मीर तक़ी मीर : तशरीह : नरगिस फ़ातिमा
शायरी का ख़ुदा कहे जाने वाले मीर तक़ी मीर (1723-1810) की कविताओं की मार्मिकता दिल में बस जाती है. प्रेम और विरह का उनसे बड़ा शायर अभी विश्व ने नहीं...
शायरी का ख़ुदा कहे जाने वाले मीर तक़ी मीर (1723-1810) की कविताओं की मार्मिकता दिल में बस जाती है. प्रेम और विरह का उनसे बड़ा शायर अभी विश्व ने नहीं...
‘2024 : इस साल किताबें’ का यह तीसरा हिस्सा है. इसके पहले हिस्से में आपने महत्वपूर्ण रचनाकारों मृदुला गर्ग, हरीश त्रिवेदी, मदन सोनी, ज्योतिष जोशी, चंद्रभूषण, मुसाफ़िर बैठा और शुभनीत...
इस साल क्या रहा किताबों का हाल-चाल? क्यों ने सीधे प्रकाशकों से पूछा जाये. हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशकों की इस वर्ष की लोकप्रिय पुस्तकों की यह सूची दिलचस्प है....
साल समाप्ति पर है. लेखकों की दुनिया किताबों की दुनिया है. पाठक अपने प्रिय लेखकों को पढ़ते हैं और लेखक अपने प्रिय लेखकों को. लेखक किस तरह की पुस्तकों का...
1929 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जर्मन लेखक और कथाकार थॉमस मान के उपन्यास ‘द मैजिक माउंटेन’ (1924) के विषय में यह कहा जाता है कि वह कुछ...
1924 में प्रकाशित ई. एम. फ़ॉर्स्टर के उपन्यास ‘ए पैसेज टु इण्डिया’ पर वरिष्ठ आलोचक और अनुवादक हरीश त्रिवेदी का आलेख और उन्हीं के द्वारा अनूदित इस उपन्यास के कुछ...
जेम्स ज्वायस की ‘द डेड’ कहानी का शिव किशोर तिवारी द्वारा किया गया अनुवाद आपने यहीं पढ़ा था. कहानी आकार में बड़ी है और अर्थ में भी. इसका अनुवाद भी...
प्रसिद्ध आलोचक और तुलनात्मक साहित्य के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के विद्वान हरीश त्रिवेदी का यह मानना है कि भारत के विषय में अंग्रेजी में जितने भी उपन्यास अब तक लिखे गये...
गजानन माधव मुक्तिबोध (1917-1964) की कालजयी कविता ‘अँधेरे में’ के अनेक पाठ हैं. उसे तरह-तरह से समझा गया है. कालजयी कविताओं की यह विशेषता ही होती है कि उसमें बहुत...
जब इतिहास करवट बदलता है, साहित्य भी अंगड़ाई लेता है. दबे स्वर सुनाई पड़ने लगते हैं. हिंदी साहित्य के इतिहास में प्रमुखता से स्त्री स्वर जो मीरां बाई का था,...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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