आत्म

स्मृतियाँ: सदन झा

स्मृतियाँ: सदन झा

सदन झा इतिहास के अध्येता हैं, ‘देवनागरी जगत की दृश्य संस्कृति’ उनकी चर्चित पुस्तक है. प्रस्तुत गद्य-पद्य में स्मृति के अनेक रूपाकार आपको दिखेंगे.

कोई समाज जनसंहार को किस तरह याद रखता है?: सुभाष गाताडे

कोई समाज जनसंहार को किस तरह याद रखता है?: सुभाष गाताडे

‘एक व्यक्ति पूरी तरह विस्मृत तभी होता है जब उसका नाम विस्मृत होता है.’ यह कथन कितना कठोर और वास्तविक है. हिटलर ने जर्मनी में यहूदियों के नामों निशाँ मिटाने...

मैंने नामवर को देखा था: प्रकाश मनु

मैंने नामवर को देखा था: प्रकाश मनु

नामवर सिंह जीते जी विवादों के केंद्र में रहे, ये विवाद अधिकतर वैचारिक होते थे और उनके लिखे-बोले पर आधारित थे. इधर फिर वह चर्चा में हैं, चर्चा उनके जीवन-प्रसंगों...

भुलाने के लिए लिखना: सुभाष गाताडे

राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर सुभाष गाताडे के धारदार लेखन से हिंदी समाज सुपरिचित है. इधर वह स्मृतियों पर आधारित संवेदनशील गद्य लिख रहें हैं जिसे समालोचन लगातार प्रकाशित कर...

देवेंद्र सत्यार्थी: प्रकाश मनु का संस्मरण और कहानी कुंग पोश

देवेंद्र सत्यार्थी: प्रकाश मनु का संस्मरण और कहानी कुंग पोश

लेखक-संपादक प्रकाश मनु देवेंद्र सत्यार्थी के शब्द और कर्म के साक्षी रहें हैं. उनका यह संस्मरण यहाँ प्रस्तुत है. साथ ही देवेंद्र सत्यार्थी की पुत्री श्रीमती अलका सोईं के सौजन्य से...

बटरोही : हम तीन थोकदार (समापन क़िस्त)

वरिष्ठ कथाकार लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’ ने २५ अप्रैल २०२० को अपना ७५ वां जन्म दिन मनाते हुए यह सोचा कि क्यों न एक ऐसा वृत्तांत रचा जाए जो जितनी...

माँ: कुछ असमाप्त प्रसंग: सुभाष गाताडे

सुभाष गाताडे राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर लिखते हैं. माँ पर लिखा यह स्मृति-आलेख मार्मिक है और भाषा भी तदनुसार संवेदनशील है. जिसे हम साधारण का सौन्दर्य कहते हैं उसकी...

जयशंकर प्रसाद की जीवनी: सत्यदेव त्रिपाठी

जयशंकर प्रसाद की जीवनी: सत्यदेव त्रिपाठी

ज़ाहिर है जयशंकर प्रसाद (३० जनवरी,१८९०- १४ जनवरी,१९३७) ने उसके बाद भी अपनी आत्मकथा नहीं लिखी. हाँ उनके विषय में उनके मित्रों ने बहुत कुछ लिखा है. उनके निधन के...

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