कविता

बाबुषा कोहली की कविताएँ

बाबुषा कोहली की कविताएँ

"बाबुषा की कविताओं की तासीर कुछ ऐसी है कि वसंत में कोयल की कूक को खुरच-खुरच कर बगीचों के हवाले करती है, बेचैनियों को उठाकर सीप में धर देती है...

शिरीष कुमार मौर्य की कविताएँ

कृति : salvador daliहिंदी कविता के जनपद में शिरीष कुमार मौर्य का ठौर- ठिकाना जाना पहचाना है. कम समय में ही उन्होंने अपनी कविताओं का स्थाई पता सुनिश्चित कर लिया...

नन्द भारद्वाज की कविताएँ

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने प्रसिद्ध निबन्ध, ‘कविता क्या है?’ की शुरुआत इन पंक्तिओं से की है- ‘कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है’ (आचार्य शुक्ल जीवन भर इस लेख...

रंजना जायसवाल की कविताएँ

रंजना जायसवाल३ अगस्त १९६८, पडरौना (उत्तर -प्रदेश)प्रेमचंद का सहित्य और नारी जागरण विषय पर पीएच. डी.(गोरखपुर विश्वविद्यालय)कविता संग्रह –मछलियाँ देखती हैं सपने (२००२)दुःख पंतग (२००७, अनामिका, इलाहाबद) जिन्दगी के कागज़...

मुसाफिर बैठा की कविताएँ

मुसाफिर बैठा :  05 जून, 1968 , सीतामढ़ी.                    पटना विश्वविद्यालय से हिन्दी दलित आत्मकथा विषय में पी-एच. डी.अभियांत्रकी की तकनीकी शिक्षा भीअनुवाद, पत्रकारिता  में स्नातकोत्तर डिप्लोमा आदि अनेक पत्र –...

सहजि सहजि गुन रमैं : फरीद खान

मैं और कविता ::मैं फ़िल्म और टेलीविज़न माध्यम के लिए व्यवसायिक (व्यापारिक) लेखन करता हूँ. ज़ाहिर है कि मैं बाज़ार के बीच खड़ा हूँ. बाज़ार की अपनी मांगें हैं, दबाव हैं,...

सहजि सहजि गुन रमैं : अपर्णा मनोज

अपर्णा मनोज :  १९६४, जयपुर,कविताएँ, कहानियाँ और अनुवाद मेरे क्षण कविता संग्रह प्रकाशित.कत्थक, लोक नृत्य में विशेष योग्यता.इधर ब्लागिंग में सक्रिय संपादन – आपका साथ साथ फूलों का अहमदाबाद में रहती...

गिरिराज किराडू की कविताएँ

गिरिराज किराडू : १५ मार्च १९७५, बीकानेर राजस्थानलेखक, संपादक और अब प्रकाशक भीप्रतिष्ठित पत्र – पत्रिकाओं में कविताएँ,लेख अनुवाद आदिउर्दू, मराठी, अंग्रेजी आदि में अनूदित तीन संपादित पुस्तकें प्रकाशितहनीफ कुरैशी के...

सहजि सहजि गुन रमैं : शिव कुमार गाँधी

शिव कुमार गांधी : १८ जून १९७३, जयपुरचित्रकार,कवि चित्र – प्रदर्शनियां देश भर में एकल चित्र प्रदर्शनी मेलबोर्न आस्ट्रेलिया में भी बच्चों के लिए एक किताब मेरी किताब प्रकाशित फ़िल्म...

राकेश श्रीमाल की कविताएँ

मैं और कविता ::जीवन के सबसे खूबसूरत पल वे होते हैं जब आप किन्हीं बातों में, कुछ पढ़ते हुए, कुछ देखते हुए, कभी स्मृतियों में टहलते हुए तो कभी अपने...

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