इतिहास

तुर्कों का इस्लामीकरण और बौद्धवृत्त का विघटन: चंद्रभूषण

तुर्कों का इस्लामीकरण और बौद्धवृत्त का विघटन: चंद्रभूषण

तुर्क कौन थे? वे बौद्ध से मुस्लिम क्यों हुए? तुर्कों के इस्लाम स्वीकार करने और व्यापार का रेशम मार्ग बाधित होने से भारत में बौद्ध धर्म पर क्या प्रभाव पड़ा?...

जवाहरलाल नेहरू: इतिहास और अभिलेखागार: शुभनीत कौशिक

जवाहरलाल नेहरू: इतिहास और अभिलेखागार: शुभनीत कौशिक

प्रबुद्ध राजनीतिज्ञ राष्ट्र के लिए वरदान होते हैं. आज़ाद भारत में सामाजिक-राजनीतिक चुनौतियों के साथ-साथ सांस्कृतिक चुनौतियाँ भी कम न थीं. प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तत्परता, संलग्नता और दृष्टि...

रंजीत गुहा: शताब्दी के आर-पार:  रमाशंकर सिंह

रंजीत गुहा: शताब्दी के आर-पार: रमाशंकर सिंह

विश्व की आधुनिक अकादमिक दुनिया में कुछ ही भारतीय हैं जिन्होंने अपनी स्थापनाओं से मूलभूत परिवर्तन उपस्थित किया जिसे हम ‘paradigm shift’ कहते हैं, रंजीत गुहा उनमें से एक हैं....

फासीवाद का भविष्य: कार्लो गिन्ज़बर्ग से जोसेफ कन्फावरेक्स की बातचीत

फासीवाद का भविष्य: कार्लो गिन्ज़बर्ग से जोसेफ कन्फावरेक्स की बातचीत

यह बातचीत ‘Mediapart’ में सबसे पहले 20 सितम्बर, 2022 में फ्रेंच में- ‘Le fascisme a un futur’ शीर्षक से प्रकाशित हुई, जिसका अनुवाद ‘versobooks’ के लिए David Fernbach ने अंग्रेजी...

वासुदेव शरण अग्रवाल: साहित्य, कला और समाज: रमाशंकर सिंह

वासुदेव शरण अग्रवाल: साहित्य, कला और समाज: रमाशंकर सिंह

जायसी के महाकाव्य ‘पदमावत’ के अन्यतम व्याख्याकार वासुदेवशरण अग्रवाल मूलतः इतिहासकार थे. राधाकुमुद मुखर्जी के निर्देशन में उन्होंने पाणिनि पर अपना शोधकार्य किया था. इतिहास, कला, साहित्य और समाज पर...

इतिहास, साहित्य और सच: रमाशंकर सिंह

इतिहास, साहित्य और सच: रमाशंकर सिंह

हिंदी साहित्य और इतिहास-लेखन का पुराना नाता है. प्रसिद्ध इतिहासकार काशीप्रसाद जायसवाल की साहित्य में भी गति थी, इसी क्रम में वासुदेव शरण अग्रवाल का नाम भी लिया जा सकता...

भारत में ‘लोलिता’: शुभनीत कौशिक

भारत में ‘लोलिता’: शुभनीत कौशिक

विश्व के श्रेष्ठ सौ उपन्यासों में व्लादिमीर नबोकोव की ‘लोलिता’ का स्थान है. जब 1955 में यह प्रकाशित हुआ उस समय भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समक्ष इसके...

पहला मानव: प्रादुर्भाव और प्रसार: तरुण भटनागर

पहला मानव: प्रादुर्भाव और प्रसार: तरुण भटनागर

हिंदी के साहित्यकारों द्वारा साहित्य के इतर अन्य विषयों और अनुशासनों पर लिखने की परम्परा रही है. ख़ुद महावीरप्रसाद द्विवेदी ने वाणिज्य पर १९०७ में पुस्तक लिखी थी ‘सम्पत्ति-शास्त्र’ इसका...

शून्य की खोज: तरुण भटनागर

शून्य की खोज: तरुण भटनागर

गणित में शून्य के महत्व से आज हम सब भलीभांति परिचित हैं, दर्शन में भी शून्य का अपना अर्थ है. क्या शून्य की खोज भारत ने की थी? कहानी इतनी...

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