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Home » नवनीत पांडे की कविताएँ

नवनीत पांडे की कविताएँ

नवनीत पांडे की आकार में छोटी पर असर में बड़ी १२ कविताएँ प्रस्तुत हैं.

by arun dev
June 25, 2016
in कविता
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नवनीत पांडे की कविताएँ
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नवनीत पांडे की कविताएँ 

 

१.
तुम्हारी पोल
खुल चुकी है
कब मानोगे!

काठ की हांडी
जल चुकी है
कब जानोगे!.

 

२.
तुम जो
तुम हो
तुम क्या हो
बताओ तुम!

 

३.
वह जो
वह है
वह नहीं दिखता
जो है वह.

 

४.
धूप खड़ी रहती है
नित धूप में
तलाशती छाँह
जो उसे
कभी
कहीं नहीं मिलती.

 

५.
राजा ने मुनादी करायी है
प्रजा को देनी होगी परीक्षा
कि वह उसकी प्रजा है
वह उसके राज की ही प्रजा है
जांचा जाएगा
उसके गले में
राज- राजा का बिल्ला
है कि नहीं
लिया जाएगा डीएनए
शिक्षालयों में जाएंगे
राजा के वफादार सिपाही
पूछेंगे शिक्षकों से
वे पढ़ा रहें है कौन से पाठ
कोतवाल पकड़ेंगे सरेआम
डाल देंगे कारागृह में
बेगुनाहों को
राजा का मानना है
निर्भय राज के लिए
प्रजा में भय जरूरी है
प्रजा को
राजा का हुकुम मानना ही होगा
जो भी हुकुमउदुल
नाफरमान हैं
उसके लिए सीधे सीधे
सजा ए मौत या
देश निकाले का फरमान है.

 

६.
मैं एक चेहरा हूं
जिसे तुम देखते हो नित
पहचानते हो
पुकारते हो
दिए हुए नाम से
यह नाम
जो केवल मेरे चेहरे का नहीं है
मेरे जैसे कई चेहरों का होगा
चेहरों पर नाम एक हैं
लेकिन फिर भी
सबके चेहरे अनेक हैं.

 

७.
एक और एक
दो
ग्यारह
जीरो
कुछ भी हो सकता है
सही गणित आनी चाहिए.

 

८.
तुम्हारी हँसी
तुम्हारी हँसी है
नहीं हँस सकता मैं
कभी भी
तुम्हारी हँसी.

 

९.
तुम में
तु
म
दोनों जुड़ते हैं
तब होते हो तुम
तुम.

 

१०.
हरा देखते देखते
हरा हो गया मैं
भरा हो गया मैं.

 

११.
राजा कहता है खुद को वैरागी
राजा को आता भी नहीं
कोई राग
लेकिन राजा ने तो
पाले हुए हैं
कई राग

राजा को सबसे अधिक प्रिय है
देश राग
राजा जब भी दिखता है
उसके होंठों पर होता है
देश राग
सब सुनते हैं
सुन कर हँसते हैं
क्योंकि जब राजा गाता है
उस में देश राग के सुर नहीं लगाता है
गलत समय गलत आलाप
तान, राग उठाता है
वर्जित सुर लगाता है
फिर भी गाता जाता है
खुद ही वाह वाह करता है

गाल फुलाता है.

 

१२.
मैं एक देह
हूँ
तुम भी एक देह
बाकी जो कुछ भी है
एक मरीचिका.

________________________
नवनीत पांडे
(26 दिसंबर 1962, सादुलपुर (चुरू) राजस्थान.

हिंदी में ‘सच के आस-पास’, ‘छूटे हुए संदर्भ’, ‘जैसे जिनके धनुष’, ‘सुनो मुक्तिबोध एवं अन्य कविताएँ’, ‘जब भी देह होती हूँ’ (कविता-संग्रह) ‘यह मैं ही हूँ’, ‘हमें तो मालूम न था’ (लघु नाटक) प्रकाशित.राजस्थानी में : ‘लुकमीचणी’, ‘लाडेसर’ (बाल कविताएँ), ‘माटीजूण’ (उपन्यास), ‘हेत रा रंग’ (कहानी-संग्रह) और महाश्वेता देवी के चर्चित बांग्ला उपन्यास ‘1084वें री मा’ का राजस्थानी में अनुवाद.

‘लाडेसर’ को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादेमी का ‘जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार’,  ‘सच के आस-पास’ को राजस्थान साहित्य अकादेमी का ‘सुमनेश जोशी पुरस्कार’, ‘यह मैं ही हूँ’ जवाहर कला केंद्र से पुरस्कृत होने के अलावा ‘राव बीकाजी संस्थान, बीकानेर’ द्वारा प्रदत्त सालाना साहित्य सम्मान आदि से सम्मानित

 

 
Tags: नवनीत पाण्डेय
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