के विरुद्ध : वागीश शुक्ल
रज़ा पुस्तकमाला के अंतर्गत मूर्धन्य चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के जीवन और कला पर केंद्रित और अखिलेश द्वारा लिखित ‘के विरुद्ध’ सेतु द्वारा प्रकाशित की गई है. ‘के विरुद्ध’ शीर्षक इसलिए...
रज़ा पुस्तकमाला के अंतर्गत मूर्धन्य चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के जीवन और कला पर केंद्रित और अखिलेश द्वारा लिखित ‘के विरुद्ध’ सेतु द्वारा प्रकाशित की गई है. ‘के विरुद्ध’ शीर्षक इसलिए...
रबि प्रकाश, थापर स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स (पटियाला) में समाजशास्त्र के सहायक प्रोफेसर हैं. प्रारम्भिक आधुनिक हिंदी साहित्य और उसकी राजनीतिक संस्कृति उनकी रुचि और विशेषज्ञता के क्षेत्र हैं. ऐलिशन...
प्रख्यात लेखिका और अनुवादक तेजी ग्रोवर के आत्मगल्प, जिसमें उन्हीं के अनुसार ‘घटनाएँ और किरदार कुछ हद तक काल्पनिक हैं, हालाँकि समस्याएँ वास्तविक हैं’, का एक अंश यहीं छपा था....
मनोचिकित्सक और कवि विनय कुमार का कविता संग्रह ‘श्रेयसी’ इस वर्ष राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. प्रख्यात संस्कृत विद्वान राधावल्लभ त्रिपाठी के अनुसार, यह संग्रह ‘सरस्वती के अनाविल उज्ज्वल...
पुरस्कारों की प्रतिष्ठा चयन में निहित होती है. कहना न होगा कि इसी बहाने कृति प्रकाश में आ जाती है. दूसरी भाषाओं में अनूदित होकर लेखक कुछ और पाठक प्राप्त...
28 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय भाषा सिंह वेब पोर्टल 'न्यूज़क्लिक' से जुड़ी हैं, और उनका अपना ‘बेबाक भाषा’ नामक यूट्यूब चैनल भी है. ‘अदृश्य भारत’ और ‘शाहीन बाग़ –...
भारत के स्वतंत्रता संग्राम ने पूरे विश्व को यह विश्वास दिला दिया था कि यह केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं, बल्कि एक सामाजिक और नैतिक लड़ाई भी है. इसमें संकीर्णता...
69 वर्षीय अमिताभ का पहला और एकमात्र कविता-संग्रह ‘समस्तीपुर और अन्य कविताएँ’ 2023 में प्रकाशित हुआ और इसे इसी वर्ष मंगलेश सम्मान से सम्मानित किया गया. यह संग्रह कथ्य और...
संस्कृत और भारतीय अध्ययन के विश्वप्रसिद्ध विद्वान शेल्डन पोलक के निर्देशन में एलिसन बुश (1969-2019) का शोधकार्य ‘पोएट्री ऑफ किंग्स: द क्लासिकल हिंदी लिटरेचर ऑफ मुगल इंडिया’ वर्ष 2011 में...
संस्कृति, दर्शन, इतिहास, आधुनिकता, लोकतंत्र, वैज्ञानिक चेतना, सामाजिक न्याय और फासिज़्म जैसे विषयों पर आज हिंदी में सहज, प्रमाणिक और खुले मन से लिखी गई पुस्तकों की अत्यंत आवश्यकता है....
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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