ज़ाहिर है जयशंकर प्रसाद (३० जनवरी,१८९०- १४ जनवरी,१९३७) ने उसके बाद भी अपनी आत्मकथा नहीं लिखी. हाँ उनके विषय में...
युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित हिन्दी कहानियों के संदर्भ में अक्सर ‘उसने कहा था’ की ही चर्चा होती है. प्रेमचंद...
विनोद दास हिन्दी के सुपरिचित कवि-संपादक हैं, उनकी कविताएँ समय के विरूप और विडम्बनाओं से भरे दृश्यों से अपना आकार...
काला पहाड़(१९९९), बाबल तेरा देस में(२००४) तथा रेत(2008) से चर्चित उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल (जन्म: २३ जनवरी, १९६०) इधर २०१४ से...
कभी कंप्यूटर प्रोग्रामर रहे जे. एम. कोएट्जी (जन्म: 9 February 1940) आज अंग्रेजी भाषा और विश्व के बड़े उपन्यासकारों में...
नलिन विलोचन शर्मा, राजकमल चौधरी, गोरख पाण्डेय पर शिवमंगल सिद्धांतकार के संस्मरण आप पढ़ चुके हैं. यह श्रृंखला कथाकार ज्ञानचंद...
लेखन, प्रकाशन, संपादन, संस्था-निर्माण और बहुविध आयोजनों की परिकल्पना और संचालन में अशोक वाजपेयी पिछले छह दशकों से सक्रिय हैं....
सुभाष गाताडे हिंदी और मराठी के जाने माने लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. समालोचन के लिए इधर अपने जीवन-प्रसंगों पर...
(18th-century painting of Padmini.)महाकवि जायसी कृत ‘पदमावत’ के ४८ वर्ष बाद 1588 ईस्वी में हेमरतन ने ‘गोरा बादल पदमिणी चउपई’...
सांस्कृतिक हिंसा के रुपराजाराम भादू प्रकाशक प्राकृत भारती अकादमी, जयपुरप्रथम संस्करण : 2020 / मूल्य रु 320/संस्कृति के सवालों को लेकर लिखने वाले आलोचक,...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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