कहानी एक मुहब्बत की: ख़ुर्शीद अकरम
ख़ुर्शीद अकरम उर्दू के प्रसिद्ध लेखक हैं. उनकी यह कहानी इंसानों के बीच घटित होती है, फिर जानवरों में चली जाती है. ख़ुर्शीद अकरम ने बड़े कौशल से कहानी को...
ख़ुर्शीद अकरम उर्दू के प्रसिद्ध लेखक हैं. उनकी यह कहानी इंसानों के बीच घटित होती है, फिर जानवरों में चली जाती है. ख़ुर्शीद अकरम ने बड़े कौशल से कहानी को...
भाषा में जब हत्याएँ भर जाती हैं, उसका फूल मुरझा जाता है, उसमें कांटे उग आते हैं. इसका असर फूल जैसे कोमल मन पर आघात की तरह होता है. इस...
समालोचन पर किंशुक गुप्ता की यह तीसरी कहानी है, उनकी कहानियाँ हिंदी और अंग्रेजी की अन्य पत्रिकाओं में भी इधर छपीं और प्रशंसित हुईं हैं. आगामी पुस्तक मेले में उनका...
राहुल श्रीवास्तव तिग्मांशु धूलिया की कई फिल्मों के संपादक रहे हैं, सैकड़ों की संख्या में विज्ञापन फिल्में (कमर्शियल) बना चुके हैं. पिछले दिनों उनके द्वारा निर्देशित लघु फिल्म ‘इतवार’ चर्चा...
कबीर संजय ने कथाकार के रूप में इधर अपनी पहचान बनाई है, उनकी लम्बी कहानी ‘निम्फोमैनियाक: एक बयान’ इसे और पुख़्ता करती है. यह कहानी अंत तक आते-आते निम्फोमैनियाक की...
कथाकार तरुण भटनागर इतिहास में गहन रुचि रखते हैं, इधर वह मध्यकालीन गुलाम वंश पर आधारित अपने महत्वाकांक्षी उपन्यास ‘शिकारगाह’ पर कार्य कर रहें हैं. इतिहास को आख्यान बनाने की...
राजनीति जब नफ़रत में सन जाती है तब हिटलर पैदा होता है, आउशवित्ज़ घटित होते हैं जहाँ मनुष्यता अपने निम्न स्तर पर गिर जाती है. गरिमा श्रीवास्तव गम्भीर अध्येता हैं,...
2021 में प्रकाशित अपने पहले कहानी संग्रह ‘दुखान्तिका’ से चर्चा में आये नवनीत नीरव शिल्प की सुगढ़ता के लिए प्रशंसित हैं. प्रस्तुत कहानी ‘भँवर’ भी कसी हुई है और अंत...
कृष्ण कल्पित इतिवृत्त को अपनी कविताओं में समकालीन अर्थ देते रहें हैं. इधर उपन्यास की ओर मुड़े हैं. ‘जाली किताब’ उनका आने वाला ‘प्रयोगात्मक’ उपन्यास है. किताबों में किरदार होते...
स्फटिक’ कुमार अम्बुज की कहानी है. जब आप किसी कथा को पढ़ते हैं तो उससे आप क्या उम्मीद रखते हैं? उसका यथार्थ आपको वशीभूत कर ले, जिस आवेग को कथाकार...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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