की यहाँ रखी प्रतिलिपियों में करती हैं, वह कॉलरिज के प्रति एक अगाध, रूपहीन लगाव का संकेत देता है. नवयुवती गाइड कॉलरिज के बारे में बताते ऐसा कोई संकेत नहीं देती– बस यही कहती है–

“विलियम लेक डिस्ट्रिक्ट में रोमाँटिक कवियों के एक समूह का प्रमुख सदस्य बन गया था, जिसे बाद में ‘लेक पोएट्स’ के नाम से जाना गया. रॉबर्ट साउथी पास के गाँव केसविक में ग्रेटा हॉल में रहते थे. साउथी और कोलरिज की शादी दो बहनों, सारा और एडिथ फ्रिकर से हुई थी. कोलरिज भी 1800 में अपनी पत्नी और बेटे को केसविक गाँव में ले आए. कोलरिज और साउथी दोनों डव कॉटेज में अक्सर आया करते थे. डव कॉटेज के मेहमानों की सूची में वाल्टर स्कॉट, हम्फ्री डेवी और चार्ल्स और मैरी लैम्ब भी रहे हैं, थॉमस डी क्विंसी दीर्घकालिक अतिथि बन गए.”

डोरोथी वर्ड्सवर्थ के जर्नल डव कॉटेज में जीवन की एक ज्वलंत तस्वीर देते हैं. मसलन डोरोथी विलियम के लिए ढेर सारा दलिया और लैंब-चॉप बनाती है. वह फ़ुरसतों में फूलों का अध्ययन करती है और बगीचे का आनंद लेती है. डोरोथी अकसर माइग्रेन से पीड़ित रहती है, विलियम भी अक्सर बीमार पड़ जाया करता है. कोलरिज जब भी आता है बगीचे के गेट को फलांग कर आता है. तीनों बाहर लंबी सैर करते हैं और कविता और फ्रांसीसी क्रांति पर चर्चा करते हैं. डी क्विन्सी और साउथी आते हैं. अकसर मेहमान विलियम की किसी ताजी कविता पर चर्चा करते हैं. डोरोथी विलियम को डांसिंग डैफोडिल्स दिखा कर कहती है इन पर कुछ लिखो. वह विलियम की बचपन की मित्र मैरी हैचिंसन से विलियम के विवाह का विवरण लिखती है. उस विवरण में वह इस विवाह के प्रति अपनी ‘अनिच्छा’ का भी संकेत देती है. ग्रासमियर के सुरम्य जीवन और आमजन का जिक्र भी इस जर्नल को मुकम्मल करता है.

चलती-फिरती ओरिएँटेशन फिल्म देखना और डव कॉटेज और बगीचों का अनुभव करना, शांति और प्रकृति से जुड़ाव की वह भावना जो मैं उस पल महसूस कर रही थी, वह कोई रचनात्मकता की बारिश थी. यूँ भी तो मैं बारिश के दिन हवा में ठंडक के साथ वहाँ पहुंची थी; बगीचे में शरद ऋतु के रंग खिले थे. कॉटेज में बैठक में घुसते ही वास्तव में ऐसा महसूस हुआ जैसे विलियम और डोरोथी अभी-अभी बाहर निकले हों, और फायरप्लेस में आपके स्वागत के लिए आरामदेह आग जल रही हो. बगीचे उसी तरह लगाए गए हैं जो डोरोथी-विलियम की पसंद का विस्तार हों. कुंज की तरह प्रकृति के निकट से. सामने ग्रासमेयर के क्षितिज पर रायडल को घेरता इंद्रधनुष मानो मेरे लिए ही खिला था. पूरा अनुभव प्राकृतिक वातावरण में दो भाई-बहनों को मिलने वाली खुशी को कैद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. आप को महसूस होगा कि वह तिकड़ी ( विलियम-डोरोथी-सैम्यूअल) अभी-अभी अपने कोट्स और जूते पहन कर बैठक में दाखिल हुई है. आप लेकलैंड के बादलों से घिरे दिनों के अंधेरे, आग के पास बैठने की ऊष्मा, डायनिंग टेबल खुली किताबों, हस्तलिखित पन्नों के साथ उनके बीच उत्साहपूर्ण साहित्यिक चर्चाओं को महसूस कर सकते हैं.

डव कॉटेज के कुंज और पीछे पसरे जंगल और छत से दिखते पहाड़ देख कर अब मैं जेरवुड इमारत में आ गई थी जहाँ वर्ड्सवर्थ संग्रहालय था. यहाँ वर्ड्सवर्थ और कॉलरिज की साथ लिखी गई किताब ‘लिरिकल बैलाड्स’ की हस्तलिखित पांडुलिपियाँ थीं. वर्ड्सवर्थ का चश्मा, कई स्केचेज़ थे जिनमें से मुझे एक ने आकर्षित किया. एक शीट पर बांई तरफ कॉलरिज की पेंसिल से बनी छवि है, दाँयी तरफ वर्ड्सवर्थ हैं, ऊपर एक कोने में डोरोथी का स्केच रहा होगा जिसमें से किसी ने धड़ रबर से मिटा रखा है. दोनों कवियों, डोरोथी की तिकड़ी तो काफी निकट थी ही, मगर इनके आस-पास बहुत से सिरे थे जिनपर जाकर इनके संबंधों के रेशम धागे कई मोड लेकर उलझते हैं. वर्ड्सवर्थ की पत्नी मैरी हचिंसन के आने से इस तिकड़ी के बीच का रसायन कुछ बिगड़ गया था, डोरोथी के सिर पर घर के बहुत से काम आ गए थे. अब गोष्ठियों में मैरी की उपस्थिति मुखर हो गई थी. डव हाउस छोटा पड़ने लगा. उधर कॉलरिज की पत्नी भी सारा फ्रिट थी, जिससे कॉलरिज का संबंध कुछ बिगड़ रहा था, एक तो लोडानम (अफीम का द्रव्य) उसे होश में रहने नहीं देता था उस पर आर्थिक अभाव, और डोरोथी से बढ़ रही अंतरंगता…. जिसके चलते कॉलरिज और वर्ड्सवर्थ में भी दूरियाँ आ गयीं. वर्ड़सवर्थ विवाह और बच्चों के साथ अभाव में नहीं जीना चाहते थे. उन्होंने डव कॉटेज छोड दिया थोड़े बड़े और फिर और बड़े मकान ‘रायडल माउंट’ में अंबलसाइड आ बसे. डोरोथी अकेले पीछे छूट गई और वे रोमेंटिक्स की धारा के कवियों में प्रमुख बन कविता के आकाश पर छा गए.

 

 

3.
वाल्टर स्कॉट (Walter Scott) – 1771-1832

मीना स्टुअर्ट – चार्लोट चार्पेंटियर

 

वाल्टर स्कॉट के महिलाओं के साथ संबंधों में उनका पहला प्यार, मीना स्टुअर्ट थीं, जिससे उसने पत्रों के माध्यम से प्रेमालाप किया. वे स्कॉट की तुलना में एक अलग सामाजिक वर्ग से आती थीं. लेकिन उनका मानना था कि यह प्यार होना ही था. कुछ लोगों का मानना है कि स्कॉट का मीना के प्रति एकतरफा प्यार उनके उपन्यासों में झलकता है. चार्लोट चार्पेंटियर, जिनसे उनकी मुलाकात 1797 में कंबरलैंड के एक स्पा में हुई थी. वह फ्रांसीसी अप्रवासी माता-पिता की बेटी और लॉर्ड डाउनशायर की संतान थी, शांत, व्यावहारिक और स्वतंत्र रूप से जीने के वाली. स्कॉट और चार्लोट ने क्रिसमस की पूर्व संध्या 1797 को कार्लिस्ले कैथेड्रल में शादी कर ली. निश्चित तौर पर सर वॉल्टर स्कॉट उस समय के नैतिक मूल्यों पर खरे थे. लेकिन कहते हैं स्कॉट के उपन्यास ‘द ब्राइड ऑफ़ लैमरमूर (1819)’ और टॉमस हार्डी के उपन्यास ‘टेस ऑफ़ द ड्यूर्बरविलेज़ (1891)’ में कुछ समानताऐं थीं. लेकिन दोनों स्त्री की इच्छाओं और गुस्से को अलग-अलग तरह से चित्रित करते हैं.

स्त्री सौंदर्य से प्रभावित होकर भी स्कॉट अपनी नायिकाओं का एक दिव्य और बचकाना चरित्र खींच उन्हें प्राकृतिक इच्छाओं से वंचित करते हैं. दूसरी ओर, हार्डी स्त्री रूप ग्रामीण परिवेश में स्त्री का प्राकृतिक रूप और चाहनाओं के लिए अपनी प्रशंसा प्रकट करते हैं. स्कॉट की स्त्रियों का विद्रोह और रोष का बहुत संतुलित और नगण्य बन कर आता है या पागल समझे जाने के भी के रूप में वहीं हार्डी अपनी नायिका की इच्छा और विद्रोह के उग्र दावे को सही ठहराते हैं. स्कॉट की नायिकाओं का मौन पितृसत्तात्मक समाज की ज्यादतियों का अनुमोदन करती हैं वहीं हार्डी इसकी निंदा करते हैं.

जीन आर्मर जिन्हें “बेले ऑफ़ मौचलाइन” के नाम से भी जाना जाता था, स्कॉटिश कवि रॉबर्ट बर्न्स की पत्नी थीं. उन्होंने उनकी कई कविताओं को प्रेरित किया और उनके नौ बच्चे पैदा किए, जिनमें से तीन वयस्क होने तक जीवित रहे. लेकिन रॉबर्ट बर्न कभी एकनिष्ठ नहीं रहे, उन्होंने बहुत सारी स्त्रियों से संबंध बनाए और बच्चे पैदा किए. जीन आर्मर के समानांतर वे ‘हाईलैंड’ मैरी कैंपबेल के साथ रोमाँ टिक रूप से जुड़े हुए थे, जो उनसे गर्भवती थीं और हताशा में जमैका भाग जाने पर विचार कर रही थीं, लेकिन मैरी अक्टूबर 1786 में जन्म देने से पहले ही मर गई.

जेन आस्टेन तो स्वयं विक्टोरियन नैतिक मूल्यों की और दबावों की शिकार रहीं कि उनके उपन्यास में ‘मैरिज और सूटर’ शब्द जितनी बार आए उतना कुछ नहीं आया है. वे पिता की नाकामी के चलते अमीर रिश्तेदारों के भरोसे पली-बढ़ीं. वे सभ्रांत और सम्पन्न समाज के बीच गरीब रिश्तेदार कन्या को जहाँ भी रचती हैं वह उनका अपना नेपथ्य है. ऑस्टेन के कथानक सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक सुरक्षा के लिए विवाह पर महिलाओं की पारंपरिक निर्भरता को उजागर करते हैं.

पूरे अंग्रेजी साहित्य में सबसे चहेता माना जाने प्रेमी– सूटर मिस्टर डार्सी उनकी कल्पना का मिस्टर राइट था, वह जो उन्हें कभी मिला नहीं. जेन ऑस्टेन ने कभी शादी नहीं की, लेकिन उनके प्रशंसक थे. इनमें से सबसे प्रसिद्ध टॉम लेफ्रॉय हैं, जो एक चतुर युवा आयरिश व्यक्ति थे, जिनसे उनकी मुलाकात दिसंबर 1795 में हुई थी. वह कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए थे और स्टीवन्टन के पास ऐश में रहने वाले अपने चाचा और चाची के साथ क्रिसमस की छुट्टियाँ बिता रहे थे. जेन की उम्र अभी 20 साल ही हुई थी और वह एक होनहार, जिंदादिल और सुंदर लड़की थी. उसे संगीत और नृत्य, बुद्धि, हंसी और जीवंत बातचीत पसंद थी. हालाँकि टॉम हैम्पशायर में सिर्फ़ कुछ हफ़्तों के लिए ही रुके थे, लेकिन दोनों अक्सर क्रिसमस बॉल्स और पार्टियों में मिलते थे. वे नाचते, बातें करते और फ़्लर्ट करते थे, जब तक कि टॉम अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करने के लिए लंदन वापस नहीं चला गया. जेन भी लिखने लगी- यह उस समय की बात है जब उन्होंने फ़र्स्ट इम्प्रेशंस (जिसे बाद में प्राइड एँ ड प्रेजुडिस के नाम से प्रकाशित किया गया ) लिखना शुरू किया.

कहते हैं जेन टॉम से प्यार करती थी और उसने उसका दिल तोड़कर छोड़ दिया. हालाँकि कैसंड्रा को लिखे उसके पत्रों का लहजा हल्का और चंचल है; वह वास्तव में निराश नहीं लगती. हम जानते हैं कि वह एक यथार्थवादी थी. वह अपने उपन्यासों में रोमाँटिक हो सकती है, विवाह में आपसी प्रेम की दलील दे सकती है, लेकिन वह व्यावहारिक भी थी और जानती थी कि घरेलू खुशी के लिए पर्याप्त आय कितनी जरूरी है. न तो टॉम और न ही जेन के पास शादी को संभव बनाने के लिए पैसे थे. 1802 में उसे एक दोस्त के अमीर भाई से शादी का प्रस्ताव मिला, जिसे उसने एक रात के लिए स्वीकार किया और फिर मना कर दिया. क्योंकि उसे अपने लेखन से बहुत प्यार था. उसकी किताबें ही उसके बच्चे थे- उसने प्रसिद्ध रूप से प्राइड एँ ड प्रेजुडिस को अपना ‘प्यारा बच्चा’ कहा था. और टॉम लेफ्रॉय का क्या? वह लंदन लौट आया और 1796 में एक दोस्त की बहन मिस मैरी पॉल से सगाई कर ली; दो साल बाद उनकी शादी हो गई. वह आयरलैंड के लॉर्ड चीफ जस्टिस बनने के लिए रैंक में ऊपर उठ गया. सालों बाद, जब उससे जेन ऑस्टेन के बारे में पूछा गया, तो उसने कहा कि वह उससे प्यार करता था, हालाँकि उसने यह कहकर इसे स्पष्ट किया कि यह ‘एक बचकाना प्यार’ था.

तो जेन कहाँ पहुँचती है? वे अपनी किताबों में लौटती हैं और दर्शाती हैं – एक सुंदर लड़की और उसका ‘आयरिश दोस्त’. एक युवा जोड़ा, ‘एक साथ नाचते और बैठते हुए’. छह उपन्यास, जिनमें से प्रत्येक में ऐसे पुरुष हैं जो फ़्लर्ट करते हैं, नाचते हैं, मज़ाक करते हैं, अच्छा व्यवहार करते हैं, बुरा व्यवहार करते हैं… वे पुरुष जिन्हें उसने करीब से जाना था निश्चित रूप से इन किताबों में शामिल थे, और उसकी कल्पना ने अंग्रेजी साहित्य के उदात्त और हर स्त्री के मन के योग्य इन नायकों को रचा डार्सी, नाइटली, वेंटवर्थ वगैरह…वगैरह और अपने एकांत में इकतालीस साल की उम्र में लिखते-लिखते ही मर गयीं.

 

 

4.
कीट्स (John Keats) – 1795-1821

फैनी ब्रॉन
सगाई वाली एमेथिस्ट की अनमोल अंगूठी की जामुनी छाया में

Fanny Brawne’s engagement ring

मुझे नहीं पता कीट्स हाउस म्यूजियम में मैं क्यों देर तक उस बड़े जामुनी एमेथिस्ट की नक्काशी दार सुंदर अंगूठी को देखती रह गई. यह कीट्स ने फ़ैनी को सगाई में दी थी. तो कीट्स की मृत्यु से पहले क्या यहाँ से जाने से पहले वह उतार कर चली गई? क्या चल रहा होगा उसके मन में?

एक समय था जब कीट्स के प्रेमियों ने फ़ैनी के चरित्र को कीट्स के पहले प्रकाशित पत्रों की छाया में देखा. कि कीट्स तपेदिक से मर रहे हैं और फ़ैनी संगीत पार्टियों में, शहर के उत्सवों में जा रही है अन्य पुरुषों में रुचि ले रही है. कीट्स के एक पत्र में दर्ज भी है –

“यदि तुम मुझे प्रेम करती हो तो ऐसा ही बनना होगा. मेरी आत्मा किसी और बात से संतुष्ट नहीं हो सकती. अगर तुम पार्टियों का आनन्द लेना चाहो और उन्हीं में अपनी खुशी मानो; यदि तुम लोगों के सामने मुस्कराओ और उन्हें अपनी तारीफें करने पर मजबूर करो, तो न तुम्हें मुझ से प्यार है और न कभी तुम मुझसे प्यार कर सकोगी. तुम्हारे प्यार दृढ़ता ही मेरी जिन्दगी है. मेरी प्रिये. मुझे अपने प्यार पर विश्वास दिला दो. यदि तुम किसी भी तरह ऐसा यकीन न दिला सकी तो मैं हृदय की पीड़ा से मर जाऊँगा. अगर हम एक दूसरे से प्यार करते हैं तो हमें  दूसरे स्त्री-पुरुषों की तरह नहीं रहना होगा. मैं फैशन, चमक-दमक और अन्य गुप्त प्यार के मीठे विष को सहन नहीं कर सकता. तुम्हें सिर्फ मेरी होना होगा. यदि तुम्हें सूली पर चढ़ने के लिए भी मैं कहूँ तो तुम्हें मानना होगा.“

एक मरते हुए कवि ने प्रेमिका को यह सब लिखा, वह भी कौन? दुनिया का दुलारा, कोमलगात, श्रेष्ठतम देकर अपनी कमसिनी में चला गया कवि. कैसी कठोर होगी वह स्त्री जिससे इसने प्रेम किया. लगातार यही दृश्य बना अंग्रेजी साहित्य और उसके पाठकों के अंतस-वितान पर, फ़ैनी ब्रॉन एक चंचल चिड़िया थी इतने प्रेम के बाद भी उसकी न हो सकी.

किसी ने फ़ैनी का अंतस देखा? बात उस बरस मई के अंत की थी, कीट्स को फैनी के पार्टी और डांस के लिए डिल्के के घर पर बिना किसी के साथ जाने के बारे में पता चला. वह इसे बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने फैनी को आरोप लगाने वाले पत्र लिखे. फैनी ने जीवंत समझदारी से जवाब दिया और कीट्स अपने शब्दों पर पछतावा हुआ. ‘मुझ पर इतना अविश्वास मत करो,’ उन्होंने उसे लिखा. ‘मैं बीमारी में जितना हो सके उतना धैर्य रखूंगा और प्यार में विश्वास रखूंगा.’ लेकिन यह नया संकल्प टिक नहीं सका; उसका अपना स्वभाव इसके खिलाफ़ काम कर रहा था. वे फ़ैनी को  अनवरत आरोपित करने वाले पत्र लिखते रहे.

जब उनकी मृत्यु हुई तो फैनी ने कीट्स की बहन को उनकी मौत के बारे में लिखा

‘मैं इससे उबर नहीं पाई हूँ और कभी नहीं उबर पाऊंगी.’ उसने कई सालों तक शोक मनाया और कई लंबी रातें हीथ के किनारे टहलते या कीट्स के प्रेम पत्र पढ़ते हुए बिताईं. कीट्स ने उसे ‘ऐज यू लाइक इट’ की अपनी कीमती फोलियो कॉपी दी थी; इसके अंतिम पृष्ठ पर उसने लिखा था ‘फैनी 17 अप्रैल 1821.’

‘मिस्टर कीट्स ने हैम्पस्टेड छोड़ दिया.’ ये वो शब्द हैं जो फैनी ब्रॉन ने अपनी पॉकेट बुक में उस दिन लिखे थे जिस दिन कीट्स रोम के लिए निकले थे. यह बहुत ही शांत और संक्षिप्त कथन था, जबकि कुछ ही दिन पहले उसने कीट्स से बार-बार पूछा था: ‘क्या कोई और जीवन है? क्या मैं जाग जाऊं और पाऊं कि यह सब एक सपना है? ज़रूर होगा. हमें इस तरह की पीड़ा के लिए नहीं बनाया गया है.’ फैनी ने उनकी यात्रा करने वाली टोपी को रेशम से सजाया था और उन्हें एक पत्रिका और कागज का बंडल दिया था ताकि वे उसे लिख सकें. उसने उसे अपना एक छोटा चित्र दिया और उन्होंने अंगूठियाँ और बालों के गुच्छे बदले.

लोगों की दृष्टि में फ़ैनी तेज़-तर्रार और खुशमिजाज थी, वह अपने फैशनेबल होने लिए जानी जाती थी, वह दृढ़ निश्चयी थी. उन दोनों का यह प्रेम प्रसंग पार्टियों, रात्रिभोजों, नृत्यों, चुम्बनों और कीट्स के उसे लगातार टोकने से भरा हुआ था. उसे संगीत, राजनीति और किताबों में रुचि थी. कीट्स ने उसे दांते की इन्फर्नो की एक प्रति दी, जिसमें उसने बाद में ‘ब्राइट स्टार’ लिखा. जब कीट्स इटली चले गए तो फैनी परिपक्व हो गई थी और उनका प्यार गहरा हो गया था. कीट्स जब मर गए तो फ़ैनी ने हैम्पस्टेड का वह घर छोड़ दिया. बारह साल तक शोक मनाया, फिर जीवन को दुबारा अपनाया. इस बीच कीट्स की कविताओं के अनुवाद किए अन्य भाषाओं में. फिर ब्रॉन ने शादी की और तीन बच्चों को जन्म दिया, जब बच्चे बड़े हुए और पति की मृत्यु हुई तो उन्होंने अपने बच्चों को कीट्स द्वारा लिखे गए अंतरंग पत्रों को सौंप दिया.

ये पत्र कीट्स की मृत्यु के सत्तावन साल बाद 1878 में प्रकाशित हुए, तो यह पहली बार था जब लोगों ने फ़ैनी ब्रॉन के बारे में सुना था, लेकिन हमेशा की तरह मीडिया ने उनमें से बस विष चुना. जबकि फ़ैनी ब्रॉन द्वारा कीट्स को लिखे गए कोई भी पत्र नहीं बचे थे. कविता की दुनिया में भी फ़ैनी एक क्रूर और भावहीन, फैशनपरस्त स्त्री के रूप में जानी गई जो एक महान कवि की प्रेमिका कैसे हो सकती है? जबकि कीट्स की मृत्यु 1821 में हुई थी, तब वे सिर्फ़ 25 साल के थे और बतौर कवि लगभग अज्ञात थे. लेकिन आने वाले सालों में उनकी प्रतिभा को पहचाना गया और वे सबसे महान अंग्रेजी कवियों में गिने जाने लगे. उनकी रचनाएँ तेज़ी से बिकीं और 1848 में कीट्स की पहली जीवनी प्रकाशित हुई. रिचर्ड मॉन्कटन मिल्नेस द्वारा कीट्स के कई दोस्तों की मदद से लिखी गई इस जीवनी ने कई लोगों को नाराज़ कर दिया. लेकिन सच यह था कि कीट्स का जब निधन हुआ तो उनके प्रसिद्ध समकालीनों ने जो श्रद्धांजलि लिखी थी वह एक संघर्षशील कवि के नाम थी. पर्सी शेली ने जो शोकगीत लिखा उसमें ‘एडोनिस’ की तरह दर्शाया, मिल्नेस की जीवनी ने कीट्स की छवि एक बीमार सपने देखने वाले व्यक्ति की बनाई, जो बुरी समीक्षाओं के कारण मर गया. हालाँकि इसमें कीट्स की एक युवा महिला से सगाई का उल्लेख था, लेकिन इसमें उस महिला का नाम कभी नहीं लिखा गया.

दूसरी ओर अपना गुमनाम और साधारण जीवन जी रही फैनी ने दूर से कीट्स की प्रतिष्ठा में वृद्धि देखी थी; उनकी उसके लिए लिखी कविताओं के पाठ देखे, उसने उनकी प्रशंसा करने वाली कई किताबें पढ़ी थीं. लेकिन उसने कभी खुद को संसार के सामने प्रकट नहीं किया, न ही संसार ने उसके जीवन में कोई उल्लेखनीय रुचि ली. उसके पति को भी केवल इतना पता था कि वह और महान कवि कीट्स जब गुमनाम थे तब हैम्पस्टेड में पड़ोसियों के रूप में मिले थे. फैनी ने भी उसे कभी इसके अलावा कुछ नहीं बताया. लेकिन किसी जतन से उसने कीट्स के प्रेम पत्र संभाल कर रखे थे, उनमें से तीन दर्जन से ज़्यादा थे; कई सिर्फ़ नोट थे, कुछ उसकी भक्ति के लंबे-चौड़े वृत्तांत थे, कुछ ईर्ष्यापूर्ण बकवास थे जो कीट्स के चरित्र के एक नए पहलू को उजागर करते थे. इन पत्रों को बाद में साहित्य-जगत ने अब तक लिखे गए सबसे सुंदर पत्रों में से एक माना.

फैनी का स्पष्ट रूप से मानना था कि वे दुनिया के लिए मूल्यवान थे, ये कीट्स के जीवन के बारे में नई अंतर्दृष्टि देंगे. अन्यथा वह उन्हें अपने बच्चों को कभी नहीं देती. लेकिन उसके बच्चों किस तरह के मूल्य की कल्पना की थी? उसे नहीं पता था उसके बच्चे उन्हें बेच देंगे और सचमुच उसके बहुत पुराने प्रेम से लाभ कमाएँ गे. अपने पिता की मृत्यु के बाद, फ़ैनी के बड़े बेटे हर्बर्ट लिंडन ने तुरंत पत्रों को बेचने की कोशिश की.

8 दिसंबर 1865 को, लंदन टाइम्स के पहले पन्ने पर एक मृत्युलेख छपा था– ‘चार दिसंबर को, 34 कोलशिल-स्ट्रीट, ईटन-स्क्वायर में, लुइस लिंडन की पत्नी, फ्रांसिस का निधन हो गया है. मित्रों के लिए सूचना.’  65 वर्षीय श्रीमती लिंडन के पीछे उनके पति, एक सेल्स एजेंट जो उनसे बारह साल छोटा था, और तीन बच्चे रह गए. किसी को एक सेल्स एजेंट की पत्नी की मौत की खबर में क्या रुचि होती? फैनी की पहचान उनकी मृत्यु के सात साल बाद पता चली. हालाँकि उन्होंने अपने बच्चों को कीट्स के साथ अपने रोमाँस के बारे में बताया था, और उन्हें उनकी किताबों और प्रेम पत्रों का संग्रह दिखाया था, लेकिन उन्होंने उनसे यह वादा भी करवाया था कि वे अपने पिता को कभी नहीं बताएँ गे. लेकिन जब 1872 में लुइस लिंडन की मृत्यु हो गई, तो फैनी के बच्चे आखिरकार अपनी माँ की कहानी से लाभ उठाने में सक्षम हो गए.

लेकिन उन पत्रों में से केवल वे पत्र छपे जिनमें कीट्स का उमड़ता प्रेम और याचनाएँ थीं और आरोप थे, कविता थी जो कीट्स को महान बनाती थी. बरसों बाद किसी का मन बदला 1934 में, कीट्स के एक संग्रहकर्ता ने अपना संग्रह हैम्पस्टेड के कीट्स मेमोरियल हाउस को इस शर्त पर दान कर दिया कि वह खुद गुमनाम रहेगा. दान में फैनी ब्रॉन द्वारा सितंबर 1820 और जून 1824 के बीच कीट्स की बहन को लिखे गए पत्र शामिल थे. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने फैनी ब्रॉन के कीट्स की बहन को लिखे पत्र प्रकाशित किए; और कीट्स मेमोरियल हाउस के क्यूरेटर और वॉल्यूम के संपादक फ्रेड एडगकुम्बे ने अपनी भूमिका में टिप्पणी की कि

“जो लोग फैनी ब्रॉने के कीट्स के प्रति अनन्य प्रेम पर विश्वास करते थे, उन्हें यह जानकर संतुष्टि होगी कि उनका प्रेम आखिर विश्वसनीय था.”

 

 

5.
चार्ल्स डिकेन्स (Charles Dickens) – 1812-1870

कैथरीन डिकेन्स

 

Charles Dickens with his two daughters, Mamie and Katey (right) in c.1865. courtesy Lucinda Hawksley

लंबा दाम्पत्य और दस बच्चे. हर जगह साथ देने वाली कैथरीन, घर में साहित्यिक दावतें रखने वाली कैथरीन. डिकेन्स के प्रति इतनी समर्पित कैथरीन, जिसने एक किताब भी लिखी तो डिकेन्स के प्रिय खानों की– ‘व्हाट शैल वी हैव फॉर डिनर?’ यानि कैथरीन का जीवन उस अठारह लोगों के परिवार में इसी बात के आगे-पीछे घूमा कि “आज रात खाने में क्या बनेगा?”

यह किताब लंदन में डिकेन्स संग्रहालय में सजी हुई थी, जब गाइड बता रही थी– कैथरीन एक कुशल गृहिणी थी. और वही गाइड अंत में बता कर चुप हो गई थी कि…. और आखिर में कैथरीन से डिकेन्स अलग हो गए थे. डिकेन्स ने दावा किया था कि कैथरीन मानसिक रूप से असंतुलित थी और पत्नी और माँ की भूमिका के लिए अयोग्य हो चुकी थीं. अलगाव का सटीक कारण अज्ञात है, हालांकि उसके बाद डिकेन्स और एलेन टर्नन या कैथरीन की बहन जॉर्जिना के बीच संबंध की अफवाहें उड़ने लगीं. कैथरीन के प्रति डिकेन्स की भावनात्मक क्रूरता ने उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस तो पहुंचाई मगर वह देश के प्रिय लेखक फिर भी बने रहे. बाकायदा पत्रों से पता चलता है कि डिकेन्स ने अपनी पत्नी को अमान्य ढंग से पागल घोषित कराने की योजना बनाई थी, वे उसे पागलखाने पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे.

डिकेन्स के मित्र विलियम मेकपीस थैक्करे ने कहीं पत्रकारों को कहा भी था कि कैथरीन से डिकेन्स का अलगाव जॉर्जिना होगार्थ के साथ नहीं बल्कि टर्नन के साथ संबंधों के कारण हुआ था यह टिप्पणी जब डिकेन्स तक पहुंची तो वे इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने डिकेन्स- थैक्करे दोस्ती को लगभग खत्म कर दिया. कहते हैं कि एलेन टर्नन के लिए उपहार स्वरूप खरीदा गया एक बहुमूल्य ब्रेसलेट इस अलगाव की वजह बना जो गलती से या साजिश के तहत डिकेन्स के घर पहुँच गया था.

कई अन्य मित्रों, रिश्तेदारों और समाज के लोगों ने इस अलगाव पर टिप्पणी की, जिनमें से अधिकांश ने कैथरीन का समर्थन किया और उसके बचाव में रैली निकाली. एलिजाबेथ बैरेट ब्राउनिंग ने डिकेन्स द्वारा अपनी पत्नी के साथ किए गए व्यवहार को आपराधिक कहा और डिकेन्स की पुरानी दोस्त एँ जेला बर्डेट कॉउंट्स ने अपनी दोस्ती तोड़ ली. समकालीनों लेखकों-कलाकारों ने भी कैथरीन की शालीन चुप्पी की प्रशंसा की क्योंकि उसने इस प्रकरण पर सार्वजनिक रूप से एक भी कठोर शब्द नहीं बोला था. जबकि चार्ल्स हड़बड़ाये हुए यहाँ-वहाँ बयान देते घूम रहे थे. 12 जून 1858 को डिकेन्स ने अपनी पत्रिका हाउसहोल्ड वर्ड्स में एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें न तो अलगाव की अफवाहों का खंडन किया था, न ही स्थिति को स्पष्ट किया था.

“मेरी कुछ घरेलू परेशानियाँ हैं, जो बहुत समय से चली आ रही हैं, जिस पर मैं सिर्फ़ इतना ही कहना चाहूँगा कि वे निजी हैं. हाल ही में हमने इसे सुलझा लिया है, जिसमें किसी भी तरह का कोई गुस्सा या दुर्भावना शामिल नहीं है और यह मेरे बच्चों की जानकारी में है. इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है. और अब इस पर अटकलें लगाने वाले लोगों को भूल जाना चाहिए… किसी तरह से, दुष्टता से, या मूर्खता से, या अकल्पनीय जंगलीपन से मेरी इस समस्या पर गलतबयानी हुई है जो कि बहुत ही झूठी, सबसे भयानक और सबसे क्रूर है- जिसमें सिर्फ़ मैं ही नहीं बल्कि मेरे आत्मीय-निर्दोष लोग भी शामिल हैं… मैं पूरी गंभीरता से घोषणा करता हूँ- और यह मैं अपने और अपनी पत्नी के नाम से करता हूँ- कि इस परेशानी से जुड़ी हाल ही में फैली सभी अफवाहें, घिनौने रूप से झूठी हैं. और जो कोई मेरे इस खंडन के बाद भी इसे दोहराएगा, वह स्वर्ग और पृथ्वी के सामने उतना ही बेईमान और झूठा होगा जितना कि कोई बाइबल की कसम खाता झूठा गवाह.”

चार्ल्स डिकेन्स जूनियर को छोड़कर सभी बच्चे टैविस्टॉक हाउस में अपने घर में ही रहे. जबकि कैथरीन, चार्ल्स जूनियर को लेकर चली गई. जॉर्जिना होगार्थ ने ही एक वर्ष तक डिकेन्स का घर चलाया. आगे न्यूयॉर्क ट्रिब्यून में एक और सार्वजनिक बयान छपा. इस बयान में, डिकेन्स ने यह घोषणा की कि यह केवल जॉर्जिना होगार्थ ही थीं जिन्होंने कुछ समय के लिए परिवार को एक साथ रखा था:… मैं उनके (मेरी पत्नी) के बारे में सिर्फ़ इतना ही कहूँगा कि उनके चरित्र की एक ख़ासियत ने हमारे सभी बच्चों की जिम्मेदारी को किसी और पर डाल दिया है. मुझे नहीं पता- मैं कल्पना भी नहीं कर सकता- अगर मेरे बच्चों की यह मौसी न होती, जो उनके साथ बड़ी हुई है, जिसके प्रति वे समर्पित हैं, और जिसने अपनी जवानी और जीवन का सबसे अच्छा हिस्सा उनके लिए बलिदान कर दिया है, तो उनका क्या होता. उसने बार-बार विरोध किया, कष्ट सहे और मेहनत की ताकि मिसेज डिकेन्स और मेरे बीच अलगाव न हो. मिसेज डिकेन्स जब यहाँ थीं, घर में इसके प्रति स्नेहपूर्ण थीं. अब भी इसके लिए उन्होंने इस समर्पण के प्रति अपनी सद्भावना व्यक्त की है.

लोगों ने, अखबारों ने कैथरीन को पत्र लिखने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने ऐसा नहीं किया पारिवारिक घनिष्ठ मित्र कॉउंट्स को जवाब में बस यह लिखा कि:

“मेरे जीवन का एक पृष्ठ जिस पर एक बार इबारत लिखी गई, अब वह बिल्कुल खाली हो गया है, और यह दिखावा करना मेरे बस में नहीं है कि इस पर एक भी शब्द शेष है.“

चार्ल्स डिकेन्स के जीवन का यह स्याह पक्ष साक्ष्यों के साथ उपलब्ध है और कैथरीन की चुप्पी 48-49 डौटी स्ट्रीट वाले म्यूजियम बना दिए गए घर में रखी फिरोज़े की अंगूठी और उस छोटी-सी कितबिया के आस-पास छाई है– आज रात के खाने में क्या बनेगा?

 

 

6.
लुईस कैरोल (Lewis Carroll) – 1832-1898

निषिद्ध वंडरलैंड: एलिस

Alice Liddell courtesy Wikipedia

हममें से किसने एलिस की रोमाँचक दुनिया का हिस्सा नहीं होना चाहा बचपन में? लेकिन लुईस कैरोल की प्रेरणा असल एलिस कौन थी मैं नहीं जान पाती अगर मैं अपनी ऑक्सफोर्ड यात्रा में एलिस के संसार को खोजने नहीं निकलती. लुई कैरॉल के चिन्ह तो नहीं मिले मगर मिल गई फुसफुसाहटें एलिस लिडेल और लेखक के संबंधों की.

चित्र कहते हैं एलिस लिडेल एक बहुत मासूम, ग्रीक देवदूतों सी सुंदर और कल्पनाशील बच्ची थी. लेकिन हम यह कल्पना भी नहीं करना चाहते कि एलिस लिडेल “ऐलिस इन वंडरलैंड” लेखक के एकतरफा जुनून का रूपक है. लेकिन तब का समय, आने वाला समय, लुईस कैरोल का बच्चों की कम या बिना वस्त्रों की फोटोग्राफी के शौक को रेखांकित करता है तर्क करता है. कि पूरे उपन्यास में, ऐलिस शब्दों के कई अर्थों वाले खेल खेलती है, जिसे कई लोग ऐलिस के प्रति कैरोल की भावनाओं के इर्दगिर्द आंतरिक उथल-पुथल के प्रतिबिंब के रूप में व्याख्या करते हैं. उदाहरण के लिए, क्वीन ऑफ़ हार्ट्स का चरित्र सख्त विक्टोरियन समाज का प्रतिनिधित्व करता है, जो वयस्क पुरुषों को युवा लड़कियों के साथ रोमाँटिक संबंध बनाने से रोकता है. जिससे कैरोल को ऐलिस के प्रति अपने स्नेह को दबाने के लिए मजबूर होना पड़ता है. लोग इस किताब की उस कविता को कोट करते हैं, जिसमें मुकदमे में पढ़ा गया कैदी का पत्र है, जिसके बारे में गुलाम कहता है, “मैंने इसे नहीं लिखा, और वे साबित नहीं कर सकते कि मैंने लिखा है: अंत में कोई नाम हस्ताक्षरित नहीं है,” और राजा कहता है, “यदि इसमें कोई अर्थ नहीं है, तो यह बहुत सी परेशानियों से बचाता है, आप जानते हैं, क्योंकि हमें कोई अर्थ खोजने की आवश्यकता नहीं है?”

हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ऐलिस ने कैरोल की साहित्यिक खोज और कल्पना को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन ऐलिस के लिए कैरोल की शब्दों में छिपी तारीफ और चाहना को पूरी तरह से समझने के लिए मनोवैज्ञानिक ढंग से डीकोड करना पड़ेगा. उन्होंने (ज़ाहिर तौर पर) कभी बच्चों का यौन उत्पीड़न नहीं किया, वे एक अच्छे इंसान थे. और उस पर वह समय जब माता-पिता और समाज अजीब चीजों पर जल्दी शक नहीं करता था, उनकी छवि एक बच्चों से प्यार करने वाले संत की थी. वे एक अविवाहित पादरी थे जो ब्रह्मचर्य के नियम वाले चर्च में रहते थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में शायद बच्चों की एक हज़ार से ज़्यादा तस्वीरें लीं, लेकिन उन्होंने उन्हें एक संरक्षक के साथ लिया, इसलिए इसमें कोई अनुचितता का संकेत नहीं हो सकता था. इन तस्वीरों में से तीस तस्वीरें ऐसी थीं जो नग्न बच्चों की थीं. जिसे कलात्मक फोटोग्राफी की श्रेणी में रखा जा सकता था.

1 जून 1856 की बात है, जब कैरोल तेईस वर्षीय के थे. उन्होंने चर्च डीन लिडेल के तीन छोटे बच्चों को गोडस्टो तक नाव में सैर का आमंत्रण दिया. तब किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह भ्रमण कितना महत्वपूर्ण साबित होगा. इस यात्रा ने उनके काल्पनिक उपन्यास को जन्म दिया. इसके समापन पर, कैरोल ने रास्ते में मिलने वाले जानवरों और दृश्यों के रेखाचित्र बनाना शुरू कर दिया. ये कच्चे मसौदे अंततः पूर्ण विकसित चित्रों में विकसित हुए जो “ऐलिस एडवेंचर्स अंडरग्राउंड” में दिखाई देते हैं, जिसे बाद में दिसंबर 1864 में प्रकाशित किया गया. इसलिए, पांडुलिपि लिखने से पहले ही, ऐलिस ने कैरोल को कलात्मक रूप से प्रेरित कर दिया था. लेकिन ऐलिस का प्रभाव कैरोल पर उसके प्रभाव से कहीं आगे निकल गया और एक प्रेरणास्रोत के रूप में उसकी कथित भूमिका से भी आगे बढ़ गया. वह एक अंतरंग साथी बन गई जिसके साथ कैरोल बिना किसी उपहास के डर के खुलकर बातचीत कर सकता था. लुईस कैरोल को बोलने में दिक्कत थी. उन्हें वयस्कों के सामने बोलने में हमेशा शर्मिंदगी महसूस होती थी इसलिए, उन्हें वयस्क नापसंद थे, लेकिन वे बच्चे उन्हें पसंद करते थे जो उन्हें बोलने में दिक्कत होने के कारण जज नहीं करते थे.

फिर हुआ यूं कि तस्वीरों की एक विशेष श्रृंखला ने लोगों को थोड़ा चौंका दिया. वह थी एलिस लिडेल और उसकी बहन लोरीना की तस्वीरें. एक तस्वीर में एलिस को ‘भिखारी लड़की’ के रूप में मॉडल किया हुआ था, कम और कंधे पर से उतरे कपड़े चेहरे पर अलग ही दृढ़ भाव, होंठ भींचे हुए. ये 1856 में ली थीं जब वह पाँच वर्ष की थी, इसमें एलिस की बड़ी बहन लोरिना लिडेल की भी पूरी तरह नग्न अवस्था में नदी तट पर बैठे हुए भी एक फोटो भी थी. लगभग दो सौ साल पहले की बात होने के बावजूद आज भी लोग उन्हें विवादास्पद मानते हैं, क्योंकि एलिस की वेशभूषा और मुद्रा में निहित विचारोत्तेजकता, लोरीना की नग्न मुद्रा और साथ ही उस समय उनकी कम उम्र भी. इसे किसी काल में कोई भी माता-पिता स्वीकार नहीं करेगें. यह स्पष्ट था कि लुईस कैरोल 1863 के बाद लिडेल बहनों से फिर कभी नहीं मिले. हालाँकि उन्होंने उनके माता-पिता के साथ मिलना-जुलना जारी रखा. आज के संदर्भों में ये चित्र उन्हें जेल पहुंचा सकते थे. इस सबने कैरोल के निजी जीवन को रहस्य में डुबो दिया था, इन अंतरंग चित्रों के वास्तविक अर्थों पर बहस चल पड़ी थी. कुछ लोगों को ये शातिरी लग रही थी कुछ लोगों को यह मासूम कला. हालाँकि “ऐलिस इन वंडरलैंड” को आम तौर पर एक उत्कृष्ट कृति और बच्चों के लिए उपयुक्त एक मासूम परीकथा माना जाता है, लेकिन जो इसके अर्थ हैं वे जटिल हैं. एक हस्तलिखित पत्र ने भी कैरोल को मुसीबत में डाला था, जिसमें उन्होंने एलिस से स्पर्श की चाहना व्यक्त है. भले उन पर उन पर कभी कोई आरोप नहीं लगा, लेकिन प्रश्न उठने थे सो उठे.

‘उम्मीद है कि आपको अपनी नई किताब पसंद आई होगी, (मेरी प्यारी एलिस]. …..जब मैंने तुम्हें आखिरी बार देखा, प्यारी छोटी बेज़िली (बेज़िलिया? बेज़िलिया?), मैंने तुम्हारे चेहरे को चूमा था और मैं चाहता था कि मेरा चेहरा भी चूमा जाए. क्या तुम उस सुखद पल को भूल गई हो? ओह, तुम्हारे गाल कितने प्यारे थे!”

गूगल पर यह पत्र पढ़ कर बचपन से मेरे मन के कोने में छिपा बैठा ‘एलिस इन वंडरलैंड’ का सफेद खरगोश कूद कर भाग गया था.

 

 

7.
आर्थर कानन डायल (Arthur Conan Doyle) – 1859-1930

लुईसा हॉकिंस और जीन लेकी

 

Louise with Arthur on their tandem tricycle (august 1892). courtesy https://www.arthur-conan-doyle.com/

आर्थर कानन डायल के जीवन में दो स्त्रियाँ थीं, दोनों की सज्जनता और सभ्रांतता ने उनके लेखन पर असर डाला कि उनके मुख्य पात्र शर्लक होम्स हमेशा अपने आस-पास स्त्रियों के प्रति सौजन्य रहे. ये दो स्त्रियाँ उनके जीवन में कुछ दिन के लिए एक ही समय में समानांतर रहीं जब उनकी पहली पत्नी लुईसा बीमार थीं. वह 1897 में जीन से मिले और उनसे प्यार हो गया, लेकिन अपनी पहली पत्नी के जीवित रहते हुए उन्होंने उसके प्रति वफ़ादारी के कारण उसके साथ एक आदर्शवादी रिश्ता बनाए रखा. डॉयल के परिवार के अधिकांश लोग जिसमें उनकी माँ भी शामिल थीं, इस रिश्ते के बारे में जानते थे, लेकिन ऐसा लगता है कि लुईसा को इसकी जानकारी नहीं थी. अपनी आत्मकथा मेमोरीज़ एँ ड एडवेंचर्स (1923) में आर्थर कॉनन डॉयल ने लिखा कि उनकी लुईसा से मुलाकात कैसे हुई:

“वर्ष 1885 में मेरे भाई ने मुझे यॉर्कशायर के एक पब्लिक स्कूल में पढ़ाने के लिए छोड़ दिया. इसके कुछ समय बाद ही मेरी शादी हो गई. ग्लूसेस्टरशायर के एक परिवार की विधवा श्रीमती हॉकिन्स नामक एक महिला अपने बेटे और बेटी के साथ साउथसी आई हुई थी, बेटी बहुत ही सौम्य और मिलनसार लड़की थी. मैं उनके संपर्क में बेटे की बीमारी के माध्यम से आया था, जो उसे हिंसक और अस्थिर बना रही थी और दिमागी मेनिन्जाइटिस से उत्पन्न हुई थी. चूंकि माँ बहुत ही असहज स्थिति में थी, इसलिए मैंने अपने घर में एक अतिरिक्त बेडरूम की व्यवस्था की और उस बेचारे लड़के को जो सबसे अधिक खतरे में था, अपना व्यक्तिगत ध्यान देने की पेशकश की. मैं जो कुछ भी कर सकता था मैंने किया, उसके बावजूद कुछ दिनों बाद उसकी मृत्यु हो गई. अपनी ही छत के नीचे ऐसी मृत्यु ने मुझे बहुत चिंता और अवसाद में डाल दिया था. मैंने अपने एक मेडिकल-कॉलेज के मित्र को उसके मरने से एक दिन पहले चैकअप करने के लिए कहा था, अगर मुझमें यह दूरदर्शिता नहीं होती कि तो मैं मुश्किल स्थिति में पड़ जाता. अंतिम संस्कार तक मेरे घर से हुआ. हालांकि परिवार को भी इस बात का दुख था कि उन्होंने मुझे किस चिंता में डाल दिया था, और इस प्रकार हमारे संबंध घनिष्ठ और सहानुभूतिपूर्ण हो गए जिसका परिणाम यह हुआ कि बेटी ने मेरे साथ जीवन बिताने की सहमति दे दी. हमारी शादी 6 अगस्त, 1885 को हुई थी, और किसी भी व्यक्ति के लिए इससे अधिक सौम्य और मिलनसार जीवन साथी नहीं हो सकता था. हमारा मिलन एक दुखद बीमारी से खराब हो गया था, जो कुछ ही वर्षों बाद हमारे जीवन पर अपनी छाया डालने के लिए आई (नोट: लुईसा को तपेदिक था), लेकिन यह सोचकर मुझे सुकून मिलता है कि जब हम साथ थे, तब एक भी ऐसा मौका नहीं आया जब हमारे प्यार में किसी दूरी ने खलल डाला हो, जिसका श्रेय पूरी तरह से उसके अपने शांत व्यक्तित्व को जाता है. अपनी दुखद लंबी बीमारी में भी जीवन के सभी उतार-चढ़ावों को भी उसने मुसकुराते हुए धैर्य के साथ सहा. हालाँकि उसने मुझ से एक दरिद्र डॉक्टर से शादी की, लेकिन उसे भौतिक सुखों का पूरी तरह से आनंद लेने के लिए पर्याप्त समय मिला. मैंने शुरू से ही उसे जीवन में आर्थिक स्थिरता दी, भले ही विलासिता न दे सका.”

लुईसा के बाद जीन एलिजाबेथ लेकी जो थोड़ा पहले से उनके जीवन में आ चुकी थीं आर्थर कॉनन डॉयल की दूसरी पत्नी बनीं. उनके बारे में भी ‘मेमोरीज़ एँ ड एडवेंचर्स (1923)’ में आर्थर कॉनन डॉयल ने लिखा:

“18 सितंबर, 1907 को मैंने मिस जीन लेकी से विवाह किया, जो ब्लैकहीथ परिवार की छोटी बेटी थी, जिसे मैं वर्षों से जानता था, और जो मेरी माँ और बहन की प्रिय मित्र थी. कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें व्यक्त करना बहुत ही मुश्किल होता है, और मैं केवल इतना कह सकता हूँ कि बिना किसी छाया के इतने वर्ष भारतीय गर्मियों की धूप में जो मैंने घर से निश्चिंत होकर बिताए थे वह अब एक सुनहरी शरद ऋतु में बदल गए हैं. उसने और मेरे तीन छोटे बच्चों ने, मेरे दो बड़े बच्चों की समझदार-साझेदारी के साथ मेरे घर को एक आदर्श रूप से खुशहाल बना दिया है.“

आर्थर कॉनन डौयल परिवार केंद्रित रहे, लेकिन वे इतना विपुल तभी लिख सके जब जीन ने लुईसा और अपने पाँचों बच्चों को सहेज कर रखा.

 

 

8.
ऑस्कर वाइल्ड (Oscar Wilde) – 1854-1900

कोंस्टेन्स वाइल्ड

The statue of Constance Lloyd in 2013 courtesy Wikipedia.

क्या? पार्क ऑस्कर वाइल्ड के रंगीन मोन्यूमेंट के सामने जो एक काँस्य काली मूर्ति नग्न गर्भवती स्त्री थी वो कॉन्स्टेन्स वाइल्ड की थी? यकीन नहीं होता! डबलिन बड़ा अजीब मिज़ाज का शहर है. भई क्या कहना चाहते हो?

व्यंगयबाज़ गजब होते हैं डब्लिनर! अपने शहर के लेखकों को प्यार किया मगर उनकी अराजकता के लिए बख्शा नहीं!!

निश्चित ही आदर्श पति और उसका आदर्श परिवार. बड़े चाव से ब्याह कर आई थी वह इस घर में. सुंदर, बड़ी आंखों वाली कॉन्स्टेंस, ने जिस सलीके से ऑस्कर वाइल्ड का घर संभाला. बच्चों का पिता बनाया. 1888 में क्रिसमस के दिन एक तस्वीर ली गई थी जो ऑस्कर वाइल्ड के गृह-संग्रहालय में लगी है. दोनों बेटे और वे दोनों. वाइल्ड्स के सुंदर घर का दौरा करते हुए, डब्ल्यूबी येट्स ने एक पूर्ण सामंजस्य वाले जीवन को देखा था. कहा था – “यह कला और सुख का संयोजन है. इसके बाद भी किसी को और क्या चाहिए?” येट्स का अवलोकन चतुर और भाँपने वाला था. 1888 में, कॉन्स्टेंस लॉयड, ऑस्कर वाइल्ड को नौ साल से जानती थी; वह चार साल से उससे विवाहित थी. अपने शानदार पति के लिए उसका प्यार (“जब तक मैं जीवित रहूँगी, तुम मेरे प्रेमी रहोगे,” उसने 1883 में उसके प्रस्ताव के जवाब में लिखा था) पूरी तरह से वापस आ गया था. ऑस्कर ने भी अपनी शादी के कुछ समय बाद ही उससे कहा, “मैं तुम्हारे बिना अधूरा महसूस करता हूँ.” एक गर्वित नए पिता के रूप में, वह पुरुष मित्रों को शादी करने के लिए प्रोत्साहित करता था. फिर क्या हुआ कि यह सुंदर स्वर्ग नष्ट हो गया.

1885 में इंग्लैंड में समलैंगिकता कठोर नियम बने. लगभग इसी समय, अपने दूसरे बेटे, विव्यान के कठिन जन्म के बाद उनके बीच दैहिक दूरी आ गई. वाइल्ड्स ने युवा रॉबी रॉस का अपने घर में स्वागत किया. रॉबी, जो जीवन भर दोनों का वफादार दोस्त रहा, ऑस्कर का समलैंगिक प्रेमी बन गया. वाइल्ड्स द्वारा बसाए गए “ग्रीनरी-येलरी, ग्रोसवेनर गैलरी” की दुनिया में यह स्थिति असामान्य नहीं थी. ऑस्कर ने कई युवा पुरुषों को संकेत दिया कि उसकी यौन प्राथमिकताएँ बदल गई हैं; कॉन्स्टेंस ने मासूमियत के साथ उन सभी का पारिवारिक मित्रों के रूप में स्वागत किया. कोई नाव हिली नहीं. बिगड़ैल, स्वार्थी और अपनी प्रतिभा से बेहद प्यार करने वाला, बोसी 1891 में वाइल्ड्स के जीवन में आया. कॉन्स्टेंस, आध्यात्म में डूबी हुई अक्सर घर से अनुपस्थित रहती थी. 1892 की गर्मियों तक, बोसी डगलस ने कॉन्स्टेंस की जगह ले ली थी. लेकिन वाइल्ड के अपने महंगे, उग्र और प्रतिभाहीन युवा प्रेमी के साथ संबंध तोड़ने के बाद यह कॉन्स्टेंस ही थी जो लॉर्ड अल्फ्रेड की दलीलों के आगे झुक गई. फरवरी 1894 में, उसने उसे वापस आने के लिए आमंत्रित किया.

1895 में, जब वाइल्ड अपनी प्रसिद्धि के शिखर पर थे, तब उनके पतन में बोसी द्वारा निभाई गई अपमानजनक भूमिका ही थी जिसने वाइल्ड से अपने ही पिता लॉर्ड क्वींसबेरी पर मुकदमा चलाने का आग्रह किया था. लेकिन मुकदमा उल्टा पड़ गया और वाइल्ड पर दो बार मुकदमा चलाया गया और दूसरे मुकदमे में उसे अभद्रता का दोषी ठहराया गया. उन्हें दो साल की सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई गई, जो अधिकतम सज़ा थी. वाइल्ड को 1897 में जेल से रिहा कर दिया गया और वह तुरंत फ्रांस चले गए, जहां उन्होंने अपना शेष जीवन बिताया.

यह बोसी ही थी जिसने वाइल्ड की शादी की विफलता के लिए उसे जिम्मेदार ठहराकर कॉन्स्टेंस की प्रतिष्ठा को सबसे अधिक चोट पहुंचाई. वह जेल में वाइल्ड से मिलने गई थी. जब वह जेल से बाहर निकला तो उसने ही उसका खर्च उठाया. उसने वाइल्ड को घर लौटने के लिए कहा और फिर बच्चों के साथ सुख से रहने का प्रस्ताव दिया. मगर बोसी फिर से सामने आ गया, तो कॉन्स्टेंस ने वाइल्ड पर केवल “पानी की तरह कमजोर” होने का आरोप लगाया. और उसे हमेशा के लिए बच्चों के साथ देश छोड़ कर चली गई. कॉन्स्टेंस की मृत्यु निर्वासन में 39 वर्ष की आयु में हो गई . वाइल्ड ने जेनोआ में उनकी कब्र पर फूल चढ़ाए. अपनी रिहाई के तीन साल बाद और पत्नी की मृत्यु के दो साल बाद वाइल्ड की पेरिस में मैनिंजाइटिस से मृत्यु हो गई.

 

 

9.
सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud) – 1856-1939

मिन्ना और मार्था फ्रायड

हैम्पस्टेड लंदन के फ्रॉयड म्यूजियम में मार्था फ्रायड हैं, वॉक पर, लिविंग रूम में साथ बैठे, परिवार के साथ और अकेले भी. यहाँ मार्था का कोई धुंधला पक्ष नहीं है, वह घर की मालकिन है ठसकदार. वे अपनी गृहस्थी में सहेजे हैं सिगमंड की भीतर बाहर की दुनिया और ढेर इकट्ठा कबाड़ भी. उसके चेहरे पर मुस्कान है और माथे पर दो तेवर से बनी झुर्रियाँ. मार्था जो फ्रायड के जाने के बाद भी अपनी समलैंगिक डॉक्टर बेटी एना को समझते हुए उसके साथ बनी रहीं.

मार्था का जन्म 26 जुलाई, 1861 को जर्मनी के हैम्बर्ग में हुआ था. उनका पालन-पोषण एक सख्त रूढ़िवादी यहूदी परिवार में हुआ था. कला और साहित्य में उनकी काफी रुचि थी जिसकी फ्रायड ने सराहना की. मार्था और फ्रायड की राहें अप्रैल 1882 में, उसके इक्कीसवें जन्मदिन से ठीक पहले, एक-दूसरे से टकराईं, जब फ्रायड की बहनों ने उसे घर में रहने के लिए आमंत्रित किया. एक शाम रात्रि भोज के दौरान सिगमंड ने मार्था को देखा और उससे अपनी नजरें नहीं हटा सका. उसकी कृपा और बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर, उसे पहली नजर में प्यार का अनुभव हुआ. इस मुठभेड़ के बाद, फ्रायड ने मार्था को विभिन्न भाषाओं में दैनिक गुलाब और कविताएँ भेजकर उसका आदर करना शुरू कर दिया. सैर-सपाटे और जैसे-जैसे उनका आपसी आकर्षण बढ़ता गया, वे एक साथ भविष्य की कल्पना करने लगे. उन्होंने सगाई को गुप्त रखा और केवल करीबी दोस्तों को ही इस बारे में बताया.

एक शोध करियर की चुनौतियों को महसूस करते हुए, फ्रायड ने मार्था के साथ अधिक स्थिर भविष्य के लिए डॉक्टर बनने का फैसला किया. उन्होंने वियना जनरल अस्पताल में तीन साल बिताए जबकि मार्था अपने परिवार के साथ हैम्बर्ग चली गईं. शारीरिक अलगाव के बावजूद, वे प्रतिदिन पत्रों का आदान-प्रदान करते थे, अपने बंधन को मजबूत करते थे और मनोविश्लेषणात्मक विचारों पर चर्चा करते थे.चार साल के बाद, उन्होंने हैम्बर्ग में शादी की और उनके छह बच्चे हुए: मैथिल्डे, जीन मार्टिन, ओलिवर, अर्न्स्ट, सोफी और अन्ना. दोनों समर्पित माता-पिता थे.

लेकिन फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिक निकोल रोसेन द्वारा लिखित ‘मिसेज फ्रायड: ए नॉवेल’ जब छपा तो बौद्धिक हलकों में हलचल मैच गई. यह 1946 की बात है, सिगमंड फ्रायड की मृत्यु के सात साल बाद. अमेरिकी पत्रकार मैरी हंटिंगटन स्मिथ ने फ्रायड की पत्नी मार्था से उनकी जीवनी लिखने का प्रस्ताव रखा. श्रीमती फ्रायड ने मना कर दिया, लेकिन दोनों में दोस्ती हो गई और मार्था मैरी को “ऑफ द रिकॉर्ड” पत्र लिखने के लिए सहमत हो गई. ‘मिसेज फ्रायड: ए नॉवेल’  एक अद्भुत पत्रात्मक उपन्यास है, जो एक ऐसी महिला का व्यावहारिक, जटिल चित्रण है जो आम तौर पर सिगमंड फ्रायड के जीवन में एक रीढ़ की भूमिका निभाती है. जो बस श्रीमती फ्रायड के नाम से जानी जाती है लेकिन निकोल रोसेन के उपन्यास में मार्था के नाम से सामने आती है. इन अध्यायों में पाठक मार्था की नजर से सिगमंड, बेटी अन्ना, कार्ल युंग और मनोविश्लेषण की दुनिया की अन्य प्रसिद्ध हस्तियों को अलग कोण से देखता है. मैरी को लिखे मार्था के पत्रों के बीच वैकल्पिक रूप से ऐसे भी अध्याय हैं जिनमें मार्था अपने जीवन की घटनाओं पर निजी तौर पर विचार करती है और एकालाप कर रही है. इन अध्यायों में वह सब आता है कि जब वह सिगमंड के लिए बाजार में बढ़िया-ताज़ा माँस, सब्जियां चुन रही थी तो उसकी अपनी बहन मिन्ना, उसके पति सिगमंड की बौद्धिक साथी के रूप में उसकी जगह ले रही थी. यह सब इस किताब में आता है.

शुरू से ही, फ्रायड का अपनी होने वाली साली, मिन्ना बर्नेज़ के साथ बहुत दोस्ताना रिश्ता था, मिन्ना चतुर, मजाकिया और स्मार्ट थी, और फ्रायड के साथ उसकी दोस्ती सालों तक जारी रही; वे न केवल 40 साल तक एक ही घर में रहे – वह बहन के परिवार के साथ लंदन भी चली आई. मिन्ना का छोटा-सा सोने का कमरा सिगमंड और मार्था के बेडरूम के ठीक बगल में था, और केवल एक पतली विभाजन रेखा से अलग था, दीवार और दरवाज़े से नहीं. मिन्ना के कमरे तक पहुँचने का एकमात्र रास्ता उस बेडरूम से होकर गुजरना था.

कार्ल जी. युंग के साथ, भी मिन्ना की दोस्ती थी. जिन्होंने यह दावा किया था और फिर 1957 में एक साक्षात्कार में इसे रिकॉर्ड में डाला- युंग ने 1907 में बर्गगैस में अपनी पहली यात्रा के दौरान मिन्ना से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि मिन्ना ने कुछ दिनों बाद उनके सामने अपने रिश्ते को कबूल किया, क्योंकि वह इसके लिए दोषी महसूस कर रही थी. क्या युंग का विवरण विश्वसनीय था? नहीं, वास्तव में नहीं. युंग और फ्रायड के बीच मतभेद हो गए थे और युंग ने फ्रायड को बदनाम करने के लिए ये तरीके अपनाए (हालांकि फ्रायड ने भी ऐसा ही किया). वैसे भी, सोचने वाली बात है मिन्ना अपने जीजा के प्रतिद्वंद्वी के सामने अपनी गलती क्यों स्वीकार करेगी?

 

 

10.
जेम्स जॉयस (James Joyce) – 1882-1941

लूसिया जॉयस
वह एक लेखक की बैलेरीना बेटी थी.

Lucia Joyce, Paris, 1925 courtesy themorgan.org/

वह एक सच्चे अर्थों में आवांगार्द थी, कलाओं में प्रयोगवादी और बौद्धिकता में पिता से कहीं आगे. उसे पिता के होने के चलते उसे पेरिस का बेहतरीन माहौल मिला. वह भी तब जब युवा अवांगार्द दौड़ कर पेरिस आने को तरसते थे. वह सुंदर माँ और प्रतिभावान पिता की बेटी थी. लूसिया का जन्म ट्रिस्टे, इटली में हुआ था, जहाँ जेम्स जॉयस और नोरा बार्नकल 1904 में डबलिन छोड़ने के बाद रहते थे. उनके पहले से एक बड़ा बेटा, जियोर्जियो था.
एक मुफलिसों के ठंडे अस्पताल में 26 जुलाई 1907 को जेम्स जॉयस और नोरा की बेटी लूसिया जन्म लेती है. तब जेम्स मियादी बुखार में लगभग अचेत है. नोरा के पास बच्ची को गरम रखने तक के कपड़े नहीं हैं. उस पर बच्ची हल्की-सी भैंगी है, नोरा को जीवन की अनगिनत विषमताओं के बीच इस बच्ची का जन्म बोझ लगता है. पैसा है नहीं, आस-पास कोई अपना मित्र या रिश्तेदार नहीं है. बच्ची बस लिथड़ कर पलती रहती है अपने माता-पिता के अनिश्चित भविष्य और यूरोप भर में कहीं भी बस जाने के भटकाव के बीच. उसका मस्तिष्क अतिरिक्त रूप से सजग है मगर अवचेतन में खलल आ गए हैं. उसने किशोरावस्था में कुछ न्यूरोटिक संकेत देने शुरू कर दिए थे, जो आगे जाकर स्किज़ोफ्रेनिया की तरह डायग्नोज़ हुए. इस बात पर माता-पिता अनजान हैं, उनको फुरसत नहीं है.

जब लूसिया किशोरी होती है तो उसके पिता जेम्स जॉयस – अपनी पत्नी नोरा बार्कनल के साथ पेरिस आ बसते हैं. पिता-पुत्री में एक अच्छा रिश्ता पनपता है दोनों सुपर जीनियस जो हैं. लूसिया की देह में लचक है वह डांस सीखती है. कहाते हैं वह कम बोलती थी नाचती अधिक थी. जब वह नर्वस होती उसका भैंगापन बढ़ जाता था. वह उलझी हुई इंसान तो थी ही, साथ ही अकसर बीमार पड़ जाती. इस कारण वह पिता की प्यारी थी, लेकिन माँ नोरा का उससे लगाव बस ऊपरी था. वह बेटे को अधिक चाहती थी. लूसिया की किशोरावस्था जितनी मुश्किल उतनी रोचक थी. 1920 के पेरिस में जवान होना, जब विश्व के सबसे रोचक लोग वहाँ आ कर बस रहे रहे थे. हेमिंग्वे, इज़ाडोरा डंकन, जॉं रेनवां, एक अवांगार्द दुनिया उसके आगे थी. लूसिया उस तरंग पर सवार थी जो उसे पेरिस की सबसे सफल और आकर्षक नर्तकी बना सकती थी. वह वहाँ की सामाजिक गतिविधियों और पार्टियों में आनंद ले रही थी. वह नृत्य को समय देती, प्रयोग करती, कविताएँ लिखती. उसने कई बेहद जादुई कलात्मक नृत्य संरचनाएँ कीं. टिन का सिपाही, फुल कैपेसिटी और भी…. अपनी अनूठी पोशाकें तैयार कीं. उसने खुद को पहचानना शुरू कर दिया.

तभी अचानक उसके पिता के पास सैम्युल बैकेट नाम का एक युवक ‘फिनेगन वेग’ के लेखन में फ्रेंच ट्रांसलेशन में सहायता करने चला आया. दोनों के बीच हलका-फुलका फ़्लर्ट चल रहा था जब लूसिया सीरियस होने लगी बैकेट ने कहा – वह उसके लिए यहाँ नहीं आता है उसके पिता के लिए आता है. वह उससे दूरी बरतने लगा. उसकी भंगुर मानसिक स्थिति को ज़ोर का झटका लगा और वह बिखर गयी. वह जेम्स जॉयस नाम के पिता की पुत्री थी और सैम्यूअल बैकेट नाम के युवा से प्रेम में. पिता सब कुछ संभाल सकता था. मगर चिरागों के तले का अंधेरा बन कर रह गयी लूसिया.

फिर भी उसने सहेजा खुद को. दूसरा विश्वयुद्ध आरंभ हुआ परिवार को लेकर जॉयस ज्यूरिख चले गए मगर लूसिया पेरिस में रही. लोग कह रहे थे कि एक बैलेरीना और कोरियोग्राफर के रूप में वह एक महान प्रतिभा थी. उसने बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में यूरोप में कई अकादमियों और कुछ सबसे नवीन और प्रयोगात्मक समूहों में अध्ययन किया, इनमें इज़ाडोरा डंकन के भाई की कंपनी भी शामिल थी. लूसिया रेमन डंकन के संपर्क में आई, उसके बाद मंच पर उसकी प्रस्तुतियाँ उसे प्रसिद्धि के शिखर पर ले जा रही थीं.

लेकिन दो साल की अवधि में, लूसिया को तीन लोगों ने प्रेम में अस्वीकार कर दिया: उसके पिता के प्रशिक्षु, सैमुअल बेकेट, कलाकार अलेक्जेंडर काल्डर, और अल्बर्ट हबबेल, एक अन्य कलाकार जिसने उसे अपनी रखैल के रूप रखा था, बाद में अपनी पत्नी के पास लौट गया. थोड़े समय के लिए उसकी एक युवा रूसी से सगाई भी हुई थी, लेकिन उसके तुरंत बाद रिश्ता टूट गया. इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से लूसिया की मानसिक दशा असंतुलित होने लगी उसने खुला और हिंसक यौन रवैया दिखाना शुरू कर दिया, एक अवसर पर, उसने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वह समलैंगिक थी. माता-पिता के पास जाने पर उसने कई मौकों पर घरों में आग लगाने की कोशिश की, वह खाने की मेज पर उल्टी कर देती थी और एक बार, वह अपने घर से भाग गई और कुछ दिनों तक डबलिन की सड़कों पर रही जैसे कि वह बेघर हो. अपने पिता के पचासवें जन्मदिन पर लूसिया ने अपनी माँ पर कुर्सी फेंकी, जिसके बाद उसके भाई ने उसे एक मनोरोग संस्थान में ले जाने का फैसला किया. वहाँ डॉक्टरों ने कहा वह एक जीनियस है और लूसिय का मामला असामान्य नहीं है. पागलपन और कलात्मक सृजन के तयार अलग-अलग तरीकों से गहराई से जुड़े हुए हैं. अक्सर ऐसा होता है कि कलाकारों का मन उस पतली रेखा को छू लेता है. और कई बार तो ये उससे भी आगे निकल जाता है. उस समय जॉयस लिख रहे थे, उनको चिंता थी कि उनके आखिरी उपन्यास ‘फिननेगन्स वेक’ का क्या होगा – एक ऐसा कथानक जिसके बारे में जॉयस के कई जीवनीकारों का मानना है कि यह उनकी बेटी से प्रेरित था.

जॉयस के करीबी दोस्त कहते थे कि अंतिम वर्षों के दौरान भी उसका अपने पिता के साथ बेहद करीबी रिश्ता था. जब जॉयस अपनी बेटी के बारे में बात करते थे, तो वह उसके फिट्स को “किंग लियर के दृश्य” के रूप में संदर्भित करते थे. उन्होंने उसे हमेशा एक शानदार कलाकार, एक अद्भुत व्यक्ति का मान देकर उसकी प्रतिभा का बचाव किया. 1934 में कार्ल युंग ने लूसिया का इलाज किया. अपनी नियुक्ति के बाद, जॉयस ने इस स्विस डॉक्टर से पूछा:

“डॉक्टर युंग, क्या आपने देखा है कि मेरी बेटी भी मेरे जैसे ही पानी में डूबी हुई लगती है?”
जिस पर उन्होंने उत्तर दिया:

“हाँ, लेकिन जहाँ आप तैर कर बाहर आ जाते हैं, वह नीचे डूब जाती है.”

बार्बिट्यूरेट्स से उपचारित होने और एक नर्तकी के रूप में अपना काम जारी रखने में असमर्थ लूसिया को 1935 में पेरिस के बाहरी इलाके में स्थित एक मानसिक अस्पताल में ले जाया गया. बाद में, उसका परिवार उसे नॉर्थहैम्प्टन के एक अन्य क्लिनिक में ले गया, जहाँ उसने अपना शेष जीवन बिताया. 1982 में उनकी मृत्यु हो गई. इस साहित्यिक प्रतिभा की बेटी ने अपने अंतिम दिन गहरे अकेलेपन में बिताए (उनका परिवार कभी-कभार ही उनसे मिलने आता था). जब वह अपने आखिरी मनोरोग अस्पताल में रह रही थी तब सैमुअल बेकेट ने उससे मुलाकात की. उसके अस्पताल की फ़ीसें भरीं. 1989 में, जब सैमुअल बेकेट की मृत्यु हुई, तो उनके सामान में मछली की पोशाक पहने एक बैलेरीना की तस्वीर मिली थी. यह तस्वीर लूसिया जॉयस की थी.

 

प्रसिद्ध कथाकार  मनीषा कुलश्रेष्ठ के कई कहानी संग्रह और उपन्यास प्रकाशित हैं, उन्होंने अनुवाद भी किया है. वह कथक में विशारद हैं.
manishakuls@gmail.com
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Comments 7

  1. Yatish Kumar says:
    2 months ago

    पुरुष अप्रैल होते हैं जब प्रेम करते हैं, दिसंबर हो जाते हैं, शादी करके।
    माँ के बिस्तर के बाद दूसरा सुरक्षित बिस्तर.
    वर्ड़सवर्थ विवाह और बच्चों के साथ अभाव में नहीं जीना चाहते थे।उन्होंने डव कॉटेज छोड दिया थोड़े बड़े और फिर और बड़े मकान ‘रायडल माउंट’ में अंबलसाइड आ बसे. डोरोथी अकेले पीछे छूट गई और वे रोमेंटिक्स की धारा के कवियों में प्रमुख बन कविता के आकाश पर छा गए।

    जेन आस्टेन तो स्वयं विक्टोरियन नैतिक मूल्यों की और दबावों की शिकार रहीं कि उनके उपन्यास में ‘मैरिज और सूटर’ शब्द जितनी बार आए उतना कुछ नहीं आया है।
    उसकी कल्पना ने अंग्रेजी साहित्य के उदात्त और हर स्त्री के मन के योग्य इन नायकों को रचा डार्सी, नाइटली, वेंटवर्थ वगैरह…वगैरह और अपने एकांत में इकतालीस साल की उम्र में लिखते-लिखते ही मर गयीं।

    तुम्हें सिर्फ मेरी होना होगा. यदि तुम्हें सूली पर चढ़ने के लिए भी मैं कहूँ तो तुम्हें मानना होगा.“
    जब बच्चे बड़े हुए और पति की मृत्यु हुई तो उन्होंने अपने बच्चों को कीट्स द्वारा लिखे गए अंतरंग पत्रों को सौंप दिया।
    ये पत्र कीट्स की मृत्यु के सत्तावन साल बाद 1878 में प्रकाशित हुए, तो यह पहली बार था जब लोगों ने फ़ैनी ब्रॉन के बारे में सुना था, लेकिन हमेशा की तरह मीडिया ने उनमें से बस विष चुना।जबकि फ़ैनी ब्रॉन द्वारा कीट्स को लिखे गए कोई भी पत्र नहीं बचे थे।

    “मेरे जीवन का एक पृष्ठ जिस पर एक बार इबारत लिखी गई, अब वह बिल्कुल खाली हो गया है, और यह दिखावा करना मेरे बस में नहीं है कि इस पर एक भी शब्द शेष है.“
    चार्ल्स डिकेन्स के जीवन का यह स्याह पक्ष साक्ष्यों के साथ उपलब्ध है और कैथरीन की चुप्पी 48-49 डौटी स्ट्रीट वाले म्यूजियम बना दिए गए घर में रखी फिरोज़े की अंगूठी और उस छोटी-सी कितबिया के आस-पास छाई है– आज रात के खाने में क्या बनेगा?

    हालाँकि “ऐलिस इन वंडरलैंड” को आम तौर पर एक उत्कृष्ट कृति और बच्चों के लिए उपयुक्त एक मासूम परीकथा माना जाता है, लेकिन जो इसके अर्थ हैं वे जटिल हैं।एक हस्तलिखित पत्र ने भी कैरोल को मुसीबत में डाला था, जिसमें उन्होंने एलिस से स्पर्श की चाहना व्यक्त है. भले उन पर उन पर कभी कोई आरोप नहीं लगा, लेकिन प्रश्न उठने थे सो उठे।

    क्या तुम उस सुखद पल को भूल गई हो? ओह, तुम्हारे गाल कितने प्यारे थे!”
    गूगल पर यह पत्र पढ़ कर बचपन से मेरे मन के कोने में छिपा बैठा ‘एलिस इन वंडरलैंड’ का सफेद खरगोश कूद कर भाग गया था।

    आर्थर कॉनन डौयल परिवार केंद्रित रहे, लेकिन वे इतना विपुल तभी लिख सके जब जीन ने लुईसा और अपने पाँचों बच्चों को सहेज कर रखा।

    1895 में, जब वाइल्ड अपनी प्रसिद्धि के शिखर पर थे, तब उनके पतन में बोसी द्वारा निभाई गई अपमानजनक भूमिका ही थी जिसने वाइल्ड से अपने ही पिता लॉर्ड क्वींसबेरी पर मुकदमा चलाने का आग्रह किया था।लेकिन मुकदमा उल्टा पड़ गया और वाइल्ड पर दो बार मुकदमा चलाया गया और दूसरे मुकदमे में उसे अभद्रता का दोषी ठहराया गया।उन्हें दो साल की सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई गई

    जब जॉयस अपनी बेटी के बारे में बात करते थे, तो वह उसके फिट्स को “किंग लियर के दृश्य” के रूप में संदर्भित करते थे. उन्होंने उसे हमेशा एक शानदार कलाकार, एक अद्भुत व्यक्ति का मान देकर उसकी प्रतिभा का बचाव किया. 1934 में कार्ल युंग ने लूसिया का इलाज किया।

    इस साहित्यिक प्रतिभा की बेटी ने अपने अंतिम दिन गहरे अकेलेपन में बिताए (उनका परिवार कभी-कभार ही उनसे मिलने आता था)।जब वह अपने आखिरी मनोरोग अस्पताल में रह रही थी तब सैमुअल बेकेट ने उससे मुलाकात की. उसके अस्पताल की फ़ीसें भरीं।1989 में, जब सैमुअल बेकेट की मृत्यु हुई, तो उनके सामान में मछली की पोशाक पहने एक बैलेरीना की तस्वीर मिली थी. यह तस्वीर लूसिया जॉयस की थी।

    यह पूरा लंबा आलेख पैरा दर पैरा परदा उठाने जैसा है। साहित्य की जमीन को खोदकर यथार्थ के बक्से को सामने सबके सामने खोलने जैसा है । मनीषा की पठनीयता को सलाम। समाज भूगोल से परे एक जैसा ही है चाहे पूरब हो या पश्चिम ।

    समालोचन का शुक्रिया ऐसे पोस्ट आते रहें

    Reply
  2. Priyanka Dubey says:
    2 months ago

    मैंने यह पूरा लेख पढ़ा – जिसे पूरा ख़त्म करने में थोड़ा समय लगा लेकिन बहुत ही rewarding रीड थी ! Manisha जी ने जिस तरह लेखकों और देशकाल का इतना लम्बा वितान इस लेख में समेटा है, वह अपने आप में एक मुश्किल काम है। यह लेख थोड़ा डराता और बहुत शिक्षित भी करता है। डर इसलिए कि महानता के इस नेपथ्य के बारे में अब आज की पीढ़ी इतना ज़्यादा जागरूक है कि मुझे लगता है कि आने वाले समय में लोग किसी पुरुष कलाकार से विवाह या संबंध को एक साहसिक कदम घोषित करने लगेंगे। ऐसा इसलिए नहीं है कि सभी कलाकार या लेखक बुरे होते हैं….ऐसा नहीं है और इस लेख में भी यह बात सामने आती ही है। लेकिन यह जो महानता के नेपथ्य में अंधेरा पाए जाने की टेंडेंसी है (think of naipaul’s behaviour towards his wife pat, think Picasso …the examples are endless) यह बहुत डरा देने वाली है। हमारी पीढ़ी के साथ समस्या यह है कि हमारे पास इतनी बैकग्राउंड नॉलेज है और इस संदर्भ में फेमिनिस्ट या मनुष्यता के आधार पर भी – तमाम डिस्कोर्स हमारे देखे पढ़े हुए हैं। लेकिन फिर भी जीवन जीना है…जीवन में कला है और पुरुष कलाकार भी हैं। और अगर आप एक हेट्रोसेक्सुअल इंसान हैं तो आपको अपोज़िट जेंडर से प्रेम भी होगा…कुछ मामलों में विवाह भी हो सकता है। ऐसे में मैं समझती हूँ कि इतना सब जानते बूझते आज की तारीख़ में किसी कलाकार से प्रेम जान की बाज़ी लगाने जैसा है – अगर कलाकार महान हुआ तब तो बिल्कुल ही 😃 हालाँकि कनाउंसगार्ड वग़ैरह के सघन पारिवारिक जीवन का उदाहरण देखकर यह भी लगता है कि दुनिया में फिर से प्रेम में स्थायित्व पर ज़ोर आने लगा है। लेकिन जैसा कि मनीषा जी के लेख से स्पष्ट है : प्रेम का स्वभाव ही अप्रत्याशित है। इसमें इंसान का क्या बनेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। आपको और अरुण जी को शुकिया इतना विचारोत्तेजक पीस पढ़वाने के लिए!

    Reply
  3. Sawai Singh Shekhawat says:
    2 months ago

    अंग्रेजी साहित्य के अदेखे अनजाने गलियारे को मनीषा जी ने जिस तथ्यपरक ढंग से महानता के परिसर के नेपथ्य में जाकर आविष्कृत किया है वह चकित करता है।साहित्य इतिहास की वे तमाम अनाम अदृश्य नायिकाएँ जैसे अपनी सिसकियों और आहों के साथ आ खड़ी हुई हों-एक एक कर उन विभूतियों से अपने होने न होने का हिसाब माँगती हुई।मनीषा सच्चे अर्थों में इस आलेख के लिए बधाई की पात्र हैं।

    Reply
  4. Amita Sheereen says:
    2 months ago

    किसी महान लेखक को ठीक से समझना हो तो उसके साथ की स्त्रियों के बारे में जानिए! हिंदी साहित्य में ऐसा लेख कब लिखा जाएगा?? Manisha Kulshreshtha जी 🪻 शानदार आलेख 🩷

    Reply
  5. ऐश्वर्य मोहन गहराना says:
    2 months ago

    इसे पढ़ने में मुझे दो दिन लगे।
    इस आलेख को पढ़ते हुए, मैं उनके सम्मोहन में था। खासकर तब जब मैं, पिछले चार दिन मनीषा जी के मार्गदर्शन में होने वाले कथाकहन-5 के आयोजन में मदद करने के लिए कनोता कैंप रिज़ॉर्ट में था। इस लिए इस लेख पर बात नहीं करूंगा। कुछ और कहता हूँ जो इस संदर्भ से जुड़ता हो।

    लेखन के लिए हमेशा आपके साथी की जरूरत रही है। मुझे कोई सफल होता साहित्यकार नहीं दिखता, जिसे अपने साथी का सहयोग नहीं मिला हो। यह जरूरी नहीं है, वह साथी पति या पत्नी हो। मगर वह साथी प्रायः उस प्रसिद्ध -सफल आभा के हाशिए पर रहता है और प्रायः गुमनामी के क्षैतिज की ओर जाता दिखाई देता है। यहाँ सभी साथी पाठक इस बात पर प्रसन्न है, अङ्ग्रेज़ी सहियाकारों के नेपथ्य में हम झांक रहे हैं। मगर हमारे हिन्दी के नेपथ्य में यह तांक- झांक इन पाठकों को बुरी मालूम होती है। इस आलेख की सफलता तब है, जब हम हिन्दी साहित्यकारों के चरण-वंदन से आगे बढ़कर उनके नेपथ्य में एक चक्कर लगा आएं।
    मनीषा जी तो खैर मल्लिका से मिल आई हैं। लेकिन शेष॥

    फिर यह पुरुष साहित्यकारों की स्त्रियों की बात नहीं है, क्या बस स्त्री विमर्श की बासी चटनी ही बनती और चाटी जाती रहेगी।
    इस आलेख को लिखकर मनीषा जी और प्रकाशित कर कर अरुण जी तो सफल हो गए, उम्मीद है यह आलेख भी सफल होगा।

    Reply
  6. Diwa bhatt says:
    2 months ago

    इन उपगाथाओं की खोज और हिंदी के पाठकों को उपलब्ध कराने के लिए मनीषाजी को बहुत -बहुत बधाई! ऐसी जटिल और बिखरी कथाओं को समेटने की अद्वितीय क्षमता दिखाई है उन्होंने।
    सुक्रात और टौल्स्टौय जैसी महान विभूतियों के संदर्भ में भी उनकी पत्नियों के कर्कश, झगड़ालू होने की बात कही जाती है। महानता की छाया में वास्तव में क्या सच बीत रहा था; वह भी उजागर होजाता तो कितना अच्छा होता!

    Reply
  7. Chandni Rani says:
    2 months ago

    Wonderful piece of writing. Worth reading. Please keep up writing such articles through which a student of English Literature gets to know something more than the revealed parts of writers & their writings. How beautifully the author has presented her observations!

    Reply

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