सौभाग्यनूपुर: बजरंग बिहारी तिवारी
तमिल साहित्य के पांच महान महाकाव्यों में से एक ‘सीलप्पदिकारम्’ के रचनाकार इलंगो अडिहल चोल साम्राज्य से जुड़े समझे जाते हैं. इधर चर्चित सेंगोल का सम्बन्ध भी चोल साम्राज्य से...
तमिल साहित्य के पांच महान महाकाव्यों में से एक ‘सीलप्पदिकारम्’ के रचनाकार इलंगो अडिहल चोल साम्राज्य से जुड़े समझे जाते हैं. इधर चर्चित सेंगोल का सम्बन्ध भी चोल साम्राज्य से...
1962 में अपनी आत्मकथा के सस्ते, अजिल्द संस्करण के प्रकाशन पर जवाहरलाल नेहरू हर्ष व्यक्त करते हैं. उस समय वह भारत के प्रधानमंत्री थे. आज राजनेताओं की पुस्तकें खूब चमक-धमक...
देखते-देखते प्रकाश मनु तिहत्तर वर्ष के हो गए. उनकी छवि साहित्य के अनथक योद्धा की है. संपादन, बाल साहित्य, उपन्यास, कहानियाँ, जीवनी, आत्मकथा, साक्षात्कार, आलेख, आलोचना आदि क्षेत्रों में वह...
हिंदी की महत्वपूर्ण कवयित्री गगन गिल (1959) के पांच कविता संग्रह प्रकाशित हैं- ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ (1989), ‘अँधेरे में बुद्ध’ (1996), ‘यह आकांक्षा समय नहीं’ (1998), ‘थपक थपक दिल...
किताबों की यात्राएँ भाषाओं की नदी में अनुवाद के सहारे तय होती हैं और इनका सभ्यागत योगदान है. किसी को महत्वपूर्ण पुस्तकों की इन यात्राओं पर काम करना चाहिए. ऐसी...
वरिष्ठ लेखिका मृदुला गर्ग सृजनात्मक लेखन और अनुवाद में पिछले छह दशकों से सक्रिय हैं. उनकी सक्रियता का प्रमाण संस्मरणों पर आधारित उनकी पुस्तक, ‘वे नायाब औरतें’ हैं जो वाणी...
स्वाधीनता आन्दोलन में राष्ट्रीय विचारों के संवाहक के रुप में ‘नेशनल स्कूल’ परिकल्पित किए गए. उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. पर धीरे-धीरे ये स्कूल नष्ट होते चले गए. बिहार के...
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत हिंदी के पाठ्यक्रम में तरह-तरह के बदलाव दिखने लगे हैं. जिस समिति ने इन बदलावों को अनुमोदित किया है, सम्बन्धित विषय की उसकी विशेषज्ञता, प्रस्तावित...
हंगरी की रोज़ा हजनोशी गेरमानूस (1892-1944) शान्तिनिकेतन में अप्रैल-1929 से जनवरी-1932 तक रहीं. उनकी प्रवास डायरी हंगरी में 'Bengali Tüz' और फिर अंग्रेजी में 'Fire of Bengal' के नाम से...
महत्वपूर्ण उपन्यासकार अलका सरावगी का नया उपन्यास ‘गाँधी और सरलादेवी चौधरानी: बारह अध्याय’ अपने प्रकाशन से ही चर्चा का विषय बना हुआ है, कुछ अच्छी समीक्षाएं सामने आईं हैं. आधुनिक...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum