केशव तिवारी की नदी-केंद्रित कविताएँ
जिनके पास कोई नदी नहीं, वे अ-भागे हैं, जिन्होंने अपनी नदियों को नष्ट कर दिया है वे अपराधी कहलाये जाएंगे. ...
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जिनके पास कोई नदी नहीं, वे अ-भागे हैं, जिन्होंने अपनी नदियों को नष्ट कर दिया है वे अपराधी कहलाये जाएंगे. ...
हिंदी कविता में युवा स्त्री स्वर यौनिकता को लेकर सचेत है और मुखर भी. देखना यह होता है कि कविता ...
साहित्य एवं कला की पत्रिका ‘क’ के संपादक विजय शंकर को दुनिया जानती है. क्या कवि विजय शंकर से हम ...
बीसवीं शताब्दी को प्रसिद्ध इतिहासकार एरिक हॉब्सबॉम ने अतियों का युग (The Age of Extremes) कहा है. 21वीं शताब्दी में ...
कविताओं के कथ्य और शिल्प में जब बदलाव सामूहिकता में लक्षित हों तब उसे नये नाम से पुकारने की जरूरत ...
पिछले वर्ष संभावना प्रकाशन से विनोद पदरज का चौथा कविता संग्रह- ‘आवाज़ अलग अलग है’ प्रकाशित हुआ था, दुर्योग से ...
कविताएँ प्रतीकों का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें बदल भी देती हैं और उनके सामने प्रतिरोध में खड़ी भी हो जाती ...
नेहल शाह, फ़िजिओथेरेपिस्ट हैं, भोपाल में रहती हैं. कविताएँ लिखतीं हैं और कला के क्षेत्र में रुचि रखती हैं. उनकी ...
हिंदी में असंगतता (Absurd) के साहित्य के प्रस्तोता भुवनेश्वर की अपनी ख़ुद की कहानी कम त्रासद नहीं है. विराट प्रतिभाएं ...
असम राज्य के सुदूर कार्बी आंगलोंग जिले से हिंदी में कविता लिखने वाले चन्द्र मोहन का परिचय बस इतना ही ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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