समाजवादी राजनीति और लोहिया: विनोद तिवारी
आज़ादी के बाद की भारतीय राजनीति को जिन विचारकों ने गहरे प्रभावित किया उनमें डॉ. राम मनोहर लोहिया का नाम प्रमुखता से आता है. आज उनका जन्म दिन है पर...
आज़ादी के बाद की भारतीय राजनीति को जिन विचारकों ने गहरे प्रभावित किया उनमें डॉ. राम मनोहर लोहिया का नाम प्रमुखता से आता है. आज उनका जन्म दिन है पर...
महात्मा गांधी की हत्या भारत पर ऐसा कलंक है जिससे वह चाह कर भी छुपा नहीं सकता, उससे बच नहीं सकता. महात्मा गांधी ख़ुद मृत्यु के विषय में क्या सोचते...
जनवरी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत का महीना है, ३० जनवरी को उनकी शहादत के ७४ साल हो जाएंगे. इन वर्षों में गांधी का भारत बदल गया है, उनके आदर्शों...
प्रसिद्ध गांधीवादी और पर्यावरण संरक्षण के लिए चले चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा (9 जनवरी सन 1927 - 21 मई 2021) को स्मरण कर रहीं हैं लेखिका प्रज्ञा पाठक.
कावड़-यात्रा इधर सबसे तेजी से उभरता हुआ धार्मिक आयोजन है, देखते-देखते ही इसने ख़ासकर पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में बड़े धार्मिक जुलूस का रूप ले लिया है. समाज विज्ञानी नरेश गोस्वामी इधर...
प्रतियोगिताओं में खिलाड़ी उम्मीदों का पहाड़ ढोते हुए हिस्सा लेते हैं, यह भार दर्शकों को दिखता नहीं है, यह उनके अंतर्मन पर लदा रहता है. खिलाड़ियों की फिटनेस (शारीरिक) की...
‘एक व्यक्ति पूरी तरह विस्मृत तभी होता है जब उसका नाम विस्मृत होता है.’ यह कथन कितना कठोर और वास्तविक है. हिटलर ने जर्मनी में यहूदियों के नामों निशाँ मिटाने...
मध्य-पूर्व के देशों में स्त्रियों की बराबरी के लिए संघर्ष में इधर ‘मनाल अल-शरीफ’ की चर्चा होती रही है. स्त्रियाँ खुद कार चलाएं यह कितना बड़ा मुद्दा बन सकता है...
गाँधीवादी और प्रसिद्ध पर्यावरणवादी सुन्दरलाल बहुगुणा जैसे लोग सदियों में तैयार होते हैं, उनपर किसी भी समाज और देश को गर्व होना चाहिए. इस कोरोना और उपचार...
बच्चे का जन्म लेना जैविक क्रिया है लेकिन उसका धार्मिक बनना सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें उसका कोई दखल नहीं होता है. अक्सर माँ-पिता के धर्म ही बच्चे के धर्म हो...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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