आमिर हमज़ा की कविताएँ
आमिर हमज़ा की प्रस्तुत कविताएँ उनके कवि व्यक्तित्व को और पुख़्ता करती हैं. कविता की सूक्ष्मता का निर्वाह है. आंतरिक लय से च्युत नहीं होती इन कविताओं का रकबा बड़ा...
आमिर हमज़ा की प्रस्तुत कविताएँ उनके कवि व्यक्तित्व को और पुख़्ता करती हैं. कविता की सूक्ष्मता का निर्वाह है. आंतरिक लय से च्युत नहीं होती इन कविताओं का रकबा बड़ा...
अमित तिवारी कविताएँ लिखते हैं. अनुवाद करते हैं. उनकी कविताओं ने ध्यान खींचा है. उनकी कुछ नई कविताएँ प्रस्तुत हैं.
फरवरी का महीना है. फाल्गुन मास. वसंत और उसके उत्सव का महीना. प्रेम के मनुहार का उज्ज्वल पक्ष. स्त्री से अधिक सुंदर इस धरती पर कुछ भी नहीं. उसका होना...
लवली गोस्वामी का पहला कविता संग्रह 2019 में “उदासी मेरी मातृभाषा है” शीर्षक से प्रकाशित हुआ था जिसे 2022 का केदारनाथ स्मृति सम्मान मिला है. उनकी कुछ नयी कविताएँ प्रस्तुत...
महानायकों का जीवन ही नहीं अवसान भी काव्य जैसा होता है. वे असाधारण मृत्यु के लिए अभिशप्त हैं. बीसवीं सदी की निराशा को निराला ने ‘राम की शक्ति पूजा में’...
कहना न होगा कि आज हिंदी क्षेत्र की सांस्कृतिक साक्षरता और समृद्धि के लिए साहित्य, कला और विचार के क्षेत्र में काम करने वाले सैकड़ों दृष्टि सम्पन्न नवोन्मेषी प्रतिभाओं की...
हिंदी कविता की जड़े देखनी हो तो सिद्धों-नाथों की कविताओं को पढ़ना चाहिए. गहरी और फैली हुईं. ख़ासकर गोरखनाथ को. यहीं से भक्तिकाल की ज़मीन तैयार हुई जिसमें कबीर जैसा...
कविता का कार्य सूचित करना नहीं अर्थ देना है. कौशलेन्द्र की कविता-यात्रा में इसे देखा जा सकता है. बताने से अधिक वह दिखाने की और अग्रसर हैं. उनकी कविताएँ पढ़ते...
युद्धों की बर्बरता का प्रतिपक्ष कविता में है. महायुद्दों ने महाकाव्यों को जन्म दिया है. विश्वयुद्दों से तीखी झड़प अस्तित्ववादी दर्शन और उससे प्रभावित कलाएँ करती हैं. वर्तमान में युद्धों...
अब युद्ध हथियारों और आख्यानों के साथ लड़े जाते हैं. हथियार ज़मीन पर गिरते हैं और आख्यान दिमाग़ पर असर करता है, कुछ इस तरह कि पीड़ित ही आततायी लगने...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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