समीक्षा

तृन धरि ओट : ऋत्विक भारतीय

तृन धरि ओट : ऋत्विक भारतीय

प्रसिद्ध कवि और लेखिका अनामिका का नया उपन्यास वाणी से प्रकाशित हुआ है, ‘तृन धरि ओट’ जो रामायण की सीता पर आधारित है. यह सीता का समकालीन पाठ करता है....

बहुभाषिकता, साहित्यिक संस्कृति और अवध: दलपत सिंह राजपुरोहित

बहुभाषिकता, साहित्यिक संस्कृति और अवध: दलपत सिंह राजपुरोहित

अपनी पहली ही पुस्तक, ‘The Hindi Public Sphere 1920-1940: Language and Literature in the Age of Nationalism, से विश्वभर में विख्यात लंदन विश्वविद्यालय (SOAS) की प्रोफ़ेसर फ़्रांचेस्का ऑर्सीनी की नयी...

मुनि जिनविजय और उनका आत्म वृत्तान्त :  रमाशंकर सिंह

मुनि जिनविजय और उनका आत्म वृत्तान्त : रमाशंकर सिंह

पुरातन जैन-साहित्य और प्राकृत-अपभ्रंश की पांडुलिपियों के अनुसंधान और संपादन में मुनि जिनविजय (1888-1976) का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है, वह स्वाधीनता आंदोलन से भी जुड़े रहे. उनके ‘आत्म वृत्तान्त’ और...

आग और जल से निपजा सौन्दर्य: रंजना मिश्र

आग और जल से निपजा सौन्दर्य: रंजना मिश्र

नरेश गोस्वामी के अनुसार. “विनोद पदरज की कविताओं को पढ़ना अपनी चेतना और भाव संवेदना से मैल छुड़ाने की तरह है.” विनोद पदरज का महत्वपूर्ण कविता संग्रह ‘अगन जल’ वर्षों...

ये दिल है कि चोर दरवाज़ा: बलवन्त कौर

ये दिल है कि चोर दरवाज़ा: बलवन्त कौर

हिंदी की नयी पीढ़ी के कथाकार के रूप में किंशुक गुप्ता इधर उभर कर सामने आयें हैं. पेशे से चिकित्सक हैं और अंग्रेजी में भी लिखते हैं. उनका पहला कहानी...

शहर जो खो गया: लीलाधर मंडलोई

शहर जो खो गया: लीलाधर मंडलोई

इसी वर्ष प्रकाशित वरिष्ठ कवि-लेखक विजय कुमार की पुस्तक ‘शहर जो खो गया’ पर आधारित लीलाधर मंडलोई का यह गद्य, पुस्तक के प्रति उत्सुकता पैदा करता है. खुद में सृजनात्मक...

उसे निहारते हुए: वागीश शुक्ल

उसे निहारते हुए: वागीश शुक्ल

प्राकृत शब्द 'पडिक्कमा' का अर्थ है 'प्रतिक्रमण' या 'लौटना'. इस संग्रह की कुछ कविताएँ परिजनों की मृत्यु की परिक्रमा करती हैं. प्रेम पर कुछ बहुत सुंदर कविताएँ हैं. ग्यारहवीं सदी...

वे नायाब औरतें : अलका सरावगी

वे नायाब औरतें : अलका सरावगी

वरिष्ठ लेखिका मृदुला गर्ग के संस्मरणों की पुस्तक ‘वे नायाब औरतें’ पात्रों की जीवंतता और भाषा की रवानी के कारण पठनीय तो है ही लेखिका के समय का दिलचस्प दस्तावेज़...

आसमाँ और भी हैं: नरेश गोस्वामी

आसमाँ और भी हैं: नरेश गोस्वामी

औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति के सवाल से भारत अपनी आज़ादी के संघर्ष से ही जूझता रहा है. इसका एक सिरा आत्म की खोज की तरफ जाता है तो दूसरा सिरा...

कीड़ाजड़ी : प्रवीण कुमार झा

कीड़ाजड़ी : प्रवीण कुमार झा

वह भी कोई देस है महराज’ के लेखक अनिल यादव की पुस्तक ‘कीड़ाजड़ी’ भी चर्चा में हैं. कीड़ाजड़ी शक्तिवर्धक औषधि है जो दुर्लभ है और इसलिए मूल्यवान भी. इस यात्रा-वृत्तांत...

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