वरिष्ठ कवि नरेंद्र जैन के अनुसार लाल्टू की कविताएँ पढ़ते हुए ‘ऐसे कवि से साक्षात्कार होता है जो सत्ता और...
युवा कथाकार किंशुक गुप्ता की कहानी, ‘अच्छा आदमी था’ जब ‘समालोचन’ पर प्रकाशित हुई तो उसने बहुत से लेखकों का...
नरेश गोस्वामी के अनुसार. “विनोद पदरज की कविताओं को पढ़ना अपनी चेतना और भाव संवेदना से मैल छुड़ाने की तरह...
1935 में मूल रूप में उर्दू में लिखी गयी प्रेमचंद की कहानी ‘कफ़न’ हिंदी में ‘चाँद’ पत्रिका के अप्रैल, १९३६...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum