रुस्तम : तब भी, इस बाहुल्य में
(Virginie Demont Breton - FISHERMAN\'S WIFE AFTER BATHING CHILDREN , 1881)रुस्तम जीवन में भी मितभाषी हैं और यह समझते हैं कि जीवन आराम से जीने वाली चीज है जिससे कि...
(Virginie Demont Breton - FISHERMAN\'S WIFE AFTER BATHING CHILDREN , 1881)रुस्तम जीवन में भी मितभाषी हैं और यह समझते हैं कि जीवन आराम से जीने वाली चीज है जिससे कि...
(यह अद्भुत फोटो विश्व प्रसिद्ध फोटोग्राफर H. C . Bresson द्वारा Romania में 1975. में कहीं लिया गया था. आभार के साथ)राजकमल प्रकाशन संस्थान से प्रकाशित कविता संग्रह ‘अपने आकाश में’...
बमुश्किल २० साल की विनिता यादव फिलहाल मूर्तिकला और चित्रकला में कौशल हासिल कर रही हैं, पेंटिग बना रहीं हैं, कविताएँ लिख रहीं हैं. अन्य कलाओं से सम्बद्ध कवियों की...
दीपक जायसवाल (जन्म : ७ मई १९९१, कुशीनगर) दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में गोल्डमेडलिस्ट हैं (परास्नातक) और वहीं से शोध कार्य (पीएच. डी) भी कर रहे हैं. उनकी दो...
(पेंटिग: लाल रत्नाकर)युवा संतोष अर्श शोध और आलोचना के क्षेत्र में जहाँ ध्यान खींच रहे हैं वहीँ उनकी कविताएँ भी अपनी पहचान निर्मित कर रहीं हैं. भाव और भाषा को...
कला अनुशासनों पर आधारित कविताओं का संग्रह ‘जन्म से ही जीवित है पृथ्वी’ प्रेमशंकर शुक्ल का पांचवाँ कविता संग्रह है. प्रेमशंकर शुक्ल मुख्यत: प्रेम के शुक्ल पक्ष के कवि हैं....
सवाई सिंह शेखावत (फरवरी १३, १९४७) के आठवें कविता संग्रह ‘निज कवि धातु बचाई मैंने (२०१७) को इस वर्ष राजस्थान साहित्य अकादमी के मीरा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है....
अस्सी वर्षीय भारतरत्न भार्गव (१९३८) का चालीस वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद दूसरा कविता संग्रह ‘घिसी चप्पल की कील’ संभावना प्रकाशन से इसी वर्ष (२०१८) प्रकाशित हुआ है. भारतरत्न...
आइये युवा कवि अंचित की कुछ कविताएँ पढ़ते हैं.
अच्युतानंद मिश्र की बीसवीं शताब्दी के मुख्य चिंतकों पर आधारित चिंतनपरक किताब ‘बाज़ार के अरण्य में’ इसी वर्ष आधार प्रकाशन से प्रकाशित हुई है. पश्चिमी के आधुनिक और उतर-आधुनिक दार्शनिकों...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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