गणेश पाण्डेय की कविताएँ
‘संतन को कहा सीकरी सों काम?आवत जात पनहियाँ टूटी, बिसरि गयो हरि नाम।।जिनको मुख देखे दुख उपजत, तिनको करिबे परी ...
‘संतन को कहा सीकरी सों काम?आवत जात पनहियाँ टूटी, बिसरि गयो हरि नाम।।जिनको मुख देखे दुख उपजत, तिनको करिबे परी ...
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