भारतेंदु हरिश्चन्द्र को हिंदी उसी तरह प्यार करती है जिस तरह बांग्ला रबीन्द्रनाथ टैगोर से. असहमतियां रबीन्द्र से भी हैं...
उपन्यास : कुठाँव अब्दुल बिस्मिल्लाहसंस्करण - २०१९ राजकमल प्रकाशन प्रा. लि. नई दिल्लीमूल्य : ४९५ पत्रकार और एक्टिविस्ट अली अनवर की बिहार के...
भारतेंदु हरिश्चन्द्र के जीवन पर आधारित दो प्रारम्भिक महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं- ‘भारतेंदु हरिश्चन्द्र’, (मूल संस्करण-१९३५ के आस-पास प्रकाशित\') लेखक हैं...
‘करियवा’, ‘उजरका’ के बाद अब ‘सुघरका’. ये तीनों बैलों के नाम हैं. एक समय कृषि-संस्कृति के केंद्र में रहे बैल...
विष्णु खरे से व्योमेश शुक्ल की यह बातचीत मुक्तिबोध पश्चात हिंदी के दो महत्वपूर्ण कवियों रघुवीर सहाय और श्रीकांत वर्मा...
प्रेमचंद की कहानी ‘दो बैलों की कथा’ के बाद अब गाय गाय न रहीं बैल तो जैसे अदृश्य ही हो...
\"खोई नहीं है वह लड़कीजो मिली थी सपनों में \"राकेश मिश्र के तीन संग्रह एक साथ इसी वर्ष राधाकृष्ण प्रकाशन से...
भारतीय अंग्रेजी लेखन में मलयाली भाषी कमला दास (31 March 1934 – 31 May 2009) एक युग का प्रतिनिधित्व करती...
मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू के साथ फ़ारसी के भी महान शायर हैं. आहत और विद्रोही. बकौल अली सरदार ज़ाफरी ग़ालिब ने...
सुपरिचित आलोचक ओम निश्चल की लेखन शैली की यह विशेषता है कि वह जो भी करते हैं पूरी तैयारी के...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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