बाबुषा की ग्यारह नयी कविताएँ
बाबुषा कोहली अपने उपन्यास ‘लौ’ से इधर चर्चा में हैं. वह ऐसे कुछ लेखकों में हैं जिन्होंने अपना पाठक वर्ग गढ़ा है. साहित्य को विस्तार और नवीनता दी है. उनके...
बाबुषा कोहली अपने उपन्यास ‘लौ’ से इधर चर्चा में हैं. वह ऐसे कुछ लेखकों में हैं जिन्होंने अपना पाठक वर्ग गढ़ा है. साहित्य को विस्तार और नवीनता दी है. उनके...
विदुषी ‘विद्योत्तमा’ को कवि कालिदास की पत्नी के रूप में जाना जाता है. उन्हें ‘गुणमंजरी’ भी कहा गया है. कालिदास को ‘प्रियंगु’ पुष्प बहुत प्रिय थे. शायद इसीलिए मोहन राकेश...
आमिर हमज़ा द्वारा संपादित पुस्तक ‘क्या फ़र्ज़ है कि सबको मिले एक सा जवाब’ अभी हाल ही में हिंदी युग्म से प्रकाशित हुई है. उनके कविता संग्रह की भी प्रतीक्षा...
नासामुक्ता, कर्णफूल, मेखला, कंठहार, चूड़ामणि, वलय, बाहुबंद, नूपुर, ग्रीवासूत्र, मुद्रिका जैसे आभूषणों पर लिखी दीप्ति कुशवाह की ये कविताएँ देश और काल की यात्रा करती हैं. अलंकृत के तन को...
लोक गीतों में लोक अपने को गाता है. एक ऐसा गान जिसके कोरस में सबके कंठ शामिल रहते हैं. कवि शंकरानंद ने अपने गाँव में पाँच दशकों से लोक गीत...
वरिष्ठ कवि रुस्तम की इन कविताओं को प्रेम कविताएँ कह सकते हैं. यह प्रेम गहरा है और इसलिए थिर. हलचल अंदर है. फूल से अधिक उनकी स्मृतियाँ हैं. अगर वे...
चरवाहों ने सभ्यता को बहुत कुछ दिया है. पशुओं के साथ चारे की तलाश में वे भटकते थे और सपने देखते थे. चरवाहों के गीतों की लम्बी परम्परा है. भारत...
सविता सिंह की इन नयी कविताओं में शहर है जो छूट गया था, दोस्त हैं जिनकी छवियाँ बदल गई हैं. बर्फ से ढकी उदासी है और स्मृतियाँ के पन्ने बीच...
किसी कवि की परम्परा कितनी लम्बी कितनी गहरी हो सकती है इसे जानना हो तो ज्ञानेन्द्रपति की कविताएँ पढ़नी चाहिए. प्रस्तुत इन चार कविताओं में भारतीय परम्परा का समूचा ज्ञानकाण्ड...
सूर्य जब कलाओं में उदित होता है, लगता है जैसे पहली बार उसे हम देख रहे हैं. कविता निकट में रंग भरकर नवीन कर देती है. जीवन घिसा और बदरंग...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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