आलेख

अंतर्दृष्टि पत्रिका की अथकथा : विनोद दास

अंतर्दृष्टि पत्रिका की अथकथा : विनोद दास

हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता की बात ‘मधुमती’ के बहाने शुरू हुई है तो अब दूर तलक जाएगी. साहित्यिक पत्रिका निकालना दीवानों का काम है. कोई अच्छा भला आदमी यह काम...

भाष्य : ब्रह्मराक्षस ( मुक्तिबोध) : सदाशिव श्रोत्रिय

सदाशिव श्रोत्रिय ने ‘श्रेष्ठ काव्य के प्रति पाठकों की बढती अरुचि और घटती समझ को देखते हुए’ अपनी पसंद की कविताओं के भाष्य का उपक्रम इधर आरम्भ किया है. कविता...

हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता और मधुमती: पंकज पराशर

भारत में पत्रकारिता और स्वाधीनता संघर्ष का नजदीकी रिश्ता रहा है, हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता भी इसी औपनिवेशिक विरोधी चेतना के बीच विकसित हुई. हिंदी साहित्य के एक युग का...

लोग रौशनी की तलाश में कविता के पास आते हैं : पंकज चतुर्वेदी

लोग रौशनी की तलाश में कविता के पास आते हैं : पंकज चतुर्वेदी

ठीक है आप कवि कर्म को महिमा मंडित नहीं करना चाहते. उसे ‘ब्रह्म सहोदर’ नहीं मानते कोई बात नहीं. पर कविता में जो असाधारणता है उसे कवि से आप अलग...

कविता का प्रक्षेत्र : राहुल राजेश

हिंदी कविता का परिसर विस्तृत है. इसमें से प्रभा मुजुमदार, अशोक सिंह और संतोष अलेक्स की कविताओं पर राहुल राजेश का यह आलेख प्रस्तुत है.                                                                कविता का प्रक्षेत्र : प्रभा...

शहरयार और क़ाज़ी अब्दुल सत्तार : सूरज पालीवाल

शायर शहरयार और अफ़सानानिगार क़ाज़ी अब्दुल सत्तार समकालीन थे और अलीगढ़ विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में साथ थे. दोनों का क़द अदब की दुनिया में बहुत बड़ा है, इसके साथ...

बिहार की गिरमिटिया मजदूरिनें और जॉर्ज ग्रियर्सन: यादवेन्द्र

बिहार की गिरमिटिया मजदूरिनें और जॉर्ज ग्रियर्सन: यादवेन्द्र

स्वाधीन भारत के इस कोरोना काल में मजदूरों की जो दुर्दशा हो रही है, वह अमानवीय तो है ही औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों द्वारा कुली के रूप में हिन्दुस्तानियों ख़ासकर...

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