प्रमोद पाठक की कविताएँ
ये कविताएँ बच्चों के लिए लिखी गयी हैं पर बचकानी नहीं हैं, बच्चों के लिए लिखना चुनौतीपूर्ण तो है पर इनका लिखा जाना बहुत जरूरी है ? प्रमोद पाठक को...
ये कविताएँ बच्चों के लिए लिखी गयी हैं पर बचकानी नहीं हैं, बच्चों के लिए लिखना चुनौतीपूर्ण तो है पर इनका लिखा जाना बहुत जरूरी है ? प्रमोद पाठक को...
हरजीत सिंह (1959-22अप्रैल, 1999) की शख़्सियत और शायरी के सम्बन्ध में तेजी ग्रोवर की मदद से समालोचन की प्रस्तुति (4 मार्च 2018) से हुआ यह कि उनके चाहने और उनके...
पंजाबी भाषा के चर्चित कवि गुरप्रीत की चौदह कविताओं का हिंदी अनुवाद रुस्तम सिंह ने कवि की मदद से किया है. हिंदी के पाठकों के लिए इतर भाषाओँ के साहित्य का...
मनुष्य जब मनुष्यता से गिर जाता है, उसकी तुलना पशुओं से हम करते हैं. पर क्या पशु कभी अपनी ‘पशुता’ से गिरा है ? आख़िर मनुष्य ने सभ्यता की इस दौड़ में...
महेश वर्मा का पहला कविता संग्रह ‘धूल की जगह’ इसी वर्ष राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. २१ वीं सदी की हिंदी कविता के वह एक प्रमुख कवि हैं. नींद और...
कुछ कवि हमेशा ऐसे होते हैं जो आपको विचलित कर देते हैं, यह विचलन बहुत गहरा होता है, चुप्पा-आत्म और मुखर-अस्तित्व दोनों को झकझोर देते हैं. यह विस्मित ही करता...
राजेश जोशी पिछले चार दशकों से हिंदी कविता में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति बनाए हुए हैं, सार्थक बने हुए हैं. कोई लगातार अच्छी कविताएँ कैसे लिख सकता है ? यह काव्य-यात्रा अपने...
आपने हरजीत सिंह का नाम सुना होगा ? यह शेर सुना होगा – 'आयीं चिड़ियाँ तो मैंने यह जाना/मेरे कमरे में आसमान भी था' हिंदी शायरी केवल दुष्यंत कुमार तक...
शहरों को केंद्र में रखकर कविताएँ लिखी जाती रही हैं, नगर की संवेदनात्मक उपस्थिति की पहचान का यह रचनात्मक उपक्रम कला, इतिहास और राजनीति की समझ से निर्मित होता है....
कृति : Gigi-scariaकवि चित्रकार शैलेन्द्र दुबे का एक संग्रह ‘हमने ख़ुशी के कुछ दिन तय किये’ २०१५ में प्रकाशित हुआ था. शैलेन्द्र की कविताएँ अपनी भंगिमा में मुखर नहीं है पर...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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