क़ुफ्र-ओ-ईमां के शायर पंडित हरिचंद अख़्तर : पंकज पराशर
‘ख़ुदा तो खैर मुसलमाँ था उससे शिकवा क्यामेरे लिए, मेरे परमात्मा ने कुछ न किया.’भारतीय मनीषा के लिये ईश्वर किसी ...
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‘ख़ुदा तो खैर मुसलमाँ था उससे शिकवा क्यामेरे लिए, मेरे परमात्मा ने कुछ न किया.’भारतीय मनीषा के लिये ईश्वर किसी ...
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