स्मृतियाँ: सदन झा
सदन झा इतिहास के अध्येता हैं, ‘देवनागरी जगत की दृश्य संस्कृति’ उनकी चर्चित पुस्तक है. प्रस्तुत गद्य-पद्य में स्मृति के अनेक रूपाकार आपको दिखेंगे.
सदन झा इतिहास के अध्येता हैं, ‘देवनागरी जगत की दृश्य संस्कृति’ उनकी चर्चित पुस्तक है. प्रस्तुत गद्य-पद्य में स्मृति के अनेक रूपाकार आपको दिखेंगे.
दिल्ली के लिए कभी मीर ने कहा था - ‘दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके / पछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ कर.’ दिल्ली हो या दिल...
नई सदी की हिंदी कविता में जिन कवियों ने कथ्य और शिल्प को लेकर बड़े बदलाव संभव किये हैं उनमें बाबुषा कोहली का नाम प्रमुखता से आता है. सृजनात्मक गद्य...
‘एक व्यक्ति पूरी तरह विस्मृत तभी होता है जब उसका नाम विस्मृत होता है.’ यह कथन कितना कठोर और वास्तविक है. हिटलर ने जर्मनी में यहूदियों के नामों निशाँ मिटाने...
नामवर सिंह जीते जी विवादों के केंद्र में रहे, ये विवाद अधिकतर वैचारिक होते थे और उनके लिखे-बोले पर आधारित थे. इधर फिर वह चर्चा में हैं, चर्चा उनके जीवन-प्रसंगों...
राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर सुभाष गाताडे के धारदार लेखन से हिंदी समाज सुपरिचित है. इधर वह स्मृतियों पर आधारित संवेदनशील गद्य लिख रहें हैं जिसे समालोचन लगातार प्रकाशित कर...
लेखक-संपादक प्रकाश मनु देवेंद्र सत्यार्थी के शब्द और कर्म के साक्षी रहें हैं. उनका यह संस्मरण यहाँ प्रस्तुत है. साथ ही देवेंद्र सत्यार्थी की पुत्री श्रीमती अलका सोईं के सौजन्य से...
वरिष्ठ कथाकार लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’ ने २५ अप्रैल २०२० को अपना ७५ वां जन्म दिन मनाते हुए यह सोचा कि क्यों न एक ऐसा वृत्तांत रचा जाए जो जितनी...
सुभाष गाताडे राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर लिखते हैं. माँ पर लिखा यह स्मृति-आलेख मार्मिक है और भाषा भी तदनुसार संवेदनशील है. जिसे हम साधारण का सौन्दर्य कहते हैं उसकी...
ज़ाहिर है जयशंकर प्रसाद (३० जनवरी,१८९०- १४ जनवरी,१९३७) ने उसके बाद भी अपनी आत्मकथा नहीं लिखी. हाँ उनके विषय में उनके मित्रों ने बहुत कुछ लिखा है. उनके निधन के...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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