संस्मरण

देस-वीराना : देवरिया-२ : विवेक कुमार शुक्ल

(पेंटिंग : रामकुमार)एक उनींदा शहर भी एक मुकम्मल गाथा है. जीवन के रंगों से सराबोर. अपने नायकों४ और खलनायकों में मशगूल. अपने लोक-वृत्त में हज़ार कथाएं छुपाए हुए. नित्य घटते...

मति का धीर : उपेन्द्र नाथ ‘अश्क’

उपेन्द्र नाथ अश्क : जन्म शताब्दी वर्ष पिता और पुत्र के सम्बंध जटिल हैं.जब ‘अश्क’ जैसा पिता हो तो यह जटिलता और बढ़ जाती है. नीलाभ ने पिता को याद...

देस – वीराना : देवरिया-१ : विवेक कुमार शुक्ल और परितोष मणि

जहाँ हम पले- बढ़े, उस नगर में हमारी यादों की स्थाई नागरिकता रहती है, चाहे हम दर- बदर हों या जिला-बदर. कभी फीकी नहीं पड़ती उन गलियों की चमक. ऐसी...

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