उपन्यास और सांस्कृतिक प्रतिरोध: विजय बहादुर सिंह
वरिष्ठ आलोचक विजय बहादुर सिंह ने शास्त्रीय संगीत के साझे घरानों पर लिखे गये रणेंद्र के तीसरे उपन्यास- ‘गूँगी रुलाई ...
Home » गूँगी रुलाई का कोरस
वरिष्ठ आलोचक विजय बहादुर सिंह ने शास्त्रीय संगीत के साझे घरानों पर लिखे गये रणेंद्र के तीसरे उपन्यास- ‘गूँगी रुलाई ...
आलोचक रविभूषण का मानना है कि रणेन्द्र का उपन्यास ‘गूँगी रुलाई का कोरस’ गहन अध्ययन, श्रम-अध्यवसाय से लिखा गया एक ...
रणेंद्र के तीसरे अप्रकाशित उपन्यास ‘गूँगी रुलाई का कोरस’ के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं. ‘ग्लोबल गाँव के देवता’ और ...
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