राज कपूर का संगीत: भास्कर चंदावरकर
राज कपूर की सांगीतिक समझ उनकी फ़िल्मों में दिखती है. भले ही फ़िल्मों में उनकी भूमिका अभिनेता की ही क्यों न हो. लोकतत्व और आधुनिकता का सहमेल उनमें आद्योपांत विद्यमान...
राज कपूर की सांगीतिक समझ उनकी फ़िल्मों में दिखती है. भले ही फ़िल्मों में उनकी भूमिका अभिनेता की ही क्यों न हो. लोकतत्व और आधुनिकता का सहमेल उनमें आद्योपांत विद्यमान...
दरभंगा घराने के प्रसिद्ध ध्रुपद गायक राम कुमार मल्लिक को इस वर्ष के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा हुई है. वह इकहत्तर वर्ष के हैं. इस अवसर पर...
शास्त्रीय गायन की गहराई और उसके सौंदर्य से युवाओं को परिचित कराने, उसे सुनने का धैर्य और समझ विकसित करने में उस्ताद राशिद खान अन्यतम थे. ऐसे कंठ थे जहाँ...
कुमार गन्धर्व के जन्मशती वर्ष में संगीत और समाज में उनकी उपस्थिति को रेखांकित करते हुए हिंदी में कई आयोजन हुए जिनमें सबसे महत्वाकांक्षी रज़ा फ़ाउण्डेशन द्वारा ‘स्वरमुद्रा’ का कुमार...
लता मंगेशकर को स्वर्गीय कहने का मन नहीं करता, उनकी आवाज़ इस नश्वर संसार में अमर है. अपने गीतों में वह हमेशा जीवित रहेंगी. उनके गीतों में से दस उत्कृष्ट...
लेख ‘अमूर्तन का आलाप’ में रंजना मिश्र ने यह रेखांकित किया था कि प्रोतिमा बेदी के जीवन में पंडित जसराज अमूल्य और दुर्लभ धरोहर थे. ख़ुद प्रोतिमा नृत्य की दुनिया...
वाल्टर बेन्यामिन का यह कथन कि ‘सभ्यता का इतिहास बर्बरता का भी इतिहास है’ स्त्री के सन्दर्भ में सच के बहुत निकट है. मंदिर भक्ति और अध्यात्म के साथ-साथ ज्ञान...
हिंदी समाज में वैसे तो साहित्य को लेकर भी कोई ख़ास उत्साह नहीं रहा है, पर कलाओं को लेकर तो बिलकुल ही नहीं. कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना आदि की किताबें...
इधर हिंदी में साहित्य के अलावा पेंटिंग, नाटक, शास्त्रीय-संगीत, नृत्य आदि की तरफ भी लेखकों और आलोचकों का ध्यान गया है, वे शोध और संवेदनशीलता के साथ इन विषयों पर...
पंडित जसराज (१९३०-२०२०) की यह यात्रा भारतीय शास्त्रीय गायन की भी यात्रा है, इस बीच वह भारत से निकल कर पूरे विश्व में गूंज उठी . उसे पहचान मिली, मान...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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