समीक्षा

परख : पोस्ट बॉक्स नं- 203 – नाला सोपारा ( चित्रा मुद्गल ): सत्यदेव त्रिपाठी

‘पोस्ट बॉक्स नं. 203 नाला सोपारा’ को वर्ष २०१८ के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. चित्रा मुद्गल ने मुंबई के उपनगर नाला सोपारा के एक किन्नर...

परख : राकेश बिहारी (ग़ौरतलब कहानियाँ): मीना बुद्धिराजा

कथा-आलोचक राकेश बिहारी हिंदी के समर्थ कथाकार भी हैं. उनकी ग़ौरतलब कहानियाँ की चर्चा कर रहीं हैं  मीना बुद्धिराजा.राकेश बिहारी :  ग़ौरतलब कहानियाँनयी सदी  की  कथा   का  बदलता चेहरा   ...

बदलता गाँव बदलता देहात : नयी सामाजिकता का उदय (सतेंद्र कुमार) : नरेश गोस्वामी

बदलता गाँव बदलता देहात : नयी सामाजिकता का उदय (सतेंद्र कुमार) : नरेश गोस्वामी

भारत के गाँव-देहात अब ‘गोदान’, ‘मैला आँचल’ और ‘राग दरबारी’ के गाँव देहात नहीं रह गए हैं. सतेंद्र कुमार ने नई अर्थव्यवस्था, शहरीकरण और तकनीक के प्रभावों का समाजशास्त्रीय अध्ययन...

कविता-रहस्य: कृष्ण कल्पित की आर्स पोएटिका: शिव किशोर तिवारी

कहते हैं वाल्टर वेन्यामिन सिर्फ उद्धरणों द्वारा ही एक किताब लिखना चाहते थे. कृष्ण कल्पित ‘विरचित’ कविता–रहस्य (New Criticism उर्फ़ नया काव्यशास्त्र) को आप शास्त्र और काव्य के सहमिलन से...

करघे से बुनी औरत : शिव किशोर तिवारी

करघे से बुनी औरत : शिव किशोर तिवारी

कविताएँ हमेशा की तरह खूब लिखी जा रही हैं, तमाम माध्यमों से उनके प्रकाशन की बहुलता २१ वीं सदी की विशेषता है. कविताओं को जितना ‘देखा’ और ‘पसंद’ किया जा...

लेखक का सिनेमा: आशुतोष भारद्वाज

लेखक का सिनेमा: आशुतोष भारद्वाज

‘लेखक का सिनेमा’  कुँवर नारायण की एक ऐसी  कृति है जिसमें १९७६ से लेकर २००८ तक के लिखे उनके लेख शामिल हैं,जिसका सुरुचिपूर्ण संपादन कवि गीत चतुर्वेदी ने किया है....

और अन्य कविताएं (विष्णु खरे ) : ओम निश्चल

विष्णु खरे की कविताओं का एक प्रतिनिधि संकलन राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. कविताओं का चयन कवि केदारनाथ सिंह ने किया है. भूमिका में केदारनाथ जी लिखते हैं– “एक...

दि मिनिस्ट्री ऑव अटमोस्ट हैप्पीनेस: चन्दन पाण्डेय

दि मिनिस्ट्री ऑव अटमोस्ट हैप्पीनेस: चन्दन पाण्डेय

बुकर पुरस्कार से सम्मानित ‘द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स’ (१९९७) के बीस साल बाद अरुंधति रॉय का दूसरा उपन्यास प्रकाशित हुआ है. – ‘दि मिनिस्ट्री ऑव अटमोस्ट हैप्पीनेस’. ज़ाहिर है...

परख : एक थी मैना एक था कुम्हार (उपन्यास ) : राकेश बिहारी

एक थी मैना एक था कुम्हार (उपन्यास)लेखक – हरि भटनागर प्रकाशक – रचना समय, भोपालपृष्ठ संख्या – 180मूल्य – 300 रुपयेसमीक्षातुम चुप क्यों हो मैना?            ...

विष्णु खरे : सिने-आलोचना का (भारतीय-हिन्दू?) रस-सिद्धांत

नाटक से सम्बन्धित पहला व्यवस्थित कार्य भरतमुनि का नाट्यशास्त्र है. यह उसके अन्वेषण, प्रयोगात्मक परीक्षण, प्रस्तुतीकरण और उसकी संवेदना का पहला प्रामाणिक अध्ययन है. ऐतिहासिक संदर्भो में नाटक के उद्भव...

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