केदारनाथ सिंह: क़ब्रिस्तान की पंचायत में सरपंच : संतोष अर्श
कवि केदारनाथ सिंह का गद्य ललित और रोचक है, उसमें जगह-जगह कविता दिख जाती है. ‘क़ब्रिस्तान में पंचायत’ में उनके आस-पास के लोग हैं, परिवेश है, बुद्ध हैं, कुशीनगर पर...
कवि केदारनाथ सिंह का गद्य ललित और रोचक है, उसमें जगह-जगह कविता दिख जाती है. ‘क़ब्रिस्तान में पंचायत’ में उनके आस-पास के लोग हैं, परिवेश है, बुद्ध हैं, कुशीनगर पर...
पानी को सब याद था : अनामिकाप्रकाशक- राजकमल प्रकाशन, नई दिल्लीप्रथम संस्करण- 2019मूल्य- रू- 150वरिष्ठ कवयित्री अनामिका का नया कविता संग्रह ‘पानी को सब याद था’ इसी वर्ष राजकमल प्रकाशन से...
हिंदी आलोचना की सैद्धांतिकी विनोद शाहीआधार प्रकाशन, पंचकूला (हरियाणा)मूल्य : 250 रुपएआचार्य रामचंद्र शुक्ल ‘ड्राइंग मास्टर’ थे, बाद में साहित्य के आलोचक हुए, विनोद शाही पेंटर हैं और आलोचक भी. रामचंद्र शुक्ल...
विनय कुमार का कविता संग्रह ‘यक्षिणी’ इसी साल राजकमल से छप कर आया है. यक्षिणी की खंडित मूर्ति को केंद्र में रखकर लिखी गयी यह काव्य-श्रृंखला, कविता के शिल्प में...
मिथकीय पात्रों को केंद्र में रखकर सृजनात्मक लेखन अतीत का वर्तमान के सन्दर्भ में पुनर्लेखन है, कथाकार किरण सिंह शोध-अन्वेषण के साथ अपने पात्रों का सृजन करती हैं. ‘अहल्या’ को...
लेखिका और विचारक अरुंधति रॉय की किताब ‘The Doctor and the Saint’ का हिंदी अनुवाद अनिल यादव ‘जयहिंद’ और रतन लाल ने ‘एक था डॉक्टर एक था संत’ शीर्षक से...
उपन्यास : कुठाँव अब्दुल बिस्मिल्लाहसंस्करण - २०१९ राजकमल प्रकाशन प्रा. लि. नई दिल्लीमूल्य : ४९५ पत्रकार और एक्टिविस्ट अली अनवर की बिहार के पसमांदा मुसलमानों को केंद्र में रख कर लिखी हुए अपनी...
भारतेंदु हरिश्चन्द्र के जीवन पर आधारित दो प्रारम्भिक महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं- ‘भारतेंदु हरिश्चन्द्र’, (मूल संस्करण-१९३५ के आस-पास प्रकाशित\') लेखक हैं श्री ब्रजरत्नदास और ‘हरिश्चन्द्र’ (मूल संस्करण १९०५ के आस-पास प्रकाशित )...
\"खोई नहीं है वह लड़कीजो मिली थी सपनों में \"राकेश मिश्र के तीन संग्रह एक साथ इसी वर्ष राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकशित होकर सामने आयें हैं. कविता के अभ्यस्त समालोचक ओम...
रिनाला खुर्दईशमधु तलवारप्रकाशक- राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002प्रथम संस्करण-2019पृष्ठ सं-160मूल्य- पेपरबैक्स- रू. 150“रिनाला खुर्द पढ़ने के बाद लगा, जैसे मैं नीम का कोई पेड़ हो गया हूँ और उस पेड़ से...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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