ख़ानज़ादा: एक भूली-बिसरी विरासत: विजय बहादुर सिंह
किसी ऐतिहासिक औपन्यासिक कृति पर समीक्षात्मक आलेख दो स्तरों पर उस कृति को देखता है, उसमें कहाँ तक इतिहास है ...
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