प्रकाश मनु : सदाशय पारदर्शिता: गिरधर राठी
देखते-देखते प्रकाश मनु तिहत्तर वर्ष के हो गए. उनकी छवि साहित्य के अनथक योद्धा की है. संपादन, बाल साहित्य, उपन्यास, कहानियाँ, जीवनी, आत्मकथा, साक्षात्कार, आलेख, आलोचना आदि क्षेत्रों में वह...
देखते-देखते प्रकाश मनु तिहत्तर वर्ष के हो गए. उनकी छवि साहित्य के अनथक योद्धा की है. संपादन, बाल साहित्य, उपन्यास, कहानियाँ, जीवनी, आत्मकथा, साक्षात्कार, आलेख, आलोचना आदि क्षेत्रों में वह...
झारखण्ड के युवा कवि राही डूमरचीर की कुछ कविताएँ लगभग साल वर्ष पहले समालोचन पर प्रकाशित हुईं थीं और उन्होंने ध्यान खींचा था. आदिवासी दृष्टि, सन्दर्भ और परिवेश राही की...
युवा आमिर हमज़ा की काव्य-संभावनाएं उनकी पिछली कविताओं में मुखर थीं, इस लम्बी कविता में उनका सामर्थ्य देखा जा सकता है. लम्बी कविता की निर्मिति में विवरणों का अधिकतम काव्यात्मक...
सविता सिंह की प्रस्तुत कविताएँ उनकी काव्य-यात्रा के अगले पड़ाव को सूचित करती हैं. इन कविताओं की स्त्री स्वतंत्र इकाई के रूप में भी अपने को देखती है. इन नयी...
मनुष्य की मूल प्रवृत्तियों ने भाषा के सौन्दर्य के साथ मिलकर कविता में जो घटित किया, उसकी खुशबु कभी नहीं जायेगी. समय की यात्रा करते हुए किसी ताज़े खिले फूल...
अपने पहले कविता संग्रह ‘घर एक नामुमकिन जगह है’ के लिए भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार, २०२२ से सम्मानित सौम्य मालवीय की कविताओं को सुनने का अवसर रज़ा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह...
साहित्य में ऐसे कुछ रचनाकार हैं, जिन्हें पढ़कर कहना पड़ता है कि उन्हें नियमित लिखते रहना चाहिए. अपर्णा मनोज ने कविताएँ लिखीं हैं, उनके पास कुछ कहानियां हैं और अनुवाद...
वन में व्याघ्र की उपस्थिति की दहाड़ मिथकों में भी सुनाई पड़ती है. वह लोक में विचरण करता है. कथाओं में आता जाता है. वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह की 1996...
लोक सहज ही मार्मिक है, विशिष्ट को साधारण बनाकर सुख-दुःख उससे जोड़ देता है. जिसे शास्त्र कहने में हिचकते हैं उसे लोक गाता है. अवध और उसके आस-पास एक लोकगीत...
रूपम मिश्र का पहला कविता संग्रह ‘एक जीवन अलग से’ अभी प्रकाशित ही हुआ है. उनकी प्रेम कविताओं में भी समाज और उसकी अनीति पथरीली जमीन की तरह बिछी रहती...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum