यात्रा में लैंपपोस्ट : क्रान्ति बोध
रमेश ऋषिकल्प प्राय; लम्बे प्रवास पर रहते हैं. यूरोप की यात्राओं ने उनके एकांत को जहाँ भरा है वहीं उनकी काव्य संवेदना को भी समृद्ध किया है. उनके कविता संग्रह...
रमेश ऋषिकल्प प्राय; लम्बे प्रवास पर रहते हैं. यूरोप की यात्राओं ने उनके एकांत को जहाँ भरा है वहीं उनकी काव्य संवेदना को भी समृद्ध किया है. उनके कविता संग्रह...
भारतीय संविधान में वैज्ञानिक चेतना के विकास को प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य माना गया है— “वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद तथा जिज्ञासा और सुधार की भावना का विकास करना हर नागरिक...
नेहा नरूका के कविता संग्रह, 'फटी हथेलियाँ' पर वरिष्ठ कवि-लेखक कुमार अम्बुज लिखते हैं कि " ये कविताएँ आँसुओं की नहीं सवालों की झड़ी लगाती हैं, एक सजग स्त्री, नागरिक...
ज्योतिष जोशी की रुचियों का क्षेत्र विविध और व्यापक है. साहित्य, कला तथा नाटक-रंगमंच में उनकी समान गति और गहरी समझ है. विश्वकला की आधुनिक यात्रा पर केन्द्रित उनकी पुस्तक...
रज़ा पुस्तकमाला के अंतर्गत मूर्धन्य चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के जीवन और कला पर केंद्रित और अखिलेश द्वारा लिखित ‘के विरुद्ध’ सेतु द्वारा प्रकाशित की गई है. ‘के विरुद्ध’ शीर्षक इसलिए...
रबि प्रकाश, थापर स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स (पटियाला) में समाजशास्त्र के सहायक प्रोफेसर हैं. प्रारम्भिक आधुनिक हिंदी साहित्य और उसकी राजनीतिक संस्कृति उनकी रुचि और विशेषज्ञता के क्षेत्र हैं. ऐलिशन...
प्रख्यात लेखिका और अनुवादक तेजी ग्रोवर के आत्मगल्प, जिसमें उन्हीं के अनुसार ‘घटनाएँ और किरदार कुछ हद तक काल्पनिक हैं, हालाँकि समस्याएँ वास्तविक हैं’, का एक अंश यहीं छपा था....
मनोचिकित्सक और कवि विनय कुमार का कविता संग्रह ‘श्रेयसी’ इस वर्ष राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. प्रख्यात संस्कृत विद्वान राधावल्लभ त्रिपाठी के अनुसार, यह संग्रह ‘सरस्वती के अनाविल उज्ज्वल...
पुरस्कारों की प्रतिष्ठा चयन में निहित होती है. कहना न होगा कि इसी बहाने कृति प्रकाश में आ जाती है. दूसरी भाषाओं में अनूदित होकर लेखक कुछ और पाठक प्राप्त...
28 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय भाषा सिंह वेब पोर्टल 'न्यूज़क्लिक' से जुड़ी हैं, और उनका अपना ‘बेबाक भाषा’ नामक यूट्यूब चैनल भी है. ‘अदृश्य भारत’ और ‘शाहीन बाग़ –...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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