कूप मंडूक : अम्बर पाण्डेय
अम्बर पाण्डेय अपनी कविताओं के लिए प्रशंसित और पुरस्कृत हैं. हालाँकि अभी उनका कोई कहानी-संग्रह नहीं आया है पर संग्रह लायक उनके पास कहानियाँ भी हैं. समालोचन पर ही पिछले...
अम्बर पाण्डेय अपनी कविताओं के लिए प्रशंसित और पुरस्कृत हैं. हालाँकि अभी उनका कोई कहानी-संग्रह नहीं आया है पर संग्रह लायक उनके पास कहानियाँ भी हैं. समालोचन पर ही पिछले...
अरुणाचल प्रदेश समृद्ध और विविधता से भरपूर है. संपर्क भाषा के रूप में हिंदी से जुड़ाव के बावजूद अपरिचय अभी भी बना हुआ है. लेखिका रीतामणि वैश्य ने वहाँ के...
अपर्णा दीक्षित हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखती हैं. EPW सहित कई पत्रिकाओं में छपती रही हैं. उनकी यह कहानी एक अरब स्त्री के जन्म और उसकी फांसी के...
निधि अग्रवाल पेशे से चिकित्सक हैं. कविताएँ भी लिखती हैं. यह कहानी भी इसकी तसदीक़ करती है. हिंदी में कवि-कथाकारों की पुष्ट परम्परा है. आज के कई महत्वपूर्ण कथाकार इस...
ख़ुर्शीद अकरम 'आजकल' उर्दू के संपादक रहे हैं. ‘सात जुमेरात’ कहानी मूल रूप से उर्दू में लिखी गई है और लेखक द्वारा खुद उसका हिंदी रूपांतरण किया गया है. उनकी...
आकार में छोटी कहानी कैसे बड़ी हो सकती है, नरेश गोस्वामी की कहानी ‘कौंध’ इसका अच्छा उदाहरण है. इसके विस्तार की इसमें संभावनाएं थी, पर नरेश ने अन्तर-कथाओं को पाठकों...
‘पुरस्कार’ को प्रेम और राष्ट्र-प्रेम के द्वंद्व की कहानी के रूप में देखा जाता रहा है. इसके प्रकाशन के शतवर्ष पूरे होने को ही हैं. वरिष्ठ आलोचक रोहिणी अग्रवाल ने...
यह कहानी नहीं गाथा है. एक महाकाव्य के प्रतिनायक का ऐसा पक्ष जो उसके सामूहिक दाह के वार्षिक शोर में दब गया है. अदालत में रावण खुद अपना वकील है....
मूल कथ्य पर टिकी हुई, यथार्थवादी, मार्मिक और समयोचित संदेश देती हुई. एक बैठकी में पढ़ जाने योग्य. कहानी से आपको और क्या चाहिए ? युवा कथाकार प्रीति प्रकाश की...
कहानियों में प्रयोग का सिलसिला रहा है. कई लेखकों ने मिलकर एक कहानी लिखी तो किसी अधूरी कहानी को दूसरे लेखक ने पूरा किया. प्रसिद्ध कहानियों को नए लेखकों द्वारा...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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