अम्बर पाण्डेय की कहानी ‘४७१४ नहीं बल्कि ४७११’ एक माह पूर्व समालोचन पर प्रकाशित हुई थी, अब उनकी दूसरी कहानी...
(Artwork of Johnson Tsang)संपादक प्रथम पाठक है, कई बार रचनाएँ उसे उसी तरह ही सुख देती हैं तब वह आनायास...
सुषमा नैथानी की कविताएँ जहाँ शिल्प में सुगढ़ हैं वहीँ कथ्य में विविध और नयी. इन कविताओ में आवास से...
"तरुण भटनागर की कहानी ‘प्रलय में नाव' एक अर्थ में पौराणिक कथा का पुनराख्यान कही जा सकती है, जहां नूह के...
आधुनिक हिंदी कविता में प्रकृति, पर्यावरण और मनुष्यइतर जीवन आते रहे हैं, पूरी कविता के रूप में भी. रुस्तम सिंह...
उपन्यास ‘अल्पाहारी गृहत्यागी: आई आई टी से पहले’, तथा कहानी संग्रह ‘जाना नहीं दिल से दूर’ से चर्चित अध्येता, लेखक,...
मार्खेज़ की कहानियों का जादुई यथार्थ, यथार्थ को उसकी सम्पूर्ण निर्ममता और विडम्बना के साथ प्रस्तुत करता है. चीजें जिस...
एक दिन का समंदर : हरजीत प्रेम साहिल हरजीत ने ख़ुद को इतना फैला लिया था कि आज उसे लफ़्ज़ों...
उत्तर भारतीय ग्रामीण समाज को समझने के लिए राजनीतिक और सामजिक अध्ययन की कुछ कोशिशें हुईं हैं. साहित्य की आत्मकथा,...
लमही का स्त्री कथाकारों पर आधारित अंक \'हमारा कथा समय -१\' की चर्चा कर रहें हैं कवि निशांत. इस पत्रिका...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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