‘लो सँभालो अपनी दुनिया हम चले’: पंकज चौधरी
'लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैं/ इक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं.' ...
Home » शंख घोष
'लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैं/ इक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं.' ...
बांग्ला कविताओं की अपनी जमीन है, उस में आदिम मनुष्यता की बची हुई जो महक है. प्रेम की लरजती हुई ...
२०१६ का ५२ वां ज्ञानपीठ पुरस्कार आधुनिक बांग्ला साहित्य के जानेमाने कवि शंख घोष को दिए जाने की घोषणा हुई ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2022 समालोचन | powered by zwantum