मीमांसा

मार्क्स की प्रासंगिकता और हमारा वर्तमान : अच्युतानंद मिश्र

कार्ल मार्क्स मूलतः दार्शनिक थे, जिनकी चिंता समाज को समझने के साथ उसे बदलने की थी. धर्मों के उदय, प्रभाव और प्रभुत्व के बाद  मार्क्स की सोच ही वह संगठित...

हर्बर्ट मार्क्युज़ :अच्युतानंद मिश्र

जर्मन-अमेरिकी दार्शनिक, समाजशास्त्री और राजनीतिक चिंतक हर्बर्ट मार्क्युज़ (Herbert Marcuse, July 19, 1898 – July 29, 1979)फ्रैंकफर्ट स्कूल के सिद्धांतकार  माने जाते हैं. मार्क्सवाद से उनका लम्बा सार्थक संवाद चला...

एडोर्नो: अच्युतानंद मिश्र

एडोर्नो: अच्युतानंद मिश्र

एडोर्नो (Theodor W. Adorno, September 11, 1903 – August 6, 1969) बीसवीं सदी के प्रसिद्ध दार्शनिक, समाज-वैज्ञानिक और संस्कृति- आलोचक हैं. वे ऐसे शायद पहले विचारक हैं जिन्होंने दर्शन और संगीत...

विलगाव, आधुनिक विज्ञान और मध्यवर्ग : अच्युतानंद मिश्र

Ward, 1970-71 : George TookerAlienation(अलगाव,विलगाव, अपरिचय, अजनबीपन आदि) का सिद्धांत न  केवल समाज विज्ञान में बल्कि सहित्य में भी महत्वपूर्ण माना जाता है. सामाजिक प्राणी से एक अकेले असहाय इकाई में...

जुरगेन हेबरमास : अच्युतानंद मिश्र

जुरगेन हेबरमास : अच्युतानंद मिश्र

विश्व के प्रमुख बुद्धिजीवियों में शुमार, जर्मन समाजशास्त्री और दार्शनिक जुरगेन हेबरमास (Jürgen Habermas, 8 June 1929), लोकवृत्त (Public sphere) की अपनी अवधारणा के कारण जाने और माने जाते हैं,...

माइकल फूको : अच्युतानंद मिश्र

माइकल फूको : अच्युतानंद मिश्र

उत्तर आधुनिक दार्शनिक माइकल फूको (Michel Foucault) का जन्म १९२६ में फ्रांस में हुआ था. ज्ञान और ताकत के बीच के सम्बन्धों पर उनका दार्शनिक विवेचन बहुत प्रसिद्ध है. अच्युतानंद...

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