राकेश मिश्र की कविताएँ
राकेश मिश्र की इन नयी कविताओं में जीवन का वह पक्ष संवेदित हुआ है, जिस पर लिखना आसान नहीं. मृत्यु पर लिखते हुए यह सावधानी बरतनी होती है कि दुहराव...
राकेश मिश्र की इन नयी कविताओं में जीवन का वह पक्ष संवेदित हुआ है, जिस पर लिखना आसान नहीं. मृत्यु पर लिखते हुए यह सावधानी बरतनी होती है कि दुहराव...
वर्ष 2023 की शुरुआत करते हुए प्रस्तुत है नेहा नरूका की नयी कविताएँ. क्या साहसिक कविताएँ हैं ? बहुत प्रभावशाली. भाषा, शिल्प और कथ्य तीनों में रेखांकित करने योग्य बदलाव...
शचीन्द्र आर्य अपनी कविताओं में कुछ अलग और उसे अलग ढंग से कहने की मुखर मुद्रा में नहीं रहते पर उनकी कविताओं में ये दोनों विशेषताएं रहतीं हैं. जैसे फीके...
सिनेमा से जुड़े अनुपम ओझा की इस लम्बी कविता में सिनेमा और चित्रकला का मिश्रण है. लुई बुनुवेल (Luis Buñuel) और सल्वाडोर डाली (Salvador Dalí) के प्रभाव का असर इस...
बाघेन (बागे) नदी के किनारे विन्ध्याचल पर्वत श्रृंखला पर स्थित कालिंजर (बांदा, उत्तर-प्रदेश) प्राचीन दुर्ग है. अब इसमें सत्ता की धमक नहीं सुनाई पड़ती, ऋतुओं का सौन्दर्य बसता है, स्मृतियों...
शोक इस दशक की हिंदी कविता का बीज शब्द है, इधर प्रकाशित अधिकतर संग्रहों की कविताओं में उसकी उदासी देखी जा सकती है. असहाय और अकेले हो जाने के पीछे...
अमन त्रिपाठी इधर उभरकर आने वाले कवियों में अपनी ओर अलग से ध्यान खींचते हैं, वे कम लिखते हैं पर कविताएँ बताती हैं कि उनपर काम हुआ है. एक कारोबारी...
गांधी जी का हिंदी और साहित्य से गहरा रिश्ता रहा है, उनपर बड़े कवियों ने कविताएँ लिखीं हैं. अभी भी उनपर कविताएँ लिखी जा रहीं हैं. ‘गांधी सप्ताह’ के इस...
प्रिया वर्मा की कविताओं पर टिप्पणी में देवीप्रसाद मिश्र ने ‘पितृपक्षीय गार्हस्थ्य को उजाड़ने के आग्रहों से भरी’ कहते हुए अवधी की देशज उपस्थिति को भी रेखांकित किया है. यह...
प्रिया वर्मा की कविताएँ इधर उभर कर सामने आयीं हैं. वे लगातार लिख रहीं हैं. हिंदी कविता में अब दशक बीतते-बीतते नयी काव्य प्रवृत्तियाँ और शिल्पगत प्रयोग समाने आने लगे...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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