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प्रो. गरिमा श्रीवास्तव का शोध आलेख ‘चुप्पियाँ और दरारें’ मुस्लिम स्त्रियों की आत्मकथाओं का विस्तृत विश्लेषण विवेचन करता है, इनमें...
Read moreभारतीय भाषाओँ में हिंदी आलोचना प्रभावशाली और विद्वतापूर्ण नामवर सिंह की वजह से है. आलोचना को अपने समय के साहित्य-सिद्धांत,...
Read moreकवि, आलोचक, अनुवादक, पत्रकार, संपादक और फ़िल्म कला मर्मज्ञ विष्णु खरे एक महान पाठक भी थे. उन्हें किसी नवोदित की...
Read moreसमालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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