गुलज़ार : छवि और कवि : हरीश त्रिवेदी
हिंदी फिल्मी गीतों को जिन गीतकारों ने संवेदनशील और सहनीय बनाए रखा है, उनमें गुलज़ार का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है. इसके साथ ही, उन्होंने कविताएँ, कहानियाँ, और उपन्यास...
हिंदी फिल्मी गीतों को जिन गीतकारों ने संवेदनशील और सहनीय बनाए रखा है, उनमें गुलज़ार का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है. इसके साथ ही, उन्होंने कविताएँ, कहानियाँ, और उपन्यास...
सोमाली मूल की ब्रिटिश कवयित्री वार्सन शिरे अपनी कविताओं के लिए विश्वविख्यात हैं, विशेष रूप से प्रसिद्ध गायिका बेयोन्से नोल्स के संगीतमय एल्बम ‘लेमोनेड’ और ‘ब्लैक इज़ किंग’ के लिए...
एडवर्ड सईद की पुस्तक ओरिएंटलिज्म ने पूरब को देखने के पश्चिमी नजरिए में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए गंभीर सवाल खड़े किए. औपनिवेशिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पश्चिम ने पूरब...
जो स्थिति आज अंग्रेजी भाषा की है, मध्यकाल में लगभग वही स्थान फ़ारसी भाषा का था. 1837 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में फ़ारसी की...
हिंदी में ‘नैरेटिव’ शब्द का उपयोग होता आया है. इसका एक पूरा शास्त्र है. जिसे नैरेटोलाजी कहते हैं और जिसका हिंदी अनुवाद है– ‘कथाकहन विज्ञान’. इसकी चर्चा कर रहे हैं-...
फासीवाद भी एक विचारधारा है और तानाशाहों को समर्पित स्त्रियाँ मिल ही जाती हैं. इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के जीवन में चार स्त्रियाँ थीं- इडा डालेसर, राचेल मुसोलिनी, क्लारा...
गगन गिल का गद्य उनकी कविताओं का ही विस्तार लगता है. समुचित और सुगठित. बुद्ध पर उनको सुनना-पढ़ना करुणा की किसी नदी से जैसे निकलना हो. नदी जो बहे जा...
शायद ही कोई ऐसी भाषा हो जिसमें लेखकों को सम्मानित न किया जाता हो. पारदर्शी तरीके से उपयुक्त व्यक्ति का चयन अपने आप में एक नैतिकता है. सभ्यता है. यह...
हिंदी के अग्रगण्य साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को वर्ष २०२४ के लिए प्रतिष्ठित 59 वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा हुई है. यह भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है, जिसे...
प्रसिद्ध कथाकार और ‘कथा’ पत्रिका के संपादक मार्कण्डेय (2 मई 1930 - 18 मार्च 2010) की आज पुण्यतिथि है. उन्हें स्मरण करते हुए इस अवसर पर उनकी प्रसिद्ध कहानी ‘हंसा...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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