मर चुके लोग : जेम्स ज्वायस : अनुवाद : शिव किशोर तिवारी
जेम्स ज्वायस की कहानी ‘द डेड’ का प्रकाशन 1914 में हुआ था. इसे विश्व की कुछ महत्वपूर्ण कहानियों में से एक समझा जाता है. इसपर आधारित इसी शीर्षक से 1987...
जेम्स ज्वायस की कहानी ‘द डेड’ का प्रकाशन 1914 में हुआ था. इसे विश्व की कुछ महत्वपूर्ण कहानियों में से एक समझा जाता है. इसपर आधारित इसी शीर्षक से 1987...
हारुकी मुराकामी की कहानी ‘शिनागावा बंदर’ 2006 में प्रकाशित हुई थी, यह बन्दर मनुष्यों की तरह बोलता था और जिससे प्रेम करता था, उसका नाम चुरा लेता था. कुछ स्त्रियों...
75 वर्षीय जापानी कथाकार हारुकी मुराकामी वर्षों से साहित्य के नोबेल पुरस्कार के संभावित लेखक के रूप में देखे जा रहे हैं. जादुई यथार्थ और लोककथाओं के अद्भुत समन्वय की...
शिल्पा कांबले मराठी कथा-साहित्य की सुपरिचित लेखिका हैं. एक युवा लड़की और उसकी बिल्लियों की यह कथा महानगरीय संत्रास के बीच उनके होने को सरस ढंग से प्रस्तुत करती है....
1908 में जन्मे विलियम सरोयान अर्मीनियाई मूल के अमेरिकी लेखक हैं. 1957 में वे 49 साल के थे तब अट्ठाईस वर्षीय निर्मल वर्मा ने उनकी इस कहानी का हिंदी में...
लेखन के कारण और उसकी प्रक्रिया को लेकर लेखकों से अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं. काव्य-शास्त्र से लेकर आधुनिक आलोचना सिद्धांतों तक में इसकी विवेचना है. प्रसिद्ध लेखिका मार्गरेट एटवुड...
मूलत: पादरी रहे अर्नेस्तो कार्देनाल ने ‘जीरो आवर’ कविता को 1950 के दशक में लिखना शुरू किया और यह मूल स्पेनिश में 1970 में प्रकाशित हुई. यह एक ऐसी तीखी...
कविताओं के अनुवाद का कार्य मशक़्क़त का है. तब और जब कवि विदेशी भाषाओं के हों, अंग्रेजी से अलग किसी अन्य भाषा के हों तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं....
94 वर्षीय अदूनिस इस समय दुनिया के श्रेष्ठतम कवि माने जाते हैं. 1988 से नियमित रूप से उन्हें साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया जा रहा है. उनकी...
हिंदी का ‘अकविता’ अध्याय बांग्ला कविता की ‘भूखी पीढ़ी’ के कला-आंदोलन से प्रभावित और सम्बंधित था वहीं अंग्रेजी कविता के ‘बीट-आंदोलन’ से भी इनके पारस्परिक सम्बन्ध थे. अपनी ‘हाउल’ कविता...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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