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व्हाट्सएप इतिहास : कारण और निदान : सौरव कुमार राय

व्हाट्सएप इतिहास : कारण और निदान : सौरव कुमार राय

इतिहास-लेखन कितना संवेदनशील और राजनीतिक है, यह कहने की आवश्यकता नहीं है. रसूल हमज़ातोव (मेरा दाग़िस्तान) ने ठीक ही लिखा था कि ‘अगर तुम अतीत पर पिस्तौल से गोली चलाओगे,...

पक्षधरता का चुनाव और आचरण का संकट : कुमार अम्बुज

पक्षधरता का चुनाव और आचरण का संकट : कुमार अम्बुज

लेखन ही नहीं लेखक का सामाजिक व्यक्तित्व भी वाद-विवाद के विषय रहे हैं. हिंदी साहित्य का मुख्य स्वर अभी भी वैचारिक प्रतिबद्धता का है. इधर अधिकतर ‘साहित्यिक’ आयोजन पूँजी द्वारा...

कला और कलाकार: किंशुक गुप्ता

कला और कलाकार: किंशुक गुप्ता

साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित एलिस मुनरो का लेखन इधर विवाद में आ गया है. उनकी बेटी ने यह आरोप लगाया है कि सौतले पिता ने जब वह...

चन्द्रकिशोर जायसवाल से कल्लोल चक्रवर्ती की बातचीत

चन्द्रकिशोर जायसवाल से कल्लोल चक्रवर्ती की बातचीत

चौरासी वर्षीय चन्द्रकिशोर जायसवाल हिंदी कथा साहित्य में केन्द्रीय हैसियत रखते हुए भी बहुत कम दिखते हैं. उनपर लिखने से न जाने क्यों बचा जाता रहा है. जबकि उनके ग्यारह...

बेजगह की विडम्बना: अच्युतानंद मिश्र

बेजगह की विडम्बना: अच्युतानंद मिश्र

पंक्तियाँ भी कविता से कटकर, सन्दर्भ च्युत होकर कहीं की नहीं रहतीं. वरिष्ठ कवयित्री अनामिका की कविता ‘बेजगह’ कुछ इसी कारण से इधर चर्चा में रही. कविता लिखने का व्याकरण...

लेखक का बल: गगन गिल

लेखक का बल: गगन गिल

हिंदी में लेखक और प्रकाशक के बीच जिस वस्तु की सबसे अधिक उपेक्षा होती है वह है लेखक की बिकी किताबों की रायल्टी. सिर्फ़ पुस्तकों के प्रकाशन से मिली रायल्टी...

परिप्रेक्ष्य : विष्णु खरे (२)

\'देखियो ग़ालिब से उलझे न कोई, है वली पोशीदा और काफ़िर खुला.\'मिथिलेश श्रीवास्तव के कविता संग्रह ‘पुतले पर गुस्सा’ के उमेश चौहान द्वारा लिखित ब्लर्ब पर विष्णु खरे की टिप्पणी पर...

परिप्रेक्ष्य : विष्णु खरे

लोग थर्रा गए जिस वक़्त मुनादी आयीआज पैग़ाम नया ज़िल्ले इलाही देंगे.परवीन शाकिर का यह शेर इधर मुझे बार – बार याद आता है, ख़ासकर जब  विष्णु खरे कुछ कहते...

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