आलोचना

कबीर: जाति जुलाहा मति का धीर: सदानंद शाही

कबीर: जाति जुलाहा मति का धीर: सदानंद शाही

कबीर के अपढ़ होने को स्थापित तथ्य माना जाता है. किसने स्थापित किया, क्यों किया और क्या वास्तव में कबीर अपढ़ थे, क्या साक्षर होना ही पढ़ा-लिखा होना है, अनुभव,...

कुँवर नारायण की कविता: शिरीष कुमार मौर्य

कुँवर नारायण की कविता: शिरीष कुमार मौर्य

मुक्तिबोध ने कुँवर नारायण को ‘कविता में अंतरात्मा की पीड़ित विवेक चेतना और जीवन की आलोचना’ का कवि कहा है. खुद कुँवर नारायण यह मानते हैं कि ‘कविता मूलत: एक...

रामविलास शर्मा और हिंदी नवजागरण: मैनेजर पाण्डेय

रामविलास शर्मा और हिंदी नवजागरण: मैनेजर पाण्डेय

रामविलास शर्मा की हिंदी नवजागरण  की विचारधारा पिछले कई दशकों से अकादमिक दुनिया में व्याख्या और आलोचना के केन्द्र में रही है. हिंदी नवजागरण के अस्तित्व और उसके प्रभाव पर...

मैनेजर पाण्डेय: भारत में जनतंत्र का सच

मैनेजर पाण्डेय की आलोचना दृष्टि: प्रणय कृष्ण

आलोचना भी रचना है. साहित्य के संदर्भ से वह समाज और संस्कृति के प्रश्नों तक जाती है. वरिष्ठ आलोचक मैनेजर पाण्डेय साहित्य को देखने की सुगठित वैचारिकी रखते हैं. उनके...

शमशेर बहादुर सिंह: अशोक कुमार पाण्डेय

शमशेर बहादुर सिंह: अशोक कुमार पाण्डेय

शमशेर बहादुर सिंह आलोचकों की दुविधा हैं. केदारनाथ अग्रवाल ने कही लिखा है- 'वहाँ उस आईने में खड़ा है मेरा दोस्त– शमशेर! उम्र कैद का अकेला अपराधी.' अशोक कुमार पाण्डेय...

शमशेर प्रेम की असंभावना के कवि अधिक हैं : अशोक वाजपेयी

ll शमशेर :: जन्म शताब्दी वर्ष llपिछले पांच दशकों से साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में सक्रिय कवि, आलोचक, संपादक,और आयोजक अशोक वाजपेयी के कई कविता-संग्रह और आलोचना–पुस्तकें प्रकाशित हैं....

मार्कण्डेय : कहानी और राष्ट्र की परछाइयाँ

मार्कण्डेय : कहानी और राष्ट्र की परछाइयाँ

कहानी और राष्ट्र की परछाइयाँ अरुण देव 2010 में पीपुल्स पब्लिशिंग हॉउस (प्रा.) लि. ने श्रेष्ठ साहित्य प्रकाशन योजना के अंतर्गत छह संकलनों में आजादी के बाद की हिंदी की...

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