मैं कहता आँखिन देखी : अरुण कमल
अपना क्या है इस जीवन मेंसब तो लिया उधार सारा लोहा उन लोगों का अपनी केवल धार . (अपनी केवल धार)देखो हत्यारे को मिलता राजपाट सम्मान जिनके मुहं में...
अपना क्या है इस जीवन मेंसब तो लिया उधार सारा लोहा उन लोगों का अपनी केवल धार . (अपनी केवल धार)देखो हत्यारे को मिलता राजपाट सम्मान जिनके मुहं में...
विमल कुमार से अरुण देव की बातचीत. कवि - रचनाकार विमल कुमार के जीवन के 50 वर्ष, हिंदी की सृजनात्मकता के भी वर्ष हैं. विमल कुमार बड़े अपनापन से अपने साथिओं और...
शमशेर बहादुर सिंह (१९११-१९९३) की जन्म शताब्दी वर्ष पर समालोचन की विशेष प्रस्तुति\"एक कवच मैं और ओढ़ना चाहता हूँएक अदृश्य कवच - निरहंकार,तटस्थतमनिर्मलता का\". डायरी-६/मार्च/१९६३ कई बार ऐसा लगता है कि...
आरम्भ: यह समालोचन का पहला अंक है जो 'Nov 12, 2010' को प्रकाशित हुआ था.
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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