हिटलर की गिरफ़्त में निर्देशिका : विजय शर्मा
तानाशाहों के प्रभाव और प्रचार का ऐसा घातक असर मन-मस्तिष्क पर होता है कि उसके अधिकतर प्रशंसकों को यह पता ही नहीं चल पाता कि हो क्या रहा है. बेहद...
तानाशाहों के प्रभाव और प्रचार का ऐसा घातक असर मन-मस्तिष्क पर होता है कि उसके अधिकतर प्रशंसकों को यह पता ही नहीं चल पाता कि हो क्या रहा है. बेहद...
स्पेनिश भाषा में 1955 में प्रकाशित युआन रूल्फ़ो के उपन्यास पेद्रो पारामो का ठंडा स्वागत हुआ. कुछ कृतियाँ अपने होने को साबित करने में वक्त लेती हैं. इसके महत्व का...
राजकपूर ने हिंदी सिनेमा की मजबूत नींव रखी. उनकी फिल्में उन इमारतों की तरह हैं जिनसे आज़ादी की उम्मीद का सूर्योदय और भविष्य के सपनों की चमकीली रातें दिखती थीं....
पायल कपाड़िया की फ़िल्म ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ दुनिया भर में सराही जाने के बाद भारत के सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो गई है. यह सपने की तरह है और...
प्रसिद्ध अभिनेता और रंगकर्मी मोहन अगाशे मनोचिकित्सक भी हैं. हिंदी की मुख्यधारा की फिल्मों में भी उन्होंने काम किया है. उनसे अरविंद दास ने यह बातचीत की है. प्रस्तुत है.
विश्व सिनेमा से कुमार अम्बुज’ की इस कड़ी में ‘It Must Be Heaven’, ‘Many Beautiful Things’, ‘Coda’, और ‘Christ Stopped at Eboli’ जैसी प्रसिद्ध फ़िल्मों के समानांतर यह वृतांत रचा...
अक्सर जब किसी चर्चित औपन्यासिक कृति पर फ़िल्म बनती है, पाठकों को निराशा होती है. उपन्यास के पाठ और फ़िल्म की प्रस्तुति में इतना अंतर क्यों हो जाता है? क्या...
स्त्री को अपने गर्भपात का अधिकार देने वाला फ़्रांस पहला देश बन गया है. 4 मार्च, 2024 को फ़्रांस में इसे संवैधानिक बना दिया गया है. इसके पीछे लम्बा संघर्ष...
सर्गेई आइज़ेन्श्टाइन (Sergei Eisenstein : 22 जनवरी,1898-11 फ़रवरी,1948) रूस के प्रसिद्ध सिने निर्देशक और विचारक थे. उन्हें फ़िल्म संपादन की मोंटाज शैली का पिता कहा जाता है. उनके कला-विचार पर...
कुमार अम्बुज की विश्व सिनेमा की इस श्रृंखला के लिए उनके ही शब्दों में– ‘इस तरह कहना कि वह संगीत हो जाए’ कहना अतिशयोक्ति नहीं है. यह कलाओं के आपसी...
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