Home » साहित्य
सविता सिंह की इन नयी कविताओं में शहर है जो छूट गया था, दोस्त हैं जिनकी छवियाँ बदल गई हैं....
पराधीन भारत में कुम्भ की व्यवस्था ब्रिटिश शासन के अधीन थी. मेले से तत्कालीन सरकार को व्यय से कई गुना...
इतिहास-लेखन कितना संवेदनशील और राजनीतिक है, यह कहने की आवश्यकता नहीं है. रसूल हमज़ातोव (मेरा दाग़िस्तान) ने ठीक ही लिखा...
पिंजरे में क़ैद किसी घायल पक्षी की तड़प. विख्यात लेखिका तेजी ग्रोवर के इस ‘आत्मगल्प’ को पढ़ते हुए यह बिम्ब...
‘वक़्त-ज़रूरत’, कथा, आलोचना और संपादन में भी सक्रिय अविनाश मिश्र (5 जनवरी, 1986) का तीसरा कविता संग्रह है जो अभी-अभी...
पुराने शहर ऐसे उपन्यास की तरह हैं जिनके अध्यायों को समय ने समय-समय पर लिखा है. इनमें आंतरिक संवाद है....
शायरी का ख़ुदा कहे जाने वाले मीर तक़ी मीर (1723-1810) की कविताओं की मार्मिकता दिल में बस जाती है. प्रेम...
‘2024 : इस साल किताबें’ का यह तीसरा हिस्सा है. इसके पहले हिस्से में आपने महत्वपूर्ण रचनाकारों मृदुला गर्ग, हरीश...
इस साल क्या रहा किताबों का हाल-चाल? क्यों ने सीधे प्रकाशकों से पूछा जाये. हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशकों की...
साल समाप्ति पर है. लेखकों की दुनिया किताबों की दुनिया है. पाठक अपने प्रिय लेखकों को पढ़ते हैं और लेखक...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum