लता मंगेशकर के दस उत्कृष्ट गीत: यतीन्द्र मिश्र
लता मंगेशकर को स्वर्गीय कहने का मन नहीं करता, उनकी आवाज़ इस नश्वर संसार में अमर है. अपने गीतों में वह हमेशा जीवित रहेंगी. उनके गीतों में से दस उत्कृष्ट...
लता मंगेशकर को स्वर्गीय कहने का मन नहीं करता, उनकी आवाज़ इस नश्वर संसार में अमर है. अपने गीतों में वह हमेशा जीवित रहेंगी. उनके गीतों में से दस उत्कृष्ट...
लेख ‘अमूर्तन का आलाप’ में रंजना मिश्र ने यह रेखांकित किया था कि प्रोतिमा बेदी के जीवन में पंडित जसराज अमूल्य और दुर्लभ धरोहर थे. ख़ुद प्रोतिमा नृत्य की दुनिया...
वाल्टर बेन्यामिन का यह कथन कि ‘सभ्यता का इतिहास बर्बरता का भी इतिहास है’ स्त्री के सन्दर्भ में सच के बहुत निकट है. मंदिर भक्ति और अध्यात्म के साथ-साथ ज्ञान...
हिंदी समाज में वैसे तो साहित्य को लेकर भी कोई ख़ास उत्साह नहीं रहा है, पर कलाओं को लेकर तो बिलकुल ही नहीं. कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना आदि की किताबें...
इधर हिंदी में साहित्य के अलावा पेंटिंग, नाटक, शास्त्रीय-संगीत, नृत्य आदि की तरफ भी लेखकों और आलोचकों का ध्यान गया है, वे शोध और संवेदनशीलता के साथ इन विषयों पर...
पंडित जसराज (१९३०-२०२०) की यह यात्रा भारतीय शास्त्रीय गायन की भी यात्रा है, इस बीच वह भारत से निकल कर पूरे विश्व में गूंज उठी . उसे पहचान मिली, मान...
फ़रीदा खानम ने जब फ़ैयाज़ हाशमी की 'आज जाने की ज़िद न करो' गाया तो किसी को क्या पता था कि यह हिन्दुस्तानी ज़बान में आशिक के अनुरोध का प्रतिनिधि...
१९ वीं और २० वीं सदी की संधि बेला हिंदुस्तान में कला, संगीत, नृत्य के लिए किसी आपदा से कम नहीं, ख़ासकर इनसे जुड़ीं स्त्रियों के लिए. उनपर दोहरी मार...
३१ जुलाई १९८० को महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफ़ी हमसे हमेशा के लिए अलग हो गये, पर इस महाद्वीप में आज भी उनकी आवाज़ गूंजती रहती है. उन्हें याद कर...
मशहूर हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक और कुमार गन्धर्व के पुत्र मुकुल शिवपुत्र किंवदन्ती में बदल गए हैं. उनकी मयनोशी और अपारम्परिक जीवन शैली के तमाम किस्से हवाओं में बिखरे हैं. पहली...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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