एक प्रकाश-पुरुष की उपस्थिति : गगन गिल
एक निर्वासित देश छह दशकों से किसी दूसरे देश में अपनी स्मृति, वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं के साथ रह रहा हो, ऐसा उदाहरण विश्व में दुर्लभ है. तिब्बत के...
एक निर्वासित देश छह दशकों से किसी दूसरे देश में अपनी स्मृति, वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं के साथ रह रहा हो, ऐसा उदाहरण विश्व में दुर्लभ है. तिब्बत के...
बहस जब व्यक्ति से प्रवृत्तियों की ओर अग्रसर होती है, तो वह विमर्श की दिशा में मुड़ जाती है. उसमें एक स्थायित्व आ जाता है. उसका देश-काल विस्तार पाने लगता...
यह मोहन राकेश (8 जनवरी, 1925 - 3 दिसंबर, 1972) का जन्म शताब्दी वर्ष है. उनके नाटकों के प्रदर्शन और उनके साहित्य को समझने का यह वर्ष होना चाहिए. आधुनिक...
अफ्रीकी संस्कृति, भाषा और पहचान को केंद्र में रखकर रची गई न्गुगी वा थ्योंगो की रचनाएँ उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और सामाजिक अन्याय के ख़िलाफ़ सशक्त प्रतिरोध हैं. न्गुगी वैश्विक दृष्टिकोण के...
हिंदी फिल्मी गीतों को जिन गीतकारों ने संवेदनशील और सहनीय बनाए रखा है, उनमें गुलज़ार का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है. इसके साथ ही, उन्होंने कविताएँ, कहानियाँ, और उपन्यास...
सोमाली मूल की ब्रिटिश कवयित्री वार्सन शिरे अपनी कविताओं के लिए विश्वविख्यात हैं, विशेष रूप से प्रसिद्ध गायिका बेयोन्से नोल्स के संगीतमय एल्बम ‘लेमोनेड’ और ‘ब्लैक इज़ किंग’ के लिए...
एडवर्ड सईद की पुस्तक ओरिएंटलिज्म ने पूरब को देखने के पश्चिमी नजरिए में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए गंभीर सवाल खड़े किए. औपनिवेशिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पश्चिम ने पूरब...
जो स्थिति आज अंग्रेजी भाषा की है, मध्यकाल में लगभग वही स्थान फ़ारसी भाषा का था. 1837 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में फ़ारसी की...
हिंदी में ‘नैरेटिव’ शब्द का उपयोग होता आया है. इसका एक पूरा शास्त्र है. जिसे नैरेटोलाजी कहते हैं और जिसका हिंदी अनुवाद है– ‘कथाकहन विज्ञान’. इसकी चर्चा कर रहे हैं-...
फासीवाद भी एक विचारधारा है और तानाशाहों को समर्पित स्त्रियाँ मिल ही जाती हैं. इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के जीवन में चार स्त्रियाँ थीं- इडा डालेसर, राचेल मुसोलिनी, क्लारा...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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