प्रभात रंजन: देश की बात देस का किस्सा
कथाकार, अनुवादक, संपादक प्रभात रंजन इधर अपनी कृति, ‘कोठागोई’ के लिए चर्चा में हैं. किस्सों की श्रृंखला ‘देश की बात देस का किस्सा’ का एक किस्सा आपके लिए. इस श्रृंखला...
कथाकार, अनुवादक, संपादक प्रभात रंजन इधर अपनी कृति, ‘कोठागोई’ के लिए चर्चा में हैं. किस्सों की श्रृंखला ‘देश की बात देस का किस्सा’ का एक किस्सा आपके लिए. इस श्रृंखला...
चन्दन पाण्डेय अपनी पीढ़ी के प्रतिनिधि कथाकार हैं. उनके तीन कहानी संग्रह ‘भूलना’, ‘इश्कफरेब’ और ‘जंक्शन’ प्रकाशित हैं. ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार, कृष्ण बलदेव वैद फेलोशिप, और शैलेश मटियानी कथा पुरस्कार...
कला कृति Abdullah M. I. Syedराकेश बिहारी कथा–आलोचना में सक्रिय हैं. वह खुद कथाकार भी हैं. उनका कहानी संग्रह ‘वह सपने बेचता था’ प्रकाशित है. प्रतीक्षा कहानी फाइनान्स में कार्यरत एक...
कथादेश के नवम्बर २०१२ में युवा कथाकार अनुज की कहानी \'अंगुरी में डँसले बिया नगिनिया\' प्रकाशित हुई और परिकथा के मई–जून २०१३ से लेकर जुलाई–अगस्त २०१४ तक इस पर लम्बी...
युवा चर्चित कहानीकार प्रभात रंजन की नई कहानी ‘पत्र लेखक, साहित्य और खिड़की’. इस कहानी को पढ़ते हुए आप अपने युवावस्था की बिसरी स्मृतियों में चले जाएँ तो कुछ आश्चर्य...
हिंदी कथा जगत में भारत और पाकिस्तान के बटवारे को केंद्र में रखकर बमुश्किल कुछ कहानियाँ हैं. बड़ी मानवीय त्रासदियाँ साहित्य में देर से आती हैं. तरुण भटनागर युवा कथाकार...
पेटिंग : Saqiba Haq परम्पराएँ जब धर्म का आवरण ओढ़ लेती हैं तब उनका शिकंजा और सख्त हो जाता है. अगर...
हिंदी कहानी में युवा रचनाशीलता के प्रतिनिधि के रूप में चंदन पाण्डेय समादृत हैं. समय और समाज को देखने का उनका अपना नज़रिया है और उसे प्रस्तुत करने के लिए...
युवा चर्चित कथाकार तरुण भटनागर की कहानिओं में आदिम सभ्यता में आधुनिक कही जाती संस्कृति की घुसपैठ की कथा मिलती है. और एक बड़ा सवाल भी कि आख़िरकार ‘मार्डन’ होना...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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