Home » साहित्य
प्राकृतिक सुषमा से भरे वनांचल में एक वन्य अधिकारी की मुलाकात एक लेखक से होती है और वह बाद में...
हिंदी में ‘नैरेटिव’ शब्द का उपयोग होता आया है. इसका एक पूरा शास्त्र है. जिसे नैरेटोलाजी कहते हैं और जिसका...
निर्मला जैन का समय हिंदी साहित्य के अध्यापन का एक युग ही है. आज़ादी के बाद हिंदी अध्येताओं और अध्यापकों...
‘पश्चिम और सिनेमा’, ‘शेल्फ़ में फ़रिश्ते’, ‘नींद कम ख़्वाब ज्यादा’ के लेखक दिनेश श्रीनेत की कहानियों का पहला संग्रह ‘विज्ञापन...
फासीवाद भी एक विचारधारा है और तानाशाहों को समर्पित स्त्रियाँ मिल ही जाती हैं. इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के...
आकाश सिंह राठौर, मृदुला मुखर्जी, सैयदा हमीद, और पुष्पराज देशपांडे के संपादन में ‘भारत एक पुनर्विचार’ श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित...
राहुल श्रीवास्तव फ़ीचर और विज्ञापन फ़िल्मों से जुड़े हैं. ‘साहेब, बीबी और गैंगस्टर’ के संपादन के लिए सम्मानित हो चुके...
शेक्सपीयर, वर्ड्सवर्थ, वाल्टर स्कॉट, कीट्स, चार्ल्स डिकेन्स, लुईस कैरोल, आर्थर कानन डायल, ऑस्कर वाइल्ड, सिगमंड फ्रायड (जर्मन मनोचिकित्सक), तथा जेम्स...
कुछ कथाकार एक समय के बाद खुद कथानक बन जाते हैं. 72 वर्षीय प्रियंवद ऐसे ही लेखक हैं. उनके परिचित...
आमिर हमज़ा द्वारा संपादित पुस्तक ‘क्या फ़र्ज़ है कि सबको मिले एक सा जवाब’ अभी हाल ही में हिंदी युग्म...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum