मति का धीर : आचार्य शिवपूजन सहाय
“हिंदी की शक्ति और क्षमता का देना तुम्हें प्रणाम.” बच्चन फादर कामिल बुल्के ने कहीं लिखा है कि परलोक में जाकर जिससे मिलकर उन्हें अनिर्वचनीय खुशी होगी वह शिवपूजन सहाय...
“हिंदी की शक्ति और क्षमता का देना तुम्हें प्रणाम.” बच्चन फादर कामिल बुल्के ने कहीं लिखा है कि परलोक में जाकर जिससे मिलकर उन्हें अनिर्वचनीय खुशी होगी वह शिवपूजन सहाय...
कस्बों और नगरों की वैचारिकी है स्थानीय पत्रकारिता. उनके छोटे-बड़े सुख-दुःख का बेतरतीब सा कोलाज. देवरिया रूपक है. इस बार इसके इस पहलू का भाष्य सुशील कृष्ण गोरे ने किया...
(पेंटिंग : रामकुमार)एक उनींदा शहर भी एक मुकम्मल गाथा है. जीवन के रंगों से सराबोर. अपने नायकों४ और खलनायकों में मशगूल. अपने लोक-वृत्त में हज़ार कथाएं छुपाए हुए. नित्य घटते...
उपेन्द्र नाथ अश्क : जन्म शताब्दी वर्ष पिता और पुत्र के सम्बंध जटिल हैं.जब ‘अश्क’ जैसा पिता हो तो यह जटिलता और बढ़ जाती है. नीलाभ ने पिता को याद...
जहाँ हम पले- बढ़े, उस नगर में हमारी यादों की स्थाई नागरिकता रहती है, चाहे हम दर- बदर हों या जिला-बदर. कभी फीकी नहीं पड़ती उन गलियों की चमक. ऐसी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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