चुप्पियाँ और दरारें : रवि रंजन
लेखक-आलोचक गरिमा श्रीवास्तव के स्त्री-आत्मकथाओं पर प्रकाशित आलेखों ने इधर ध्यान खींचा है. इनमें दलित, मुस्लिम स्त्रियाँ हैं. हिंदी, तमिल, ...
Home » चुप्पियाँ और दरारें: ‘स्त्री आत्मकथा: पाठ और सैद्धांतिकी’ पर एक बहस
लेखक-आलोचक गरिमा श्रीवास्तव के स्त्री-आत्मकथाओं पर प्रकाशित आलेखों ने इधर ध्यान खींचा है. इनमें दलित, मुस्लिम स्त्रियाँ हैं. हिंदी, तमिल, ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum