विश्व सिनेमा से कुमार अम्बुज
विश्व सिनेमा से कुमार अम्बुज’ की इस कड़ी में ‘It Must Be Heaven’, ‘Many Beautiful Things’, ‘Coda’, और ‘Christ Stopped at Eboli’ जैसी प्रसिद्ध फ़िल्मों के समानांतर यह वृतांत रचा...
विश्व सिनेमा से कुमार अम्बुज’ की इस कड़ी में ‘It Must Be Heaven’, ‘Many Beautiful Things’, ‘Coda’, और ‘Christ Stopped at Eboli’ जैसी प्रसिद्ध फ़िल्मों के समानांतर यह वृतांत रचा...
अक्सर जब किसी चर्चित औपन्यासिक कृति पर फ़िल्म बनती है, पाठकों को निराशा होती है. उपन्यास के पाठ और फ़िल्म की प्रस्तुति में इतना अंतर क्यों हो जाता है? क्या...
स्त्री को अपने गर्भपात का अधिकार देने वाला फ़्रांस पहला देश बन गया है. 4 मार्च, 2024 को फ़्रांस में इसे संवैधानिक बना दिया गया है. इसके पीछे लम्बा संघर्ष...
सर्गेई आइज़ेन्श्टाइन (Sergei Eisenstein : 22 जनवरी,1898-11 फ़रवरी,1948) रूस के प्रसिद्ध सिने निर्देशक और विचारक थे. उन्हें फ़िल्म संपादन की मोंटाज शैली का पिता कहा जाता है. उनके कला-विचार पर...
कुमार अम्बुज की विश्व सिनेमा की इस श्रृंखला के लिए उनके ही शब्दों में– ‘इस तरह कहना कि वह संगीत हो जाए’ कहना अतिशयोक्ति नहीं है. यह कलाओं के आपसी...
अनुराग पाठक के उपन्यास ‘ट्वेल्थ फेल’ पर आधारित तथा विधु विनोद चोपड़ा द्वारा निर्देशित हिंदी फ़िल्म ‘12वीं फेल’ के मंतव्य को तरह-तरह से समझा जा रहा है. इसे देखने की...
अविनाश अरुण धावरे द्वारा निर्देशित और जयदीप अहलावत, शेफाली शाह, स्वानंद किरकरे आदि अभिनेताओं से सजी ‘थ्री ऑफ़ अस’ फ़िल्म तीन नवम्बर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई है और इसे...
‘बंगाल जिस सांस्कृतिक श्रेष्ठता पर गर्व करता रहा है, सौमित्र कदाचित उसके आखिरी प्रतिनिधि थे. साहित्य, कविता, नाटक, रवींद्र संगीत, फुटबॉल, अड्डेबाजी और मार्क्सवाद पर बंगाली रीझता रहा है, और...
हिंदी फिल्मों में अभिनेता और निर्देशक दोनों भूमिकाओं में देव आनंद (26/9/1923– 3/12/2011) चर्चित रहे. अपने अंदाज़ और तेवर से उन्होंने भारतीय सिनेमा को बहुत समृद्ध किया. उनकी कुछ फ़िल्में...
कलाओं के सामाजिक दृष्टिकोण को समझना उसके अर्थ का ही विस्तार है. कई महत्वपूर्ण फिल्मों के समाजशात्रीय अध्ययन हुए हैं. युवा समाज-विज्ञानी आएशा आरफ़ीन ने २०१९ में फ़्रांसीसी भाषा में...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum