lekhak: विनोद विट्ठल

विनोद विट्ठल की सात कविताएं

‘सुंदर सपने जितना छोटा होता है कम रुकता है कैलेंडर इसकी मुँडेर पर जैसे सामराऊ स्टेशन पर दिल्ली-जैसलमेर इंटर्सिटी’   ...