आलेख

मेरीगंज का पिछडा समाज : संजीव चंदन

मेरीगंज का पिछडा समाज : संजीव चंदन

हिंदी के श्रेष्ठ उपन्यासों में फणीश्वरनाथ रेणु का उपन्यास ‘मैला आँचल’ स्वीकृत है. १९५४ में प्रकाशित यह उपन्यास अपनी चेतना, आंचलिक–रागात्मकता, रोचकता, मार्मिकता और लोक-संस्कृति के लिए आज भी पढ़ा...

भूमंडलोत्तर कहानी (६) : कायांतर (जयश्री रॉय) : राकेश बिहारी

भूमंडलोत्तर कहानी की विवेचना क्रम में इस बार आलोचक राकेश बिहारी ने जयश्री रॉय की कहानियों में ‘कायान्तर’ का चयन किया है और उसकी व्याख्या करते हुए उसमें भारतीय समाज...

मीरा बाई : माधव हाड़ा

मीरा बाई : माधव हाड़ा

माधव हाड़ा की आलोचना पुस्तक ‘पचरंग चोला पहर सखी री’ जो भक्तिकाल की कवयित्री मीरा बाई के जीवन और समाज पर आधारित है, इस वर्ष वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुई...

लोठार लुत्से : विष्णु खरे

लोठार लुत्से : विष्णु खरे

लोठार लुत्से (Lothar Lutze) सिर्फ अनुवादक नहीं थे, वह भाषाओं के बीच पुल थे, साहित्य संवाहक थे, संस्कृतियों के जीवंत प्रवाह थे. इस जर्मन भाषा के विद्वान का ८७ वर्ष...

सबद भेद : आचरण पुस्तकें और स्त्रियाँ : गरिमा श्रीवास्तव

clare parkस्त्रियाँ पैदा नहीं होती, समाज उन्हें निर्मित करता है. बायोलाजिकल विभेद से अलग जो भी अंतर एक स्त्री को किसी पुरुष से अलग करता है उसका निर्माण समाज सदियों...

भालचंद्र नेमाड़े: प्रफुल्ल शिलेदार

भालचंद्र नेमाड़े: प्रफुल्ल शिलेदार

भालचंद्र नेमाड़े मराठी भाषा और भारतीय साहित्य परम्परा के अपने कथाकार हैं. उन्हें इस वर्ष के भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. प्रफुल्ल शिलेदार ने उनके उपन्यासों के...

भूमंडलोत्तर कहानी (५) : पानी (मनोज कुमार पाण्डेय) : राकेश बिहारी

भूमंडलोत्तर कहानी विवेचना की श्रृंखला में आलोचक राकेश बिहारी ने  मनोज पाण्डेय की कहानी पानी को परखा है. पानी में कितना यथार्थ  है कितनी कल्पना यह इतना महत्वपूर्ण नही है...

उत्तर-अशोक : आशुतोष भारद्वाज

फोटो : कविता वाचक्नवीअशोक वाजपेयी हिंदी आलोचना में अपनी प्रेम कविताओं के कारण चर्चित, प्रशंसित और निंदित रहे हैं. पर बाद की उनकी कविताओं के आयतन में विविध विस्तार दिखते...

लोकमानस के गाँधी: सुशोभित सक्तावत

लोकमानस के गाँधी: सुशोभित सक्तावत

‘हम एक जैसे होने के बजाय भिन्न रहते हुए एक दूसरे को ज़्यादा बेहतर ढंग से समझ सकते हैं’. धार्मिक उन्माद और सांस्कृतिक एकीकरण के उफान में गांधी ऐसे नैतिक,...

किताब : तरुण भटनागर

कथाकार तरुण भटनागर द्वारा यूजेन आयोनेस्क के नाटक ‘लैसन’ के हिंदी अनुवाद ‘पाठ’ पर यह  वक्तव्य पढ़ने योग्य है.किताब : तरुण भटनागर                          ...

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