समीक्षा

रंगसाज की रसोई : ओम निश्चल

रंगसाज की रसोई : ओम निश्चल

समकालीन भारतीय कविता के महत्वपूर्ण कवि अरुण कमल के सात कविता संग्रह, दो आलोचना पुस्तकें, साक्षात्कारों की एक किताब और दो अनुवाद पुस्तकें आदि प्रकाशित हैं. उनकी कविताएँ अनेक भाषाओं...

अवधूत कापालिकों का मार्ग और अन्य कविताएँ : बजरंग बिहारी तिवारी

अवधूत कापालिकों का मार्ग और अन्य कविताएँ : बजरंग बिहारी तिवारी

संस्कृत भाषा की समकालीन कविताओं से हम लगभग अपरिचित हैं. समालोचन ने वर्षों पहले बलराम शुक्ल की संस्कृत कविताएँ और साथ में उनके अनुवाद प्रकाशित किये थे. समकालीन संवेदना की...

स्त्री मुग़ल : सुप्रिया पाठक

स्त्री मुग़ल : सुप्रिया पाठक

पवन करण के कविता संग्रह ‘स्त्री मुग़ल’ की कविताओं में इतिहास, आख्यान और संवेदना का सहमेल है. जिन्हें इतिहास भुला देता है, साहित्य उन्हें भी सहेज लेता है. इस संग्रह...

मतलब हिन्दू : महेश कुमार

मतलब हिन्दू : महेश कुमार

‘मतलब हिन्दू’ के कुछ हिस्से समालोचन पर प्रकाशित होकर पहले ही चर्चित प्रशंसित हो चुके हैं. अब यह ‘हिन्दू त्रयी’ के पहले भाग के रूप में मुद्रित होकर उपलब्ध है....

हमारा इतिहास, उनका इतिहास, किसका इतिहास? : फ़रीद ख़ाँ

हमारा इतिहास, उनका इतिहास, किसका इतिहास? : फ़रीद ख़ाँ

संकीर्ण विचारों से देश तो क्या परिवार नहीं चल सकते. गणतंत्र उदात्त विचारों की नींव पर खड़े होते हैं. करुणा उन्हें महान बनाती है. हम भविष्य बना तो सकते हैं,...

हिमांक और क्वथनांक के बीच : महेश चंद्र पुनेठा

हिमांक और क्वथनांक के बीच : महेश चंद्र पुनेठा

हिमालय और उसके समाज पर शेखर पाठक दशकों से लिख रहे हैं. उनकी पुस्तक ‘हिमांक और क्वथनांक के बीच’ केवल यात्रा वृत्त नहीं है. यह उसका सम्पूर्ण पर्यावरण है. इसकी...

वक़्त-ज़रूरत: हरे प्रकाश उपाध्याय

वक़्त-ज़रूरत: हरे प्रकाश उपाध्याय

‘वक़्त-ज़रूरत’, कथा, आलोचना और संपादन में भी सक्रिय अविनाश मिश्र (5 जनवरी, 1986) का तीसरा कविता संग्रह है जो अभी-अभी ही राजकमल से प्रकाशित हुआ है. इस संग्रह की अनुशंसा...

कोई है जो :  सुधांशु गुप्त

कोई है जो : सुधांशु गुप्त

देवी प्रसाद मिश्र हिंदी कहानी के लिए अब एक चुनौती हैं. ‘मनुष्य होने के संस्मरण’ के एक वर्ष पश्चात ही ‘कोई है जो’ उनका दूसरा कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ है...

ऑर्बिटल : किंशुक गुप्ता

ऑर्बिटल : किंशुक गुप्ता

स्थापना दिवस पर मिले शुभाशीष के लिए समालोचन आपके प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता है. वह जो कुछ है अपने लेखकों और पाठकों के कारण ही हैं. ब्रिटिश लेखिका...

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