Laszlo Krasznahorkai लास्लो क्रास्नाहोर्काई से ऐडम थर्लवेल की बातचीत अनुवाद : महेश मिश्र |
लास्लो क्रास्नाहोर्काई का जन्म 1954 में ग्यूला नामक एक प्रांतीय नगर में हुआ, जो सोवियत युग के दौरान हंगरी का हिस्सा था. उन्होंने अपना पहला उपन्यास “सैटनटैंगो” 1985 में प्रकाशित किया, इसके बाद “द मेलन्कॉली ऑफ़ रेज़िस्टेन्स” (1989), “वॉर एंड वॉर” (1999) और “बैरोन वेन्कहाइम्स होमकमिंग” (2016) जैसी कृतियाँ सामने आईं.
उनके ये उपन्यास — भाषा के विशाल प्रवाह, विद्वत्ता (erudition) और गहन चिंतन से परिपूर्ण हैं. वे बौद्ध दर्शनशास्त्र के ग्रंथों से उतने ही परिचित हैं जितने कि यूरोपीय बौद्धिक परंपरा से. उनके पात्र प्रायः जुनूनी (obsessive) स्वभाव के होते हैं, और उनके परिवेश में वर्षा से भीगे, उदास, किंतु जीवन से स्पंदित दृश्य उपस्थित रहते हैं.
पहली दृष्टि में उनकी रचनाएँ किसी कठोर लेट-मॉडर्निस्ट ऊँचाई या ‘औपचारिक आभिजात्य प्रभाव’ (formal intellectual hauteur) का आभास देती हैं; किंतु भीतर से वे अत्यंत सूक्ष्म, बारीक़ (pointillist), सुरुचिपूर्ण और नाज़ुक हास्य से युक्त हैं. उनकी गंभीरता में भी एक प्रकार की आभा और शोभा (panache) है — एक ऐसा आमना-सामना , जिसमें विरोधी स्वरों का विलयन होता है.
यह टकराव या विरोधाभास उनके उपन्यासों के अतिरिक्त अन्य लेखन में भी दृष्टिगोचर होता है , जैसे “ऐनिमलइनसाइड” (2010) जैसी लघु कथाएँ, अथवा भौगोलिक दृष्टि से व्यापक ग्रंथ — “डिस्ट्रक्शन एंड सॉरो बिनीथ द हेवंस” (2004) और “सेइओबो देयर बिलॉ” (2008). इन सबमें उनकी कला एक साथ साहित्यिक गंभीरता और दार्शनिक ऊँचाई लिए हुए चलती है.
हालाँकि क्रास्नाहोर्काई के पास अब भी हंगरी में एक घर है, पर वे मुख्यतः बर्लिन में निवास करते हैं. जब मैंने 2016 की सर्दियों में इस साक्षात्कार की शुरुआत के लिए लंदन से बर्लिन जाने का प्रयास किया, तो धुंध के कारण मेरी उड़ान रद्द हो गई. कुछ घंटों बाद, जब नई उड़ान टारमैक (tarmac) पर तैयार खड़ी थी, तो घोषणा हुई कि तकनीकी कठिनाइयों के चलते प्रस्थान में और विलंब होगा.
आख़िरकार जब मैं बर्लिन पहुँचा और एक टैक्सी ली, जो चिंताजनक तेज़ गति से चल रही थी क्योंकि चालक के अनुसार उसे तत्काल शौचालय ढूँढना था— तो मैंने क्रास्नाहोर्काई को यू-बान (U-Bahn) के प्रवेश द्वार, हेरमानप्लात्स पर पाया, ठीक बारह घंटे बाद जब मैं लंदन से निकला था. उस क्षण मुझे लगा, जैसे मैं उनसे बीजिंग में आकर मिला हूँ. यह लम्बी खिंचती आधुनिक यात्रा की एक विडंबनापूर्ण कथा थी, जो अपने आप में अजीब तरह से हास्यपूर्ण प्रतीत हो रही थी. किंतु शीघ्र ही मुझे लगा— यह तो स्वाभाविक ही है, क्योंकि क्रास्नाहोर्काई की कला सदैव उस अब्सर्ड (absurd) के प्रति आतिथ्य शील रही है, उस ढंग से, जिसमें संसार स्वयं को व्यक्तित्व रूप में ढाल लेता है और एक अडिग प्रतिद्वन्द्वी बन जाता है.
क्रास्नाहोर्काई अंग्रेज़ी भाषा बोलते समय एक मोहक मिटलयूरोपियन (Mitteleuropean) उच्चारण में बोलते हैं, जिसमें कभी-कभी अमेरिकन एक्सेंट का स्पर्श भी आ जाता है, यह प्रभाव उनके उन वर्षों का परिणाम है जब वे नब्बे के दशक में ऐलन गिन्सबर्ग के न्यूयॉर्क अपार्टमेंट में रहते थे.
वे एक विशालकाय किंतु कोमल स्वभाव के व्यक्ति हैं. प्रायः मुस्कुराते हुए, हँसते हुए और जीव-जगत के प्रति गहन सहानुभूति से भरे हुए. जब मैं ठंड से काँपता हुआ प्रतीत हुआ, तो उन्होंने मुझे अपना एक स्वेटर उधार दिया. उन्होंने मुझे डुर्स ग्र्यूनबाइन की कविताओं का संग्रह “ऊना स्तोरिया वेरा (Una Storia Vera)” भेंट किया, और ज्योर्ज़ कुर्ताग (György Kurtág) के संगीत की अनुशंसा भी की.
उनके लम्बे बालों और विषादमय आँखों के साथ वे किसी उदार संत (benign saint) जैसे दिखाई देते हैं. वे पूर्ण निजता के व्यक्ति हैं; इसलिए वे कभी अपने अपार्टमेंट में मिलने के इच्छुक नहीं होते. इसके स्थान पर हमने अपने लम्बे सत्र उसी क्षेत्र के विविध कैफ़ेज़ और रेस्टोरेंट्स, विशेषकर क्रॉय़ज़बर्ग (Kreuzberg) इलाके में किए.
ऐडम थर्लवेल
ऐडम
आइए, आपके एक लेखक के रूप में प्रारंभिक समय के बारे में बात करें.
मुझे हमेशा लगता था कि सच्चा जीवन, वास्तविक जीवन, कहीं और है.
फ्रांज़ काफ्का के “द कैसल” के साथ-साथ कुछ समय तक मेरी “बाइबल” थी मैलकम लॉवरी का “अंडर द वोल्केनो”.
यह सन् साठ के उत्तरार्ध और सत्तर के दशक की शुरुआत की बात है. मैं लेखक बनना नहीं चाहता था. मेरा विचार था कि मैं बस एक ही किताब लिखूँगा, और उसके बाद कुछ और करूँगा, ख़ासकर संगीत के क्षेत्र में.
मैं सबसे गरीब लोगों के साथ रहना चाहता था, मुझे लगता था कि वही वास्तविक जीवन है.
मैं बहुत निर्धन गाँवों में रहा. हमेशा बहुत साधारण और कठिन काम किए. हर तीन या चार महीने में जगह बदल लेता था, ताकि अनिवार्य मिलिट्री सर्विस से बच सकूँ.
फिर, जैसे ही मैंने कुछ छोटी रचनाएँ प्रकाशित करनी शुरू कीं, मुझे पुलिस की ओर से बुलावा मिला. शायद मैं कुछ अधिक निर्भीक था, क्योंकि हर प्रश्न के बाद मैं कहता, “कृपया विश्वास कीजिए, मेरा राजनीति से कोई संबंध नहीं है.”
वे कहते, “लेकिन हमें तुम्हारे बारे में कुछ बातें पता हैं.”
मैं फिर कहता, “नहीं, मैं समकालीन राजनीति पर नहीं लिखता.”
वे बोले, “हम तुम्हारी बात पर यक़ीन नहीं करते.”
कुछ देर बाद मैं थोड़ा क्रोधित हो गया और कहा,
“क्या आप सच में सोच सकते हैं कि मैं आप जैसे लोगों पर कुछ लिखूँगा?”
यह सुनकर वे स्वाभाविक रूप से भड़क उठे.
उनमें से एक अधिकारी, शायद सीक्रेट पुलिस का व्यक्ति— ने मेरा पासपोर्ट ज़ब्त करने की बात कही.
सोवियत युग के कम्युनिस्ट तंत्र में हमारे पास दो प्रकार के पासपोर्ट हुआ करते थे— नीला (blue) और लाल (red). मेरे पास केवल लाल पासपोर्ट था. लाल पासपोर्ट बहुत महत्व का नहीं था क्योंकि उससे केवल सोशलिस्ट देशों में ही जाया जा सकता था, जबकि नीला पासपोर्ट स्वतंत्रता का प्रतीक था.
मैंने कहा, “आप सचमुच लाल वाला लेना चाहते हैं?”
पर उन्होंने फिर भी उसे ज़ब्त कर लिया,
और 1987 तक मेरे पास कोई पासपोर्ट नहीं रहा.
यही मेरी लेखन-यात्रा की पहली कथा थी. और यह बहुत आसानी से अंतिम भी हो सकती थी.
हाल ही में, सीक्रेट पुलिस के अभिलेखों में मुझे कुछ दस्तावेज़ मिले, जिनमें वे संभावित सूचना-दाताओं और जासूसों के बारे में चर्चा कर रहे थे. उन्होंने लिखा था कि मेरे भाई के साथ तो शायद कोई संभावना हो, पर लास्ज़लो क्रास्नाहोर्काई के साथ बिल्कुल नहीं. क्योंकि वह अत्यंत एण्टी-कम्युनिस्ट है.
अब यह सब सुनने में हास्यास्पद लगता है, पर उस समय यह तनिक भी मज़ेदार नहीं था. मैंने कभी कोई राजनीतिक प्रदर्शन नहीं किया. मैं बस छोटे-छोटे कस्बों और गाँवों में रहता था और अपना पहला उपन्यास लिख रहा था.
ऐडम
आपने इसे प्रकाशित कैसे किया?
यह 1985 की बात है. कोई भी, स्वयं मैं भी नहीं—यह समझ नहीं सका कि “सैटैनटैंगो” जैसी पुस्तक का प्रकाशन कम्युनिस्ट तंत्र के भीतर कैसे संभव हुआ. यह उपन्यास किसी भी दृष्टि से उस व्यवस्था के लिए “सहज” या “अ-समस्यात्मक” (unproblematic) नहीं था.
उस समय समकालीन साहित्य प्रकाशित करने वाले एक प्रकाशन गृह के निदेशक एक पूर्व सीक्रेट पुलिस प्रमुख थे. शायद वे यह सिद्ध करना चाहते थे कि उनके पास अब भी शक्ति है. इतनी शक्ति कि वे यह दिखा सकें कि उनमें इस उपन्यास को प्रकाशित करने का साहस है.
मेरा अनुमान है, यही एकमात्र कारण था कि यह पुस्तक छप सकी.
ऐडम
आप उस समय किस प्रकार के कार्य कर रहे थे?
मैं कुछ समय के लिए खनिक (miner) के रूप में कार्य करता था. वह लगभग हास्यास्पद स्थिति थी. असली खनिकों को मेरे हिस्से का काम भी करना पड़ता था. इसके बाद मैं ग्राम्य सांस्कृतिक केंद्रों (culture houses) का निदेशक बन गया, जो बुडापेस्ट से बहुत दूर स्थित गाँवों में थे. प्रत्येक गाँव में एक सांस्कृतिक भवन होता था, जहाँ लोग आकर क्लासिक्स पढ़ सकते थे. यह पुस्तकालय ही उनके दैनिक जीवन का एकमात्र बौद्धिक सहारा था. शुक्रवार या शनिवार को, उस भवन का निदेशक यानी मैं संगीत-संध्या या किसी अन्य प्रकार का आयोजन करता था, जो वहाँ के युवाओं के लिए अत्यंत प्रिय और उपयोगी था.
मैं छह बहुत छोटे गाँवों का निदेशक था, इसलिए मुझे लगातार उनके बीच यात्रा करनी पड़ती थी.
यह एक सुंदर कार्य था. मुझे यह इसलिए बहुत प्रिय था क्योंकि इससे मैं अपने बुर्ज़ुआ परिवार से बहुत दूर चला गया था. और क्या कर रहा था मैं? मैंने कुछ समय के लिए तीन सौ गायों का नाइट वॉचमैन भी रहा. वह मेरा प्रिय काम था. एक निर्जन भूमि में स्थित गौशाला. पास में न कोई गाँव था, न कोई शहर, न कोई कस्बा. शायद मैं कुछ महीनों तक वहाँ चौकीदारी करता रहा.
एक गरीब जीवन, जिसमें एक जेब में “अंडर द वोल्केनो” और दूसरी में दोस्तोयेव्स्की की कोई पुस्तक रहती थी. और स्वाभाविक ही, इन वांडरयाहरे (Wanderjahre) — यानी भटकन के वर्षों में मैंने पीना शुरू कर दिया. हंगेरियन साहित्य में यह एक मान्यता-सी थी कि “सच्चे प्रतिभाशाली” व्यक्ति पक्के शराबी होते हैं.
और मैं भी एक उन्मत्त शराबी बन गया था. लेकिन एक दिन ऐसा क्षण आया जब मैं कुछ हंगेरियन लेखकों के साथ बैठा था. सभी गंभीरता से यह स्वीकार कर रहे थे कि यह अपरिहार्य है, कि हर हंगेरियन प्रतिभा को एक उन्मत्त शराबी होना ही चाहिए. मैंने इस विचार को चुनौती दी और एक शर्त लगाई — बारह बोतल शैम्पेन (twelve bottles of champagne) की — कि मैं अब कभी शराब नहीं पिऊँगा.
ऐडम
और आपने वाकई नहीं पी?
और मैंने वाकई नहीं पी. परंतु उस समय समकालीन गद्य लेखकों में एक विशेष लेखक और शराबी थे— पीतेर हाइनोंची (Péter Hajnóczy). वे एक जीवित किंवदंती थे, एक पक्के शराबी. कुछ उसी तरह जैसे मैल्कम लॉवरी. उनकी मृत्यु हंगेरियन साहित्य की सबसे बड़ी घटना थी. वे बहुत युवा थे, शायद चालीस वर्ष के आस-पास.
और वही जीवन मैं जी रहा था. मुझे किसी बात की चिंता नहीं थी. वह एक अत्यंत रोमांचकारी जीवन था, जो निरंतर दो नगरों के बीच यात्रा में बीतता, रातों को रेलवे स्टेशनों और बारों में — जहाँ मैं लोगों को देखता, उनसे छोटी–छोटी बातें करता. धीरे-धीरे, मैंने अपने मन में उस पुस्तक को लिखना शुरू किया. उस प्रकार कार्य करना मेरे लिए अच्छा था, क्योंकि मुझे भीतर से यह गहरा अनुभव होता था कि साहित्य एक आध्यात्मिक क्षेत्र है. और हाइनोंची, यानोश पिलिन्स्की (János Pilinszky), शाँदोर वेरोश (Sándor Weöres) और अनेक अद्भुत कवि उसी युग में जी रहे थे और लिख रहे थे.
गद्य साहित्य (prose literature) अपेक्षाकृत कम प्रभावशाली था. हम कविताओं को अधिक प्रेम करते थे क्योंकि वे अधिक रहस्यमय अधिक रोचक थीं. गद्य जीवन के बहुत निकट था. शायद बहुत निकट.
गद्य में “प्रतिभा” का विचार (the idea of a genius in prose) उस व्यक्ति से जुड़ा था जो वास्तविक जीवन के बहुत समीप बना रहता. इसीलिए परंपरागत रूप से हंगेरियन गद्यकार — जैसे ज़िगमोंड मॉरिच (Zsigmond Móricz), छोटे-छोटे वाक्यों में लिखते थे.
मेरे प्रिय लेखक ग्यूला क्रूदी (Gyula Krúdy) के साथ पर ऐसा नहीं था. वे हंगेरियन गद्य साहित्य के इतिहास में मेरे एकमात्र प्रिय लेखक हैं. एक अद्भुत लेखक. उनके लेखन का अनुवाद संभव ही नहीं है.
हंगरी में उन्हें डॉन जियोवानी (Don Giovanni) की तरह देखा जाता था. लगभग दो मीटर ऊँचे, विशालकाय, और असाधारण व्यक्तित्व वाले व्यक्ति. वे इतने आकर्षक थे कि कोई भी उनके मोह से बच नहीं पाता था.
ऐडम
और उनके वाक्य?
वे वाक्यों का प्रयोग अन्य किसी गद्य लेखक से एकदम भिन्न ढंग से करते थे. उनकी आवाज़ हमेशा किसी थोड़े-से नशे में डूबे व्यक्ति जैसी लगती थी, जो अत्यंत उदास (melancholy) हो, जिसने जीवन के सभी भ्रम (illusions) खो दिए हों, जो बहुत शक्तिशाली हो, पर जिसकी वह शक्ति अब किसी काम की न हो.
लेकिन क्रूदी (Krúdy) मेरे लिए कोई साहित्यिक आदर्श (literary ideal) नहीं थे. वे मेरे लिए एक व्यक्ति थे, एक किंवदंती (legend), जिनसे मुझे वह शक्ति मिली जब मैंने ठान लिया कि मुझे कुछ लिखना है.
यानोश पिलिन्स्की (János Pilinszky) मेरे दूसरे दंतकथात्मक व्यक्ति थे. साहित्यिक अर्थ में, पिलिन्स्की मेरे लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण थे. उनकी भाषा के कारण, उनके बोलने के ढंग के कारण.
मैं कोशिश करता हूँ उसका अनुकरण करने की—
“प्रिय ऐडम — हमें — प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए — किसी अपोकैलिप्स (apocalypse) की,
हम पहले से — अब — एक अपोकैलिप्स में जी रहे हैं.
मेरे प्रिय — ऐडम — कृपया कहीं मत जाइए — कहीं भी नहीं … ”
उनकी आवाज़ बहुत ऊँची, बहुत धीमी होती थी, और प्रत्येक शब्द के बीच गहरे विराम (pauses) आते थे. हर शब्द का अंतिम अक्षर वे बहुत स्पष्ट रूप से उच्चारित करते जैसे किसी कैटाकॉम्ब (catacomb) में खड़ा पादरी (priest), जिसके पास कोई आशा नहीं, पर फिर भी भीतर एक असीम आशा (huge hope) जीवित हो.
पर वे ग्यूला क्रूदी से सर्वथा भिन्न थे. पिलिन्स्की एक मेमने (lamb) की तरह थे. मानव नहीं, मेमना.
ऐडम
क्या अनुवाद कम ही उपलब्ध हो पाते थे?
सत्तर के दशक में एक समय ऐसा था जब हमें पश्चिमी साहित्य बहुत मात्रा में मिला करता था— विलियम फॉकनर, फ्रांज़ काफ्का, रिल्के, आर्थर मिलर, जोसेफ हेलर, मार्सेल प्राउस्ट, सैमुअल बेकेट. लगभग हर हफ्ते कोई नया मास्टरवर्क (masterwork) प्रकाशित होता था.
क्योंकि कम्युनिस्ट शासन (Communist regime) के अंतर्गत लेखक अपनी रचनाएँ प्रकाशित नहीं कर सकते थे, इसलिए महानतम लेखक और कवि अनुवादक (translators) बन गए. इसी वजह से हमारे पास शेक्सपियर, दांते, होमर और हर महान अमेरिकी लेखक जैसे फॉकनर से आगे तक के अद्भुत अनुवाद उपलब्ध थे.
यहाँ तक कि पिंचन के ग्रेविटी’स रेनबो (Gravity’s Rainbow) का पहला अनुवाद भी सचमुच शानदार था.
ऐडम
और दोस्तोयेव्स्की?
हाँ. दोस्तोयेव्स्की ने मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, पर उनकी शैली या कथाओं के कारण नहीं, बल्कि उनके नायकों (heroes) के कारण.
क्या तुम्हें “व्हाइट नाइट्स (White Nights)” का नैरेटर याद है? मुख्य पात्र कुछ हद तक द इडियट (The Idiot) के मिश्किन (Mishkin) जैसा है. एक पूर्व-मिश्किन (pre-Mishkin) रूप.
मैं उस नैरेटर का, और बाद में मिश्किन का, उनकी निर्बलता (defenselessness) का दीवाना था. एक निर्बल, देवदूत-सदृश (angelic) व्यक्तित्व.
मेरे हर उपन्यास में आप ऐसा पात्र पा सकते हैं— जैसे सैटैनटैंगो (Satantango) में एस्तिके (Estike) या मेलान्कॉली (Melancholy) का वालुस्का (Valuska) जो संसार से पीड़ित हैं. वे इस पीड़ा के योग्य नहीं हैं, और मैं उन्हें इसलिए प्रेम करता हूँ क्योंकि वे ऐसे ब्रह्मांड (universe) पर विश्वास करते हैं. जहाँ सब कुछ अद्भुत है, यहाँ तक कि मानव अस्तित्व भी. और मैं उनके इस विश्वास-भाव (belief) का अत्यंत आदर करता हूँ.
परंतु जिस मासूमियत से वे विश्व को देखते हैं, वह दृष्टि मेरे लिए संभव नहीं है. मेरी समझ में हम पशुओं की दुनिया के अधिक निकट हैं.
हम जानवर हैं. बस वही जानवर जो जीत गए.
फिर भी हम एक अत्यंत मानवीकृत (anthropomorphic) संसार में जीते हैं, जहाँ हम मानते हैं कि यह एक “मानव-केंद्रित” दुनिया है, जिसमें पशु, वनस्पति, पत्थर आदि के लिए केवल एक कोना आरक्षित है. पर यह सत्य नहीं है.
ऐडम
तो आपका मतलब है, आपकी स्वयं की दर्शन-दृष्टि शुद्ध भौतिकवाद (pure materialism) है?
अरे नहीं, मिश्किन भी वास्तविक है. माफ़ कीजिए.
ऐडम
नहीं, ज़रा और बताइए.
फ्रांज़ काफ्का (Franz Kafka) एक व्यक्ति हैं. वे हैं फ्रांज़ काफ्का, अपनी जीवन-कथा के साथ, अपनी पुस्तकों के साथ. परंतु के. (K.) वहाँ है, ब्रह्मांड (universe) के किसी स्वर्गीय प्रदेश में और संभव है कि मेरे उपन्यासों के कुछ पात्र भी वहीं रहते हों.
उदाहरण के लिए, सैटैनटैंगो (Satantango) के इरीमियाश (Irimiás) और डॉक्टर, या मेलान्कॉली (Melancholy) के मिस्टर एस्तर (Mr. Eszter) और वालुस्का (Valuska), या मेरे नए उपन्यास से — द बैरन (The Baron).
ये सभी पात्र परम (absolute) हैं. वे जीवित हैं, वे अस्तित्व में हैं. एक शाश्वत स्थल (eternal place) में.
क्या तुम यह तर्क दे सकते हो कि मिश्किन केवल एक काल्पनिक (fictional) पात्र है?
निश्चित ही, दे सकते हो.
परंतु वह सत्य नहीं है.
मिश्किन संभवतः दोस्तोयेव्स्की (Dostoyevsky) के माध्यम से किसी और के ज़रिए यथार्थ (reality) में प्रवेश कर गया होगा पर अब, हमारे लिए, वह एक वास्तविक व्यक्ति है.
हर वह पात्र, जो तथाकथित शाश्वत कल्पना (eternal fiction) में पाया जाता है, कभी न कभी किसी साधारण मनुष्य के माध्यम से प्रकट हुआ है. यह एक गुप्त प्रक्रिया है, पर मुझे इसका पूर्ण विश्वास है कि यह सत्य है.
उदाहरण के लिए— सैटैनटैंगो लिखने के कुछ वर्षों बाद मैं एक बार (bar) में था. किसी ने मेरे कंधे पर थपकी दी— वह हालीच (Halics) था, सैटैनटैंगो से! सचमुच! मैं मज़ाक नहीं कर रहा!
इसीलिए मैं अब बहुत अधिक सावधान हो गया हूँ कि मैं क्या लिखता हूँ. उदाहरण के लिए, वार एंड वार (War and War) का मूल पाठ उस संस्करण से बिल्कुल भिन्न था जो प्रकाशित हुआ. पहले सौ पृष्ठ कोरिन (Korin) की स्व-विनाश (self-destruction) की कथा पर आधारित थे. पर मुझे भय हुआ कि कहीं मैं उसे बाद में उसी अवस्था में न देख लूँ और फिर उसकी सहायता न कर पाऊँ. मुझे इस संभावना से डर लगा कि शायद वह कभी अपने छोटे-से नगर से बाहर न निकल सके. इसीलिए मैंने उसे वहाँ से निकल जाने का अवसर दिया. उसकी उस एकमात्र इच्छा के साथ कि जीवन के अंतिम क्षण में वह एक बार विश्व के केंद्र (centre of the world) तक पहुँचे.
मैंने यह तय नहीं किया था कि वह स्थान न्यूयॉर्क होगा, पर वहीं जाकर मैं उस कहानी से स्वयं को मुक्त कर सका जिसमें वह सदा के लिए उसी प्रांतीय (provincial) जगह में जीता रहता.
ऐडम
मैं बस यही सोच रहा हूँ कि आपने कहा कि मनुष्य एक मानवीकृत (anthropomorphic) संसार में रहते हैं. कभी-कभी मुझे यह लगता है कि उपन्यास इतने सहज रूप से मानवकेंद्रित (anthropocentric) क्यों होते हैं. ऑक्टोपस (octopi) कहाँ हैं? शैवाल (algae) कहाँ हैं?मुझे आपके उपन्यासों में यही पसंद है कि वे, तथाकथित, इतने प्रांतीय रूप से मानव-केंद्रित (provincially human) होने की कोशिश नहीं करते. परंतु यह भी एक तरह का विरोधाभास लगता है.
और क्या हो सकते हैं वे उपन्यास, इसके अलावा?
यह बहुत महत्वपूर्ण है. उपन्यास का ढांचा (frame) बहुत अधिक मानव-केंद्रित हो सकता है. इसीलिए नैरेटर की समस्या सबसे पहली समस्या होती है, और यह हमेशा बनी रहती है. आप उपन्यास से नैरेटर को कैसे हटा सकते हैं?
मेरे सबसे हालिया उपन्यास में, हर पृष्ठ पर केवल लोग ही एक-दूसरे से बात करते हैं— और यह नैरेटर को बचाने का एक तरीका है, पर यह केवल एक तकनीक है.
मैं आपसे सहमत हूँ. उपन्यास और संसार का ढांचा वास्तव में मानव-केंद्रित है. पर यदि मुझे चुनना पड़े, बिना ढांचे का ब्रह्मांड (universe without a frame) और ढांचे वाला मानव (mankind with a frame), तो मैं मानव को चुनूंगा.
हमारे पास कोई जानकारी नहीं है कि ब्रह्मांड क्या है.
बुद्धिमान लोगों ने हमेशा कहा है कि सोचने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सोच आपको कहीं नहीं ले जाती. आप केवल इस विशाल ग़लतफहमी (misunderstanding) के निर्माण के ऊपर निर्माण करते हैं. यही सांस्कृतिक संरचना (culture) है.
सांस्कृति का इतिहास महान विचारकों की ग़लतफहमियों का इतिहास है.
इसलिए हमें हमेशा शून्य पर लौटना चाहिए और अलग ढंग से शुरुआत करनी चाहिए.
और शायद इस प्रकार आपको यह अवसर मिलता है, समझने के लिए नहीं, पर कम से कम आगे की ग़लतफहमियाँ न होने देने के लिए.
क्योंकि यह इस प्रश्न का दूसरा पहलू है. क्या मैं वास्तव में इतना साहसी हूँ कि संपूर्ण मानव संस्कृति को रद्द कर दूँ? मानव उत्पादन की सुंदरता की प्रशंसा करना रोक दूँ? न कहना बहुत कठिन है.
ऐडम
फिर भी आप उपन्यास लिखते रहते हैं.
हाँ, पर शायद यह एक ग़लती हो. मैं अपनी संस्कृति का सम्मान करता हूँ. मैं प्रत्येक रूप में मानव की उच्च अभिव्यक्ति (high human articulation) का सम्मान करता हूँ. परंतु इस संस्कृति की जड़ झूठी है. और यदि हम कुछ नहीं करते, तो सब कुछ वैसे ही चलता रहता है. और शायद यही सबसे महत्वपूर्ण बात है. सब कुछ चलना चाहिए. बिना किसी सार (essences)के. इसके होने की प्रकृति या अन्य ऐसे प्रश्नों के बारे में सोचे.
ऐडम
जैसे लिखना, और प्रत्येक कला रूप, एक धार्मिक अनुष्ठान (ritual) बन जाए, पर बिना किसी धर्मशास्त्र (theology) के?
शायद इसे इस तरह सोचा जा सकता है, लिखना एक ऐसा अनुष्ठान (ritual) है जिसे आप लगातार करते हैं, शब्द के बाद शब्द, वाक्य के बाद वाक्य.
यह बीसवीं सदी की प्रारंभिक क्लासिक avant-garde — जैसे दादा (Dada) — के अर्थ में नहीं है, जो महान कलाकारों को कहीं नहीं ले गई, क्योंकि उन्होंने सामग्री (content) की उपेक्षा की, और वह उनकी, गरीब प्रतिभाशाली लोगों की, गलती थी. लेकिन यही वह बिंदु है जहाँ हमें अपने पाठकों को याद रखना चाहिए. क्योंकि पाठकों को हमारी रचनाओं की आवश्यकता है, ऐसा मुझे आशा है. और इस छोटे से स्थान में जहाँ हम पुस्तकें, उपन्यास, कविताएँ लिखते हैं वहाँ हमारे पाठकों के लिए भी एक स्थान है.
यह सहानुभूति, यह भावना बहुत महत्वपूर्ण है. लेखक, जो रूप का सृजन करते हैं, और पाठक, जिन्हें हमारी रचनाएँ चाहिए, के बीच एक साझा सार खोज पाना. यह छोटे से स्थान का कुछ अर्थ भी बनाता है, जो उच्च दृष्टि से देखें तो पूर्ण बेवकूफी प्रतीत हो सकता है. इसलिए शायद ब्रह्मांड छोटे-छोटे स्थानों से बना हुआ है. प्रत्येक का अपना समय, सार, पात्र, सृजन, घटनाएँ आदि हैं. भिन्न स्थानों के लिए समय की अलग-अलग धारणाएँ हैं. जैसे हम यहाँ हैं, ब्रह्मांड में, अपने छोटे मानवीय कोने में.
ऐडम
आप अपनी इस शैली- भव्य, विशाल वाक्यों तक कैसे पहुँचे?
मेरे लिए शैली ढूँढना कभी कठिन नहीं था, क्योंकि मैंने कभी इसे खोजा ही नहीं. मैंने एकांत जीवन जिया. मेरे हमेशा मित्र रहे, पर एक समय में केवल एक. और प्रत्येक मित्र के साथ, मेरे संबंध ऐसे थे कि हम केवल एकालाप में ही एक-दूसरे से बात करते थे. एक दिन, एक रात, मैं बोलता. अगले दिन या रात, वह बोलता. पर संवाद हर बार अलग था, क्योंकि हम चाहते थे कि एक-दूसरे को कुछ बहुत महत्वपूर्ण बताया जाए. और यदि आप कुछ बहुत महत्वपूर्ण कहना चाहते हैं, और यदि आप अपने साथी को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि यह बहुत महत्वपूर्ण है, तो आपको पूर्ण विराम की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि साँसों, लय, ताल और सुर की आवश्यकता होती है.
यह कोई सचेत विकल्प नहीं है. इस तरह की लय, सुर और वाक्य संरचना दूसरे व्यक्ति को आश्वस्त करने की इच्छा से उत्पन्न हुई.
ऐडम
यह कभी साहित्यिक नहीं था? कभी किसी अन्य शैली से संबंधित नहीं, जैसे प्रूस्त या बेकेट की शैली?
शायद जब मैं किशोर था, पर वह उनके जीवन की नकल थी, उनकी भाषा या शैली की नहीं. मेरा काफ्का के साथ एक विशेष संबंध है क्योंकि मैंने उन्हें बहुत जल्दी पढ़ना शुरू किया, इतना जल्दी कि मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि द कैसल किस बारे में है. मैं बहुत छोटा था. मेरा एक बड़ा भाई था, और मैं उसके जैसा बनना चाहता था, इसलिए मैंने उसकी पुस्तकें चुराईं और पढ़ीं. इसीलिए काफ्का मेरा पहला लेखक था, एक ऐसा लेखक जिसे मैं समझ नहीं सकता था, पर जिसे लेकर मैं व्यक्ति के रूप में जिज्ञासु था.
जब मैं बारह या तेरह साल का था, तो मेरी पसंदीदा पुस्तकों में से एक थी काफ्का के साथ संवाद (Conversations with Kafka), गुस्टाव जानुक द्वारा लिखी हुई. इस पुस्तक के माध्यम से मेरी काफ्का तक पहुँच बनी और शायद इसी कारण मैंने कानून की पढ़ाई की. काफ्का जैसा बनने के लिए. मेरे पिता थोड़े हैरान थे. वे चाहते थे कि मैं कानून संकाय में जाऊँ, पर निश्चित थे कि मैं नहीं जाऊँगा, क्योंकि मैं केवल कला में रुचि रखता था— साहित्य, संगीत, चित्रकला, दर्शन, सब कुछ सिवाय कानून के.
पर मैंने सहमति दे दी, शायद इसलिए कि मैं अपराध मनोविज्ञान से जुड़ना चाहता था. उस समय, सत्तर के दशक की शुरुआत में, यह हंगरी में एक निषिद्ध विज्ञान था. यह पश्चिमी था और इसलिए संदिग्ध माना जाता था. पर मुख्य कारण, मुझे लगता है, काफ्का था. बेशक, तीन सप्ताह के बाद मैं उस वातावरण को सहन नहीं कर सका, और मैंने छोड़ दिया, केवल कानून संकाय ही नहीं, बल्कि पूरे शहर को ही.
ऐडम
यह कहाँ था?
एक शहर में, जिसे सजगेड (Szeged) कहते हैं. सैन्य सेवा प्रणाली की वजह से इसे छोड़ना आसान नहीं था. अगर मैं छोड़ता, तो मुझे फिर से सैन्य सेवा में जाना पड़ता. सामान्यतः सैन्य सेवा दो साल की होती थी, लेकिन अगर आप स्नातक हो गए, तो केवल एक वर्ष करना पड़ता था. हालांकि, अगर आप विश्वविद्यालय जल्दी छोड़ देते, तो आपको दूसरे वर्ष के लिए वापस जाना पड़ता. इसलिए मैं स्थगित छात्र (deferred student) बन गया और कुछ समय के लिए बुडापेस्ट (Budapest) में रहा, धर्म और भाषा-विज्ञान का अध्ययन करते हुए. मैंने अपनी पुरानी ग्रीक और लैटिन पढ़ाई जारी रखी, पर परीक्षा कठिन थी क्योंकि मैं वास्तव में विश्वविद्यालय में उपस्थित नहीं था. फिर आखिरकार, चार साल बाद, मेरे बच्चे हुए. और बच्चों के साथ, सैन्य सेवा की समस्या हल हो गई, क्योंकि अगर आपके दो बच्चे थे, तो आप इस भयानक दायित्व से मुक्त हो जाते थे.
मेरे लिए सैन्य सेवा लगभग एक मृत्यु के समान थी. साल भर में मुझे कभी भी शिविर छोड़ने की अनुमति नहीं मिली. मैं न तो नायक था और न ही शांतिवादी, पर यदि आप किसी चौकी पर थे, तो आपको वहाँ बंदूक के साथ रहना पड़ता और कुछ नहीं करना पड़ता. कभी-कभी एक अधिकारी मुझे देखने आता, और अगर मैं काफ्का पढ़ रहा होता, तो मैं रुक नहीं सकता था क्योंकि काफ्का उस मूर्ख अधिकारी से अधिक रोचक था, इसलिए मुझे हमेशा दंड मिलता. यह इतना भयानक नहीं था, पर इसका अर्थ यह भी था कि मुझे शिविर छोड़ने की अनुमति नहीं मिलती. और यह भयानक था. हमेशा वहाँ रहना.
मेरी सेवा की शुरुआत सबसे कठिन थी. जब मैं रात की ट्रेन में अन्य नए सैनिकों के साथ गया, मैं पूरी तरह से तबाह था. मैं किसी से बात नहीं कर सकता था. सभी मज़ाक करना चाहते थे, पर मैं नहीं. मैंने एक और लड़के को खोजा, एक जवान लड़का, जो उसी स्थिति में था, तो हम थोड़ी बातचीत करने लगे. हमने इस बारे में बात की कि अगर हमें मौका मिले, तो हम एक-दूसरे से मिलेंगे.
और लगभग एक सप्ताह बाद, जब मुझे थोड़ी फुर्सत मिली, मैं उस इमारत में गया जहाँ वह काम करता था और पूछा, “मैं इस लड़के को कहाँ पा सकता हूँ?” किसी ने कहा, “तीसरी मंज़िल.” तीसरी मंज़िल पर, मैंने फिर पूछा, “मैं इस लड़के को कहाँ पा सकता हूँ?” किसी ने कहा कि वह गोला-बारूद स्टोर में सजा के कारण है. वह बंदूकें साफ़ कर रहा था, और जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला, उसने अपने मुँह में गोली मार ली. उसी समय. मैंने दरवाज़ा खोला और मेरे मित्र ने खुद को गोली मार लिया.
हम बच्चे थे.
हम लगभग अठारह साल के थे.
आपका सवाल क्या था?
ऐडम
मैं बस एक मोटा मोटी कालक्रम (rough chronology) समझने की कोशिश कर रहा हूँ. आप ग्युला (Gyula) में पैदा हुए, फिर आपकी सैन्य सेवा, आपके अध्ययन सजगेड (Szeged) में, आपके वांडरजाह्रे (Wanderjahre), और सैटनटैंगो (Satantango) का प्रकाशन. आप 1987 में बर्लिन आए और 1989 में हंगरी लौट आए.
और हमेशा, बार-बार जर्मनी लौटते रहे. 1990 के दशक की शुरुआत में, मैंने वार एंड वार (War and War) शुरू किया. मूल रूप से, मैं जानना चाहता था कि रोमन साम्राज्य के लिए सीमा का क्या अर्थ था. मैं गया, उदाहरण के लिए, डेनमार्क, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, स्पेन, क्रीट (Crete) — खोजने के लिए कि वहाँ खंडहर, सैन्य रक्षा के अवशेष मौजूद हैं या नहीं. मैं हमेशा यात्रा में रहता था. लगभग 1996 तक, मुझे लगता है, मैंने वास्तव में वार एंड वार लिखना शुरू किया, जब मैं न्यूयॉर्क में, एलन गिन्सबर्ग (Allen Ginsberg) के फ्लैट में था.
ऐडम
आप गिन्सबर्ग से कैसे मिले?
हमारे एक कॉमन मित्र थे. और एलन (Allen) बहुत दोस्ताना आदमी थे. उनके अपार्टमेंट में, दरवाज़ा और उसका ताला पूरी तरह से नदारद था. लोग आते और जाते रहते थे. वहाँ होना शानदार था, पर गिन्सबर्ग (Ginsberg) के समूह का हिस्सा होना बहुत विचलित करने वाला भी था. दिन में, मैं काम कर सकता था, और रात में, जब एलन वास्तव में जीवंत हो जाते थे, मैं पार्टियों, बातचीत और संगीत बनाने में हिस्सा ले सकता था.
मैंने कभी नहीं बताया कि मैं ग्युला (Gyula) से आया हूँ, पर मैं इसे कभी नहीं भूल सकता था, समझते हैं? कि मैं वास्तव में वही प्रांतीय लड़का था, बस बिना बालों के, और कुछ दाँत गायब, जो जब एलन के पास रसोई में बैठता और इन संगीतकारों, कवियों, चित्रकारों—अमर लोगों—के आने का अनुभव करता, तो शॉक में होता.
ऐडम
मुझे याद है कि आपने कभी यह बात की थी कि आपको हमेशा समयहीनता (timelessness) का अनुभव होता है और इसे सोवियत साम्राज्य (Soviet Empire) के अधीन बड़े होने से जोड़ा, जिसने इतिहास को मिटा दिया था.
यह एक समयहीन समाज (timeless society) था क्योंकि वे चाहते थे कि आप सोचें कि चीज़ें कभी नहीं बदलेंगी. हमेशा वही धूसर आकाश, रंगहीन पेड़, उद्यान, सड़कों, भवनों, शहरों और कस्बों,
और बार में भयानक दारू, गरीबी, और वह सब कुछ जो आपको जोर से बोलने से मना था.
आप एक अनंत काल (eternity) में जी रहे थे. यह बहुत उदासीन करने वाला था.
मेरी पीढ़ी पहली थी जिसने न केवल साम्यवादी सिद्धांत (communist theory) या मार्क्सवाद में विश्वास नहीं किया, बल्कि इसे हास्यास्पद, शर्मनाक पाया.
जब मैंने इस राजनीतिक प्रणाली के अंत को अनुभव किया, यह एक अद्भुत अनुभव (wonder) था.
मैं राजनीतिक स्वतंत्रता का स्वाद कभी नहीं भूलूँगा. इसीलिए अब मेरे पास जर्मन नागरिकता है, क्योंकि मेरे लिए यूरोपीय संघ का अर्थ है, सबसे ऊपर, पूर्वी यूरोप में अब जो आक्रामक मूर्खता (aggressive stupidity) है, उसके खिलाफ राजनीतिक स्वतंत्रता.
मैं एक बुर्जुआ (bourgeois) दुनिया से आया हूँ, जहाँ साम्यवादी सिद्धांत कभी किसी भूमिका में नहीं था. हम समाजवादी लोकतांत्रिक (social democrats) थे, मेरा परिवार. मेरे पिता एक वकील थे, और वे गरीबों की मदद करते थे. यही मेरी जीवन की वास्तविकता थी—कि सप्ताह में दो या तीन शामें गरीब लोग हमारे पास आते, और मेरे पिता उन्हें बिना शुल्क के मदद करते. और अगले दिन, सुबह-सुबह, वे आते और हमारे दरवाज़े के बाहर कुछ छोड़ जाते—दो मुर्गियाँ, मुझे नहीं पता क्या.
ऐडम
और आपके माता-पिता यहूदी थे, है ना?
मेरे पिता की यहूदी जड़ें थीं. लेकिन उन्होंने हमें यह रहस्य तब बताया जब मैं लगभग ग्यारह साल का था. उससे पहले, मुझे कोई जानकारी नहीं थी. साम्यवादी युग (socialist era) में इसे उल्लेख करना मना था. खैर, मैं आधा यहूदी हूँ, लेकिन अगर हंगरी में हालात वैसे ही बने रहे जैसे अब प्रतीत हो रहा है, तो मैं जल्द ही पूरी तरह यहूदी बन जाऊँगा.
ऐडम
आपके पिता ने युद्ध में कैसे बचाव किया?
हमारा मूल नाम कोरिन (Korin) था, एक यहूदी नाम. इस नाम के साथ, वे कभी बच नहीं पाते.
मेरे दादा बहुत बुद्धिमान थे, और उन्होंने हमारा नाम बदलकर क्रास्नाहोर्काई रख दिया. क्रास्नाहोर्काई एक संशोधनवादी (irredentist) नाम था. पहले विश्व युद्ध के बाद, हंगरी ने अपने क्षेत्र का दो-तिहाई हिस्सा खो दिया, और युद्ध के बाद की मुख्य राजनीति, संरक्षणवादी राष्ट्रवादी सरकार की, इन खोए हुए क्षेत्रों को पुनः स्थापित करने की थी. एक बहुत प्रसिद्ध गीत था, एक असहनीय भावुक गीत, क्रास्नाहोरका कैसल (Krasznahorka Castle) के बारे में. युद्ध के बाद, यह चेकोस्लोवाकिया (Czechoslovakia) का हिस्सा बन गया.
गीत का सार यह है कि क्रास्नाहोरका कैसल बहुत दुखी और अंधकारमय है और सब कुछ निराशाजनक है. शायद इसलिए मेरे दादा ने इसे चुना. मुझे नहीं पता. किसी को नहीं पता, क्योंकि वह बहुत चुप्पे व्यक्ति थे. यह 1931 में था, पूर्व-हंगरी के यहूदी कानूनों से पहले.
ऐडम
आइए आपकी लेखनी के बारे में और बात करें. एक बात जो मुझे आकर्षित करती है, वह यह कि आप बहुत स्पष्ट हैं कि आपने केवल चार उपन्यास लिखे हैं.
सैटैनटैंगो (Satantango), द मेलेंकोली ऑफ़ रेसिस्टेंस (The Melancholy of Resistance), वार एंड वार (War and War), बैरोन वेंकहेम्स होमकमिंग (Baron Wenckheim’s Homecoming).
ऐडम
आप, उदाहरण के लिए, एनीमलइंसाइड (Animalinside) जैसे पाठ को कहाँ रखते हैं?
एनीमलइंसाइड (Animalinside) एक उपन्यास है, हालांकि जड़ अर्थों में नहीं. लेकिन यह तय करना कि कुछ उपन्यास है या लघु कथा, पृष्ठों की संख्या पर निर्भर नहीं करता. मैंने अपने करियर की शुरुआत में कुछ कहानियाँ लिखी थीं, रिलेशंस ऑफ़ ग्रेस (Relations of Grace, 1986) में. ये कहानियाँ बहुत छोटे स्थान में, बहुत सीमित समय अवधि में काम करती हैं, जिनमें एक ही पात्र होता है.
एक उपन्यास में एक विशाल संरचना होती है, जैसे एक पुल, एक मेहराब, शुरुआत से अंत तक.
एक कहानी के मामले में, मेहराब की जरूरत नहीं होती.
इसके बजाय, एक कहानी एक काला डिब्बा (black box) है, जिसमें कोई नहीं जानता कि क्या हुआ.
ऐडम
तो नया उपन्यास, बैरोन वेंकहेम्स होमकमिंग (Baron Wenckheim’s Homecoming), किस बारे में है? क्या यह एक तरह की ओडिसी (odyssey) है?
हाँ. इस मुख्य पात्र के लिए, यह उसके जीवन के अंत में एक गृह-आगमन (homecoming) है.
वह ब्यूनस आयर्स (Buenos Aires) में रहने वाला बहुत बुजुर्ग व्यक्ति है. वह बहुत संवेदनशील, बहुत लंबा आदमी है, जैसे ग्युला क्रूडी (Gyula Krúdy). लेकिन बहुत दुर्भाग्यशाली. वह हमेशा ग़लतियाँ करता है.
ऐडम
तो वह आपका मिश्किन (Myshkin) है, आपका असहाय पात्र (defenseless character)?
हाँ, एस्टिक (Estike) की तरह. क्योंकि यह उपन्यास मेरे सभी उपन्यासों का वास्तव में सारांश है, आप इसमें अन्य पात्रों, अन्य कहानियों के साथ बहुत समानताएँ पा सकते हैं.
मैं शब्द सैटैनटैंगो (Satantango) आदि पर मज़ाक भी करता हूँ. मुझे लगता है कि यह मेरा सबसे उत्कृष्ट उपन्यास है.
ऐडम
आपका सबसे उत्कृष्ट?
सबसे मज़ेदार. सबसे मज़ेदार किताब. यह प्रलय-वाणी (apocalyptic messages) से भरी नहीं है.
बल्कि, यह स्वयं प्रलय (apocalypse) है. यह पहले ही आ चुकी है.
ऐडम
लेकिन मुझे लगता है, आपकी सभी किताबों में, प्रलय पहले ही, गुप्त रूप से (secretly) आ चुकी है.
मैं सोचता हूँ कि शायद दो प्रकार के उपन्यासकार होते हैं— वे जो प्रत्येक उपन्यास को एक अलग रूप में देखते हैं, और वे, जो सोचते हैं कि उन्होंने एक ही उपन्यास लिखा है, कि उनके सभी उपन्यास एक साथ फिट होते हैं.
मैंने हज़ारों बार कहा है कि मैं हमेशा केवल एक किताब लिखना चाहता था. मैं पहले से संतुष्ट नहीं था, और इसलिए मैंने दूसरी लिखी. मैं दूसरी से संतुष्ट नहीं था, इसलिए मैंने तीसरी लिखी, और इसी तरह. अब, बैरोन (Baron) के साथ, मैं इस कहानी को बंद कर सकता हूँ. इस उपन्यास के साथ मैं साबित कर सकता हूँ कि मैंने वास्तव में अपने जीवन में केवल एक ही किताब लिखी.
यह वही किताब है—सैटैनटैंगो (Satantango), मेलेंकोली (Melancholy), वार एंड वार (War and War), और बैरोन (Baron).
यह मेरी एक ही किताब है.
ऐडम
क्या कभी आपको कुछ पूरी तरह से इन कथाओं से बाहर लिखने की इच्छा होती है?
नहीं.
मुझे कोई आपत्ति नहीं है अगर जोहान सेबेस्टियन बाख (Johann Sebastian Bach) अपने पूरे जीवन में एक जैसा ही बना रहता है.
ऐडम
आप अक्सर बाख (Bach)—और अन्य बारोक संगीतकारों, जैसे रमॉ (Rameau)—की ओर लौटते हैं. आपके लिए बारोक का क्या महत्व है?
बाख (Bach) का संगीत संरचनात्मक रूप से जटिल है, संगति (harmony) की वजह से, और इसलिए मैं रोमांटिक (Romantic) संगीत सहन नहीं कर सकता. लेट बारोक (late Baroque) के बाद, संगीत दिन-ब-दिन अश्लील (vulgar) होता गया, और इस साधारणता की चरम सीमा रोमांटिक युग में थी.
कुछ असाधारण संगीतकार हैं, जैसे स्ट्राविंस्की (Stravinsky), शोस्ताकोविच (Shostakovich), बार्टोक (Bartók) या कुर्ताग (Kurtág), जिन्हें मैं बहुत पसंद करता हूँ, लेकिन मैं उन्हें हमेशा अपवाद के रूप में देखता हूँ.
मेरे लिए, संगीत का इतिहास एक अवनति (descent) है. और दो हज़ार वर्षों के बाद, यह साहित्य में भी हो रहा है. लेकिन इस साधारणीकरण (vulgarization) की प्रक्रिया का विश्लेषण करना बहुत कठिन है.
वह भयानक क्रांति, जो आधुनिक समाजों में हमेशा होने वाली थी, वास्तव में हो चुकी है. यह नहीं कि जन-संस्कृति जीत गई है, बल्कि धन (money) जीता है.
कभी-कभी एक बहुत उच्च-स्तरीय साहित्यिक कृति मिड-रेंज स्तर पर कुछ कह देती है और अधिक पाठकों तक पहुँचती है और शायद यह बहुत से समकालीन लेखकों का भाग्य है.
ऐडम
अपने उपन्यासों के बारे में क्या कहेंगे?
नहीं, मेरे उपन्यास बिल्कुल भी उस मध्य स्तर पर काम नहीं करते, क्योंकि मैं कभी कोई समझौता नहीं करता. मेरे लिए लिखना पूरी तरह एक निजी क्रिया है. अपनी साहित्यिक रचनाओं के बारे में बात करना मुझे संकोच देता है, यह वैसा ही है जैसे कोई मुझसे मेरे सबसे निजी रहस्यों के बारे में पूछे.
मैं कभी भी साहित्यिक जीवन का हिस्सा नहीं रहा, क्योंकि मैं सामाजिक अर्थ में “लेखक” कहलाने को स्वीकार नहीं कर पाया. मेरे साथ साहित्य पर कोई बात नहीं कर सकता— सिवाय आपके और कुछ चुनिंदा लोगों के. मुझे अच्छा नहीं लगता जब मुझे साहित्य पर बात करनी पड़ती है, ख़ासकर अपने साहित्य पर. साहित्य बहुत निजी होता है.
जब मैं कोई किताब लिखता हूँ, तो वह किताब पहले से ही मेरे मस्तिष्क में तैयार होती है. जब से मैं छोटा था, मैं ऐसे ही काम करता आया हूँ. बचपन में मेरी स्मृति कुछ असामान्य थी, मेरी फोटोग्राफिक मेमोरी थी. इसलिए मैं अपने मन में सही रूप, सही वाक्य या वाक्यों की श्रृंखला ढूँढ लेता था, और जब सब पूरी तरह तैयार हो जाता, तब मैं उसे लिख देता था.
ऐडम
आप संशोधन (revise) नहीं करते?
मैं लगभग हर पल काम करता हूँ जैसे कोई चक्की (mill) जो लगातार घूमती रहती है. अगर मैं बीमार होता हूँ, तो नहीं कर पाता. या अगर मैं नशे में होता, तब भी नहीं कर पाता. लेकिन इन दो अपवादों को छोड़कर मैं बस काम करता रहता हूँ, करता रहता हूँ. क्योंकि जब एक वाक्य शुरू होता है, तो उसी के पास लाखों और वाक्य पैदा हो जाते हैं. मकड़ी के महीन धागों जैसे. उनमें से एक धागा थोड़ा-सा ज़्यादा महत्वपूर्ण लगता है, तो मैं उसे पकड़ लेता हूँ, उसे अलग निकालता हूँ, इतना कि मैं उस वाक्य पर काम कर सकूँ, उसे संवार सकूँ. और इसी कारण, भले ही मेरी पुस्तकों के अनुवाद अद्भुत हैं, फिर भी मैं चाहता हूँ कि आप उन्हें मूल भाषा में पढ़ सकें.
क्योंकि जब मैं किसी वाक्य पर काम करता हूँ, तो सबसे पहले मैं उसमें ताल का तत्व पूर्ण बनाता हूँ. जब मैं काम करता हूँ, तो मैं वही तंत्र अपनाता हूँ जो संगीत रचना और साहित्यिक रचना — दोनों में समान है. संगीत, साहित्य और दृश्य कला (visual art) — इन तीनों की जड़ एक ही है — ताल और लय की संरचना. और मैं उसी जड़ से काम करता हूँ.
विषय-वस्तु संगीत में और उपन्यासों में बिल्कुल अलग होती है, लेकिन मेरे लिए उनका सार वास्तव में एक-सा है.
ऐडम
आप एक प्रकार के जैज़ के बाल-प्रतिभा (jazz prodigy) थे, नहीं? और आपने युवावस्था में जैज़ बैंड्स (jazz bands) में बजाया था?
हाँ, मैं चौदह वर्ष की उम्र से लेकर अठारह वर्ष की उम्र तक एक पेशेवर संगीतकार था.
ऐडम
और थेलोनियस मंक (Thelonious Monk) आपके लिए पियानोवादक के रूप में महान नायक थे. मंक? ही क्यों .
मैं अक्सर अपने आप से यही सवाल पूछता हूँ. पीछे मुड़कर देखने पर, यह समझाना कठिन है कि सोवियत प्रणाली के तहत हमारे संगीत का स्वाद इतना परिपूर्ण (perfect) क्यों था.
मैं अहंकारी नहीं लगना चाहता. मैं केवल जैज़ ग्रुप (jazz group) में नहीं, बल्कि नियमित रूप से रॉक ग्रुप (rock group) में भी बजाता था.
हमारे कॉन्सर्ट्स कामकाजी वर्ग के लिए पार्टी जैसा होते थे.
हाल ही में मुझे एक कागज़ का टुकड़ा मिला, जिस पर हमारे गानों के शीर्षक लिखे थे, और यह सच में सबसे अच्छा आस्वाद था — मेरा व्यक्तिगत आस्वाद का नहीं, बल्कि हमारी पीढ़ी का आस्वाद.
उस समय, जैज़ और रॉक संगीत के स्रोत बहुत सीमित थे. दो रेडियो स्टेशन थे— रेडियो फ्री यूरोप म्यूनिख से, और रेडियो लक्समबर्ग. हमारी रिकॉर्डिंग की गुणवत्ता बहुत खराब थी, क्योंकि हम सीधे रेडियो से रिकॉर्ड करते थे — गुप्त रूप से, क्योंकि यह निषिद्ध था.
मेरा एक परिचित था, जो ग्युला (Gyula) के अस्पताल में डॉक्टर था, उसके पास बहुत बड़ा एलपी संग्रह (LP collection) था, और उसने मुझे रिकॉर्डिंग करने की अनुमति दी. लेकिन कैसे मैंने सबसे अच्छा संगीत चुना, मुझे पता नहीं.
हमने क्रीम (Cream), Them, Blind Faith, जिमी हेंड्रिक्स (Jimi Hendrix), अरेथा फ्रैंकलिन (Aretha Franklin), डस्टी स्प्रिंगफील्ड (Dusty Springfield) बजाया. सबसे पारंपरिक समूह था किंक्स (Kinks).
और भी? Troggs, Animals, एरिक बर्डन (Eric Burdon). रोलिंग स्टोन्स (Rolling Stones), ज़ाहिर है.
कोई बीटल्स (Beatles) नहीं. पता नहीं क्यों, लेकिन कोई बीटल्स नहीं. और बहुत ब्लूज़ (blues).
जैज़ ट्रायो (jazz trio) में, मैं एक ड्रमर (drummer) के साथ बजाता था, जिसकी उम्र पचास थी,
और एक बास प्लेयर (bass player), जिसकी उम्र भी शायद पचास थी.
मैं उस समय चौदह साल का था. हमने एरोल गार्नर (Erroll Garner) से लेकर थेलोनियस मोंक (Thelonious Monk) तक सभी को बजाया. और मुझे यह समझाने का कोई तरीका नहीं है कि मंक मेरा पसंदीदा क्यों था. क्योंकि मैं अब बूढ़ा हूँ, और फिर भी यही कहूँगा.
ऐडम
और आप गाते (sang) भी थे?
रॉक ग्रुप (rock group) में, हाँ. मेरी आवाज़ बहुत ऊँची थी, काउंटर टेनर (counter tenor) जैसी. इसलिए मैं केवल महिलाओं के गाने गाता था— डस्टी स्प्रिंगफील्ड (Dusty Springfield) और अरेथा फ्रैंकलिन (Aretha Franklin).
ऐडम
और आर्ट सीन (art scene) के बारे में? क्या आप डेविड बोवी (David Bowie), द वेलवेट अंडरग्राउंड (Velvet Underground) सुनते थे?
मैंने बोवी फैन क्लब (Bowie fan club) में देर से शामिल हुआ, जब मैं बेला टार (Béla Tarr) का दोस्त बन गया. बेला बुडापेस्ट (Budapest) के बीच में एक अद्भुत छोटे-से अपार्टमेंट में रहते थे. पूरा दिन वे एक ही कमरे में घूमते रहते थे, हमेशा संगीत के साथ. डेविड बोवी (David Bowie), लू रीड (Lou Reed), निको (Nico) …
ऐडम
आपने सैटनटैंगो (Satantango) प्रकाशित करने के तुरंत बाद 1985 में टार (Tarr) के साथ फिल्म डेमनेशन (Damnation) पर काम करना शुरू किया, है न? और फिर आपने अपने दो उपन्यासों के फिल्म रूपांतरण (adaptations) बनाए— सैटनटैंगो (Satantango), 1994, और वेरकमेइस्टर हार्मोनीज़ (Werckmeister Harmonies), जो द मेलानकोली ऑफ़ रेसिस्टेंस (The Melancholy of Resistance) का संस्करण है, 2000 में.
शुरुआत में, हमने डेमनेशन (Damnation) बनाई क्योंकि कम्युनिस्ट (Communists) शासन के तहत, हमें सैटनटैंगो (Satantango) बनाने की अनुमति नहीं थी. यह पूरी कहानी 1985 में शुरू हुई, जब वह उपन्यास प्रकाशित हुआ.
बेला (Béla), उनकी पत्नी आगनेस (Ágnes) और मैं — हम सैटनटैंगो (Satantango) पर फ़िल्म बनाना चाहते थे, लेकिन बेला हंगेरियन फिल्म दुनिया (Hungarian film world) में नापसंद आदमी थे. वह एक फिल्म कंपनी से दूसरी कंपनी गए. अंततः किसी ने हमें बताया कि सैटनटैंगो (Satantango) बनाना मना है. और मैंने बेला से कहा, “ठीक है, तुम घर जाओ, मैं घर जाता हूँ, खत्म.”
शायद दो हफ्ते बाद, आगनेस मेरे पास आईं और मिन्नत की कि मैं नया स्क्रिप्ट लिखूँ, नहीं तो बेला आत्महत्या कर लेंगे.
“मैं उन्हें जानती हूँ,” उन्होंने कहा. “अगर वह तुम्हारे साथ फ़िल्म नहीं बना सकते, तो वह आत्महत्या करेंगे.”
बेशक, यह एक जाल (trap) था, एक कहानी ताकि मैं उनके साथ काम करूँ.
ऐडम
क्या टार (Tarr) ही एकमात्र निर्देशक हैं जिनके साथ आपने काम किया?
मैंने केवल बेला (Béla) के साथ ही काम किया. उनके साथ, यह केवल सहयोग (collaboration) से अधिक था. मैंने उन्हें सब कुछ दिया, और उन्होंने पूरी चीज़ ले ली. हम हमेशा स्क्रिप्ट लिखने के बाद साथ काम करते थे, लेकिन वे उनकी फ़िल्में थीं. सिनेमाई कला बिना न्याय की कला है. अगर आप लेखक हैं और कोई फिल्म निर्देशक आपके काम को रूपांतरित करना चाहता है,
तो आपको स्वीकार करना चाहिए कि वह निर्देशक है. यह फ़िल्म उनकी होगी. अन्यथा, आप ग़लती कर रहे हैं.
मेरी स्क्रिप्ट हमेशा एक साहित्यिक रचना (literary work) होती थी. मैंने रूप का इस्तेमाल किया, संवादों (dialogue) का भी, लेकिन जब मैं मुख्य पात्र के बारे में लिखता था— “वह एक ऐसे संसार के बारे में सोचता है जहाँ ईश्वर नहीं है,” तो बेला (Béla) कहते, “यह स्क्रिप्ट नहीं है. मैं इसे कैसे दिखाऊँ?” यही कारण था कि मैं उन प्रोजेक्ट्स के दौरान थोड़ा भयभीत रहता था.
उदाहरण के लिए, जब एस्टिके (Estike) स्वर्ग जाती है — बेला ने पूछा, “मैं इसका शॉट कैसे बनाऊँ?”
आखिर में एक ही संभावना बची — कैमरा को इरीमियाश (Irimiás) के चेहरे से लगभग अस्सी सेंटीमीटर आगे रखना. और अगर फ़िल्म में हम उसके चेहरे पर देख सकें कि एस्टिके के साथ क्या हुआ, तो ठीक है — हम जीत गए. अगर नहीं, तो यह असफलता है. जबकि मैं किताब में यह लिख सकता हूँ — और वह दिलचस्प भी लगेगा, साथ ही उसमें एक दार्शनिक पृष्ठभूमि (philosophical background) होगी.
क्या है वास्तविकता ? क्या एस्टिके की आत्मा (ghost) वास्तविक है?
कैमरे के लिए — नहीं.
ऐडम
लेकिन भाषा (language) के लिए — हाँ.
बिलकुल. और इसका मतलब है कि अगर आपके पास ब्रह्मांड (universe) से जुड़ा कोई प्रश्न है,
तो आपके पास कुछ संभावनाएँ होती हैं— विशेष रूप से भाषा के माध्यम से. मेरे लिए शब्द की शक्ति इस छिपी हुई वास्तविकता के करीब पहुँचने का एकमात्र मार्ग है.
हर व्यक्ति एक काल्पनिक व्यक्ति भी है और एक वास्तविक व्यक्ति भी. मैं कल्पना की दुनिया से भी जुड़ा हूँ और वास्तविक दुनिया से भी — मैं दोनों साम्राज्यों में मौजूद हूँ. तुम भी.
और इस रेस्तरां में मौजूद हर व्यक्ति भी. और यह वस्तु भी, और हर वह चीज़ जिसे हम अनुभव कर सकते हैं — यहाँ तक कि वे चीज़ें भी जिन्हें हम अनुभव नहीं कर सकते, क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी पाँच इंद्रियाँ वास्तविकता का कुछ हिस्सा नहीं देख पातीं.
मैं कोई रहस्यवादी (esoteric) बात नहीं कह रहा. वास्तविकता मेरे लिए इतनी महत्वपूर्ण है कि मैं हमेशा हर संभावना के प्रति सचेत रहना चाहता हूँ.
ऐडम
मुझे आश्चर्य है कि शायद यही कारण है कि अनुवाद (translation) इतना अज़ीब लगता है.
सैटनटैंगो (Satantango) या बैरन वेंकहाइम (Baron Wenckheim) के हंगेरियन संस्करण द्वारा रची गई वास्तविकता कैसे वही हो सकती है जो अंग्रेज़ी या फ्रेंच शब्दों द्वारा रची गई हो? अन्य कला रूपों में ऐसी समकक्ष (equivalent) समस्या नहीं होती. बाख (Bach) एक cantata (संगीत-काव्य) बनाता है और उसके लिए यह किसी पारलौकिक आदर्श (transcendent ideal) को व्यक्त करने का प्रयास होता है —
नहीं, नहीं. बाख सिर्फ एक संगीतकार है. जब उसने अपना करियर शुरू किया और अपनी संगीत-काव्य रचनाएँ बनानीं शुरू कीं, तो वह केवल संगीत संबंधी सवालों से निपटता था — संरचना (structure), फ़्यूग फ़ॉर्म (fugue form), प्रील्यूड (prelude), फाल्सोबोर्डोन (falsobordone).
हम उसका संगीत सुनते हैं और हमारे दिमाग में बाख एक पवित्र (holy) व्यक्ति के रूप में बन जाता है, हमेशा स्वर्ग की ओर देखते हुए. लेकिन वास्तव में, सभी प्रतिभाशाली लोग केवल भौतिक (physical) और तकनीक (technique) में रुचि रखते हैं. अगर आप थुरिंगिया (Thuringia) देखें, जहाँ बाख था,
तो वहां बाखों की भरमार थी — संगीतकार, पीढ़ी दर पीढ़ी. बाख वास्तव में एक अच्छे संगीतकार का पर्याय था.
जब मैं जापान में था, मैं एक कार्यशाला में गया जहाँ बुद्ध की मूर्तियाँ (Buddha sculptures) विशेषज्ञों द्वारा पुनर्स्थापित (restored) की जा रही थीं. वे अद्भुत कामगार, प्रतिभाशाली, सच्चे कलाकार थे, लेकिन वे पूरी तरह से तकनीकी सवालों में लगे थे — “मैं इस टूटी हुई मूर्ति को कैसे ठीक करूँ?”
फिर जब पुनर्स्थापित बुद्ध को उसके स्थान पर रखा गया, तो वह अब पवित्र (sacred) बन गया और कोई उस पर प्रार्थना कर सकता था. आप कह सकते हैं कि यह विरोधाभास है,
लेकिन उनके लिए कोई विरोधाभास नहीं था.
मूर्तिकार और पुनर्स्थापक (restorer) एक ही चीज़ हैं. और जब कोई सच्चा कवि होता है, तो इसका मतलब है कि वह जानता है कि शब्द में शक्ति है, और वह शब्दों का उपयोग कर सकता है.
यदि आपके पास यह क्षमता है, तो आपको केवल तकनीकी सवालों से ही निपटना होगा.
ऐडम
तो आपका मतलब है कि सच्चे कलात्मक प्रश्न (true artistic questions) केवल तकनीक से जुड़े होते हैं?
एक कलाकार (artist) का केवल एक ही कार्य होता है — एक अनुष्ठान (ritual) को जारी रखना.
और अनुष्ठान स्वयं एक शुद्ध तकनीक (pure technique) है.
ऐडम
मुझे लगता है कि हमें किसी एक रचना को लेकर अधिक तकनीकी विश्लेषण करना चाहिए…
मुझे लगता है यह एक और प्रश्न से जुड़ा है. अगर हम होमर (Homer), शेक्सपियर (Shakespeare), दोस्तोएव्स्की (Dostoyevsky), स्टेंडल (Stendhal) या काफ्का (Kafka) के बारे में बात करें, तो वे सभी उस “स्वर्गीय साम्राज्य” (heavenly empire) में हैं.
और एक बार जब कोई उस सीमा (border) को पार कर लेता है, तो यह कहना वर्जित है कि “The Idiot” शानदार है लेकिन “White Nights” उतना अच्छा नहीं है. या थेलोनियस मंक (Thelonious Monk) के बारे में यह कहना कि उसकी किसी जगह की धुन कमज़ोर है या कहीं बहुत बेसुरी (dissonant) है.
ये सभी पवित्र लोग (holy people) हैं! हमें उनके काम के टुकड़ों या तकनीकी पहलुओं पर नहीं, बल्कि उनकी संपूर्णता (wholeness)— कृति या व्यक्ति की पूर्णता — पर बात करनी चाहिए.
अगर किसी ने एक बार, सिर्फ एक बार, अपनी किसी रचना से यह सिद्ध कर दिया कि वह एक जीनियस (genius) है, तो उसके बाद, मेरी दृष्टि में, वह स्वतंत्र (free) है. वह कुछ भी बना सकता है — चाहे कचरा (shit) ही क्यों न हो — फिर भी वह वही पवित्र व्यक्ति बना रहेगा, और वह कचरा भी पवित्र कचरा (sacred shit) होगा, क्योंकि एक बार उस सीमा को पार कर लेने के बाद, वह व्यक्ति अभेद्य (invulnerable) हो जाता है.
मुझे पूरा विश्वास है कि फ्रांज़ काफ्का (Franz Kafka) एक ऐसी सत्ता (fact) हैं जो एक ऐसे साम्राज्य (empire) में मौजूद है जिसे मैं दूर से केवल विस्मय (wonder) से देख सकता हूँ.
मुझे इस बात की खुशी है कि वह साम्राज्य मौजूद है — और कि दांते (Dante), गेटे (Goethe), बेकेट (Beckett) और होमर (Homer) जैसे लोग कभी थे, और आज भी हमारे लिए मौज़ूद हैं.
मुझे पूरा यकीन है कि इन महान व्यक्तित्वों — इन पवित्र प्रतीकों (holy figures) — के बारे में
हमारे सारे विचारों में कुछ न कुछ समानता अवश्य होगी. मेरे मन में जो काफ्का की छवि (picture of Kafka) है, वह आपकी काफ्का की छवि से बहुत अलग नहीं होगी.
क्या इससे तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मिल गया?
ऐडम
ठीक है, सिर्फ इस बात में कि आपने मेरे प्रश्न का उत्तर देने से इनकार कर दिया!
क्या मैं इसे कुछ अलग तरीके से पूछ सकता हूँ? जो आप बाख (Bach) के बारे में कह रहे हैं, वह शायद आपके उस विचार से जुड़ा है कि किसी कृति का जो भी अर्थ (meaning) है, वह केवल तकनीक (technique) पर पूर्ण ध्यान देने से ही प्राप्त होगा. आपने एक बार लिखा था, “दुनिया, यदि वह अस्तित्व में है, तो विवरणों (details) में होनी चाहिए.” और शायद कृति, यदि वह अस्तित्व में है, तो वह भी विवरणों में होनी चाहिए — जैसे कि ये एक ही चीज़ के अलग पहलू हों.
मेरे लिए, विवरण (details) सबसे महत्वपूर्ण हैं, हाँ. सबसे छोटे विवरण भी जीवन और मृत्यु का प्रश्न होते हैं. एक वाक्य में ग़लती मुझे मार देती है. इसीलिए मैं अपनी किताबें पढ़ नहीं सकता, क्योंकि लगभग असंभव है कि तीन सौ पृष्ठों में एक भी लयात्मक (rhythmic) ग़लती न हो. और शायद यह पूर्णता (perfection) का प्रश्न नहीं है, बल्कि सबसे छोटे विवरणों की परवाह करने की इच्छा है, क्योंकि सबसे छोटे विवरण और संपूर्णता (whole) में महत्त्व का कोई अंतर नहीं है.
महासागर की एक बूंद और पूरा महासागर — इनमें क्या अंतर है?
कुछ भी नहीं. बिल्कुल कुछ भी नहीं.
ऐडम
क्या यह उसी बात से भी जुड़ा है जो आपने पहले कहा था — कि आप लगभग पूरी किताब अपने मन में रख लेते हैं, इससे पहले कि आप लिखने की वास्तविक प्रक्रिया शुरू करें?
हाँ, लेकिन इसमें एक और बात है. किताबें कौन लिखता है? यदि आपको ऐसा अनुभव है कि आप काम के बीच में कुछ तय कर सकते हैं, तो आप काम के अंदर नहीं हैं — आप उसके बाहर हैं.
यदि आपको यह अनुभव है कि आप किताब लिख रहे हैं, तो आप स्वयं कृति के बाहर हैं.
ऐडम
तो क्या इसका अर्थ है कि कृति की व्याख्या या साहित्यिक आलोचना (literary criticism) पर भी प्रभाव पड़ता है? यदि मैं The Melancholy of Resistance के अर्थ के बारे में पूछूँ, क्या यह एक मूर्खतापूर्ण प्रश्न है?
मूर्खतापूर्ण? नहीं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन पूछ रहा है. आपसे बात करना एक अलग तरह की बातचीत है. मैं आपके काम का सम्मान करता हूँ. यह कोई संयोग नहीं कि हम यहाँ बैठे हैं, क्योंकि सामान्यतः मैं किसी के साथ दो-तीन बार, दो-तीन दिनों तक नहीं बैठता. और निश्चित रूप से, मेरा अनुमान है कि आपके पास भी इस प्रश्न का उत्तर जानने में अपनी रूचि है — इस अर्थ के प्रश्न में. यह हमेशा संपूर्णता और विवरण (details) की समस्या पर वापस आता है, कि कैसे विवरण संपूर्णता में बदलते हैं.
ऐडम
क्या आप कह रहे हैं कि ये दोनों चीजें — विवरण और संपूर्णता — इतनी परस्पर निर्भर हैं कि आप एक के बारे में सोचें बिना दूसरे के बारे में सोच नहीं सकते?
तो, किसी तरह, कृति एक तीसरी चीज़ है, न तो केवल विवरण, न ही केवल संपूर्णता?
बुद्ध (Buddha) ने कभी किसी को संपूर्णता के बारे में बोलने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि यह एक अमूर्तता थी — क्योंकि संपूर्णता में वास्तविकता नहीं होती. हमें संपूर्णता शब्द का प्रयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए. उदाहरण के लिए, हम मानते हैं कि दुनिया, ब्रह्मांड, अनंत (infinite) है. यह एक विफलता (fiasco) है, क्योंकि यदि दुनिया वास्तव में अनंत होती, तो यह वस्तु [चाय के ग्लास की ओर इशारा करते हुए] मौज़ूद नहीं हो सकती.
ऐडम
क्यों नहीं?
क्योंकि अस्तित्व में जो कुछ भी आप अनुभव कर सकते हैं, वह सीमित (finite) है. इस ग्लास में भी सीमित छोटे भाग हैं, उप-परमाण्विक तत्व (subatomic elements) आदि. हमारे लिए अमूर्त (intangible) हैं, लेकिन अनंत नहीं.
ऐडम
Satantango के अंत में वह क्षण है जब हमें एहसास होता है कि उपन्यास एक चक्र (loop) में है— कि अंतिम पंक्तियाँ भी उपन्यास की पहली पंक्तियाँ हैं, जो इसके किसी पात्र ने लिखी हैं. मुझे लगता है कि यह आपके उपन्यासों में एकमात्र मेटाफ़िक्शनल क्षण है, एकमात्र पूर्ण प्रतिगमन (absolute regression). क्या आपको शुरुआत से ही स्पष्ट था कि पुस्तक का यह चक्रीय (circular) ढांचा होगा?
बिलकुल नहीं. जब मैं काम करता हूँ, मैं शुरुआत से शुरू करता हूँ, और मैं अपने पात्रों से अधिक नहीं जानता. Satantango की शुरुआत में मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि अंत में यह पूरा निर्माण, जैसे एक संगीतात्मक रूप (musical form), में वापस आएगा और फिर से शुरुआत से शुरू होगा, लेकिन एक अन्य स्तर पर, क्योंकि जब आप इस पुस्तक को फिर से पढ़ते हैं, तो आप इसे उस ज्ञान के साथ पढ़ते हैं कि इसे किसी पात्र ने लिखा है.
नहीं, मैंने कभी इस विचार (conception) के साथ काम नहीं किया.
ऐडम
क्योंकि इससे उपन्यास अनंत (infinite) बन जाता है.
ओह, नहीं. नहीं, मैं ऐसा नहीं सोचता. केवल अनगिनत सीमित (uncountable finite) ही अस्तित्व में हो सकता है.
ऐडम
मेरा मतलब यह है कि, सैद्धांतिक रूप से, इसे अनंत बार या अंतहीन रूप से पढ़ा जा सकता है — एक तरह के चक्र (circle) में.
क्या तुम्हें याद है कि बुद्ध ने हमें चक्र के बारे में क्या बताया था?
ऐडम
नहीं.
यदि तुम किसी चक्र का अनुसरण करते हो, तो कुछ समय बाद तुम समझ जाओगे कि चक्र अस्तित्व में नहीं होता. वह केवल एक बिंदु (point) है जो स्वयं अस्तित्व में नहीं है.
अनंत (infinite) और अनगिनत सीमित (uncountable finite) के बीच बहुत बड़ा अंतर है.
आख़िर, तुम्हें क्या लगता है, जब कोई सूफ़ी नर्तक (Sufi dancer) नृत्य करते-करते शून्य में विलीन हो जाता है, तब क्या होता है?
ऐडम
लेकिन फिर, इस “अंत” के प्रश्न को समाप्त करने के लिए, आपने कहा था कि Baron Wenckheim आपका अंतिम उपन्यास होगा. पर मुझे पता है कि आप अभी भी लिख रहे हैं. क्या इसका मतलब यह है कि जो आप अभी लिख रहे हैं, वह उपन्यास नहीं है?
छोटी चीज़ें, कोई बड़ा निर्माण नहीं. मैंने पिछले उपन्यास के बाद से तीन छोटी पुस्तकें लिखी हैं. पहली, The Manhattan Project (2017), दूसरी कृति, मेरी न्यूयॉर्क वाली पुस्तक, की प्रस्तावना (prologue) है. एक अस्थायी शीर्षक (provisional title) कुछ इस तरह हो सकता है— “Spadework for a Palace.”
और मैंने एक और किताब भी पूरी की, जिसे मैं हमेशा से लिखना चाहता था, क्योंकि मैं अपनी जवानी से होमर का बहुत आदर करता आया हूँ. पिछले शरद मैं डल्मेशिया, एड्रियाटिक तट गया. इस यात्रा ने मुझे एड्रियाटिक में एक द्वीप तक पहुँचाया, और Odyssey का एक मिथक अचानक मेरे मन में लौट आया, और मैंने उस पर एक किताब लिखी. एक छोटी किताब, जैसे एक लघु उपन्यास (novella).
ऐडम
क्या आपको सच में नहीं लगता कि आप Baron Wenckheim के बाद कोई और उपन्यास लिखेंगे?
उपन्यास? नहीं. जब आप इसे पढ़ेंगे, तो समझ जाएंगे. Baron Wenckheim’s Homecoming आख़िरी ही होना चाहिए.
(आभार सहित : द पेरिस रिव्यू अंक 225, ग्रीष्म 2018)
अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद-महेश मिश्र)
![]() महेश मिश्र सांस्कृतिक मामलों के जानकार और टिप्पणीकार हैं. भारतीय और वैश्विक मामलों पर दृष्टि रखते हैं. साहित्य में उनकी गहरी रुचि है और उनका लेखन लगातार सामने आ रहा है. दिल्ली में रहते हैं. |