फासीवाद का भविष्य: कार्लो गिन्ज़बर्ग से जोसेफ कन्फावरेक्स की बातचीत
यह बातचीत ‘Mediapart’ में सबसे पहले 20 सितम्बर, 2022 में फ्रेंच में- ‘Le fascisme a un futur’ शीर्षक से प्रकाशित हुई, जिसका अनुवाद ‘versobooks’ के लिए David Fernbach ने अंग्रेजी...
यह बातचीत ‘Mediapart’ में सबसे पहले 20 सितम्बर, 2022 में फ्रेंच में- ‘Le fascisme a un futur’ शीर्षक से प्रकाशित हुई, जिसका अनुवाद ‘versobooks’ के लिए David Fernbach ने अंग्रेजी...
जायसी के महाकाव्य ‘पदमावत’ के अन्यतम व्याख्याकार वासुदेवशरण अग्रवाल मूलतः इतिहासकार थे. राधाकुमुद मुखर्जी के निर्देशन में उन्होंने पाणिनि पर अपना शोधकार्य किया था. इतिहास, कला, साहित्य और समाज पर...
हिंदी साहित्य और इतिहास-लेखन का पुराना नाता है. प्रसिद्ध इतिहासकार काशीप्रसाद जायसवाल की साहित्य में भी गति थी, इसी क्रम में वासुदेव शरण अग्रवाल का नाम भी लिया जा सकता...
विश्व के श्रेष्ठ सौ उपन्यासों में व्लादिमीर नबोकोव की ‘लोलिता’ का स्थान है. जब 1955 में यह प्रकाशित हुआ उस समय भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समक्ष इसके...
हिंदी के साहित्यकारों द्वारा साहित्य के इतर अन्य विषयों और अनुशासनों पर लिखने की परम्परा रही है. ख़ुद महावीरप्रसाद द्विवेदी ने वाणिज्य पर १९०७ में पुस्तक लिखी थी ‘सम्पत्ति-शास्त्र’ इसका...
गणित में शून्य के महत्व से आज हम सब भलीभांति परिचित हैं, दर्शन में भी शून्य का अपना अर्थ है. क्या शून्य की खोज भारत ने की थी? कहानी इतनी...
भारत में राज्यों के उत्थान-पतन के अलावा भी अन्य क्षेत्र हैं जिनमें इतिहास को जाना चाहिए, जैसे केशविन्यास, वस्त्र, भोजन, मनोरंजन आदि. केश-सज्जा में आज भी परिवर्तन हो रहें हैं....
कथाकार-लेखक तरुण भटनागर के ‘भारत के विस्मृत नगर’ श्रृंखला में आपने मध्य-प्रदेश के ‘ऐरिकिण’ के विषय में पढ़ा है, इस अंक में पांडिचेरी के समीप ‘अरिकमेडू’ नगर के विषय में...
प्राचीन भारतीय नगरों के बनने, मिटने और खोजने की गाथा ‘भारत के विस्मृत नगर’ की पहली कड़ी ऐरण अर्थात ऐरिकिण पर आधारित है. ‘ऐरण’ मध्य प्रदेश के सागर से लगभग...
कोरोना समय में अलग-अलग क्षेत्रों के कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हमसे हमेशा के लिए जुदा हो गए, फिल्मों से अभिनेता इरफ़ान और ऋषि कपूर, इतिहासकार हरि वासुदेवन, समाजशास्त्री योगेंद्र सिंह और...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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