सॉरी! गौतम दा : संतोष दीक्षित
संतोष दीक्षित अभी कथाकार नहीं हुए थे. संयोग ऐसा बना कि उन्हें ‘पार’ फिल्म में गौतम घोष द्वारा एक छोटी-सी भूमिका ऑफर की गई. क्या है, पूरा प्रसंग आइये जानते...
संतोष दीक्षित अभी कथाकार नहीं हुए थे. संयोग ऐसा बना कि उन्हें ‘पार’ फिल्म में गौतम घोष द्वारा एक छोटी-सी भूमिका ऑफर की गई. क्या है, पूरा प्रसंग आइये जानते...
16 फरवरी 1939 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नजीबाबाद में जन्मी लेखक, संपादक और अनुवादक अमृता भारती को अब न हिंदी की दुनिया जानती है, न नजीबाबाद के...
लेखक और अनुवादक सुरेश ऋतुपर्ण 1988 से 1992 तक ट्रिनिडाड और टोबैगो स्थित भारतीय उच्चायोग में राजनयिक के रूप में नियुक्त रहे. वहाँ उनकी भेंट प्रसिद्ध लेखक वी. एस. नायपॉल...
प्राकृतिक सुषमा से भरे वनांचल में एक वन्य अधिकारी की मुलाकात एक लेखक से होती है और वह बाद में एक पुस्तक प्रकाशित कराता है, जिसका शीर्षक है- ‘पथेर पांचाली...
पुराने शहर ऐसे उपन्यास की तरह हैं जिनके अध्यायों को समय ने समय-समय पर लिखा है. इनमें आंतरिक संवाद है. ये पूरक और परस्पर हैं. भाषाई और सांस्कृतिक मिश्रण ने...
‘चरथ भिक्खवे’ के अंतर्गत 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2024 के बीच बुद्ध से जुड़े स्थलों की यात्रा लेखकों द्वारा सम्पन्न हुई. इसमें शामिल दिव्यानन्द ने इस यात्रा के बहाने...
‘बिल्लियाँ होती हैं अच्छी हर कहीं /ये तमाशा सा है बिल्ली तो नहीं’ (मीर). फ़ारसी, तुर्की, अरबी आदि भाषाओं में बिल्लियों पर लिखने की पुरानी रवायत है. मीर (1723-1810) ने...
प्रियंवद प्रसंग में ओमा शर्मा का यह संस्मरण भी प्रस्तुत है. व्यक्ति, कथाकार, संपादक और साहित्य के कार्यकर्ता के रूप में प्रियंवद की छवियाँ इसमें उभरती हैं. इन छवियों के...
तेजी ग्रोवर हमारे समय की विरल और विशिष्ट रचनाकार हैं. जहाँ उन्होंने नॉर्वीजी, स्वीडी, फ़्रांसीसी, लात्वी आदि भाषाओं के साहित्य का हिंदी में अनुवाद किया है, वहीं उनकी कृतियाँ स्वीडी,...
इस ‘साथ-साथ’ में दिल्ली का करोल बाग है. घर-परिवार, दोस्त और मुलाक़ातें हैं. भीष्म साहनी की शोर करती मोटर साइकिल है. जिन्हें आज हम महत्वपूर्ण लेखक कहते हैं उनके अंखुवाने...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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