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जिनके पास कोई नदी नहीं, वे अ-भागे हैं, जिन्होंने अपनी नदियों को नष्ट कर दिया है वे अपराधी कहलाये जाएंगे....
‘खोई चीज़ों का शोक’ (2021) सविता सिंह का चौथा कविता-संग्रह है. 2001 में उनका पहला संग्रह ‘अपने जैसा जीवन’ प्रकाशित...
कवि-आलोचक अच्युतानंद मिश्र की इन नयी कविताओं में उदासी और निराशा का व्यक्तिगत से अधिक कालगत सन्दर्भ है. यह इस...
अक्सर अकादमिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर हिंदी कथा साहित्य के मनोविश्लेषण की कोशिशें होती रहती हैं, ये कोशिशें भी...
होली हो, दीवाली हो या कृष्ण जन्माष्टमी आगरा के 18 वीं सदी के कवि नज़ीर अकबराबादी की लिखी कविताएँ ही...
हिंदी कविता में युवा स्त्री स्वर यौनिकता को लेकर सचेत है और मुखर भी. देखना यह होता है कि कविता...
कुछ लेखक अधूरे प्रेम की तरह होते हैं, लौट-लौट कर आते हैं. आकर्षण की तीव्रता मंद नहीं पड़ती. ऐसे ही...
साहित्य एवं कला की पत्रिका ‘क’ के संपादक विजय शंकर को दुनिया जानती है. क्या कवि विजय शंकर से हम...
बीसवीं शताब्दी को प्रसिद्ध इतिहासकार एरिक हॉब्सबॉम ने अतियों का युग (The Age of Extremes) कहा है. 21वीं शताब्दी में...
प्रभात रंजन मूलतः कथाकार हैं. उनकी पहचान उनकी कहानियों से बनी फिर वह अनुवाद और संपादन की ओर मुड़ गये....
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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