विश्व कविता : रुस्तम
कविताओं के अनुवाद का कार्य मशक़्क़त का है. तब और जब कवि विदेशी भाषाओं के हों, अंग्रेजी से अलग किसी अन्य भाषा के हों तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं....
कविताओं के अनुवाद का कार्य मशक़्क़त का है. तब और जब कवि विदेशी भाषाओं के हों, अंग्रेजी से अलग किसी अन्य भाषा के हों तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं....
94 वर्षीय अदूनिस इस समय दुनिया के श्रेष्ठतम कवि माने जाते हैं. 1988 से नियमित रूप से उन्हें साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया जा रहा है. उनकी...
हिंदी का ‘अकविता’ अध्याय बांग्ला कविता की ‘भूखी पीढ़ी’ के कला-आंदोलन से प्रभावित और सम्बंधित था वहीं अंग्रेजी कविता के ‘बीट-आंदोलन’ से भी इनके पारस्परिक सम्बन्ध थे. अपनी ‘हाउल’ कविता...
बांग्ला और अंग्रेजी में लिखने वाली मौमिता आलम एक प्रमुख भारतीय कवि-लेखक हैं. उनकी कविताएँ अनेक भाषाओं में अनूदित होकर चर्चित हुई हैं. इसी वर्ष उनकी कविताओं का नया संकलन...
बोर्हेस (Jorge Luis Borges) ने ‘The Book of Fantasy’ शीर्षक से संपादित पुस्तक में वॉल्टर दे ला मेर की 1923 में प्रकाशित ‘The Riddle’ कहानी को शामिल किया था. फैंटेसी...
श्रीकला शिवशंकरन मलयाली और अंग्रेजी में लिखने वाली प्रमुख भारतीय लेखकों में शामिल हैं. उनकी कुछ कविताओं का मलयालम भाषा से हिंदी में अनुवाद सविता सिंह ने उनकी मदद से...
वीस्वावा शिम्बोर्स्का से हिंदी साहित्यिक समाज सुपरिचित है. अशोक वाजपेयी, प्रो. मैनेजर पाण्डेय, विष्णु खरे, विजय कुमार, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी, असद ज़ैदी, कुमार अम्बुज, विजय अहलूवालिया, हरिमोहन शर्मा, विनोद...
हम सब अनूदित संस्कृतियों के नागरिक हैं. इस अनुवाद में बड़ा हिस्सा कविता का है. धर्मग्रन्थ एक समय कविता की ही किताबें थीं. उन्हें आज भी गाया जाता है. अनुवाद...
पद्म श्री, साहित्य अकादमी, सरस्वती सम्मान आदि से सम्मानित पंजाबी भाषा के प्रसिद्ध कवि सुरजीत पातर अब हमारे बीच नहीं हैं, 11 मई, 2024 को लुधियाना में उनका निधन हो...
‘अगस्त के प्रेत’ 1992 में प्रकाशित मार्खेज़ के कथा-संग्रह ‘Strange Pilgrims’ में संकलित है. आकार में छोटी इस कहानी में उनकी जादुई यथार्थ की शैली नज़र आती है. इससे पहले...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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